बानू मुश्ताक को दशहरा पर निमंत्रण मामलाः मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने न्यायालय के फैसले को सराहा
प्रशांत पवनेश
- 19 Sep 2025, 07:04 PM
- Updated: 07:04 PM
बेंगलुरु, 19 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय द्वारा इस वर्ष दशहरा उत्सव के उद्घाटन के लिए बुकर पुरस्कार प्राप्त कन्नड़ साहित्यकार बानू मुश्ताक को आमंत्रित करने के कर्नाटक सरकार के फैसले के खिलाफ याचिका खारिज करने के कुछ घंटों बाद, मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने शुक्रवार को सहिष्णुता और सह-अस्तित्व के महत्व को रेखांकित किया।
कर्नाटक सरकार के इस फैसले का कुछ भाजपा नेताओं और दक्षिणपंथी समूहों ने विरोध किया है।
सिद्धरमैया ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “मैं मैसूरु दशहरा समारोह के उद्घाटन के लिए बुकर पुरस्कार विजेता लेखिका बानू मुश्ताक को आमंत्रित करने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ दायर याचिका को खारिज करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करता हूं।”
मुख्यमंत्री ने कहा, “मैसूरु दशहरा को किसी धार्मिक दायरे में सीमित नहीं किया जा सकता। हमने हमेशा यही माना है कि यह एक ऐसा त्योहार है जहां सभी जाति और धर्म के लोग एक साथ मिलकर खुशी मनाते हैं।”
कुछ समूहों पर समाज को बांटने का प्रयास करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, “फिर भी, इसके खिलाफ गलत सूचनाओं का एक व्यवस्थित अभियान चलाया गया, जिससे समाज को बांटने का प्रयास किया गया। मेरा मानना है कि अब, उच्चतम न्यायालय के फैसले के साथ, हमारी सरकार का रुख कायम हो गया है।”
इससे पहले कैलेंडर वर्ष 2024 के लिए वड्डारसे रघुराम शेट्टी सामाजिक न्याय पत्रकारिता पुरस्कार और कैलेंडर वर्ष 2017 से 2023 के लिए पर्यावरण और विकास पत्रकारिता पुरस्कार के लिए पुरस्कार वितरण समारोह में सिद्धरमैया ने कहा कि कन्नड़ लेखिका बानू मुश्ताक बुकर पुरस्कार विजेता हैं।
उन्होंने कहा, “जिन लोगों ने उनके चयन का विरोध किया, वे उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय गए। दोनों ही जगहों पर उनकी याचिकाएं खारिज कर दी गईं।” उन्होंने आगे कहा कि दशहरा उद्घाटन कोई धार्मिक मामला नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक मामला है। मुख्यमंत्री ने कहा, “इसके अलावा, यह (दशहरा) राज्य उत्सव है।”
भारत में विभिन्न धर्मों और जातियों के निवास का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, “हमें अन्य धर्मों के प्रति सहिष्णुता रखनी चाहिए और विविधता में एकता के लिए प्रयास करना चाहिए।”
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