वर्ष 2047 तक कटाई बाद नुकसान पांच प्रतिशत से कम करने का लक्ष्य: कृषि मंत्रालय अधिकारी
राजेश राजेश अजय
- 18 Sep 2025, 08:25 PM
- Updated: 08:25 PM
नयी दिल्ली, 18 सितंबर (भाषा) कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार बागवानी में कटाई बाद होने वाले नुकसान को वर्तमान के 15 प्रतिशत से घटाकर वर्ष 2047 तक पांच प्रतिशत से नीचे लाने की योजना बना रही है।
राष्ट्रीय राजधानी में रेफकोल्ड इंडिया-2025 के उद्घाटन के अवसर पर कृषि मंत्रालय में बागवानी विभाग के संयुक्त सचिव प्रिय रंजन ने कहा कि दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बागवानी उत्पादक हमारा देश वर्तमान में 36.5 करोड़ टन के कुल उत्पादन में से लगभग 1.5 करोड़ टन उपज का नुकसान सालाना करता है।
रंजन ने तीन दिवसीय कार्यक्रम में कहा, ‘‘15 प्रतिशत तक की कटाई के बाद होने वाले नुकसान का मतलब लगभग 1.5 करोड़ टन उपज की बर्बादी है - यह न केवल किसानों और उपभोक्ताओं के लिए, बल्कि हमारी पोषण सुरक्षा और अर्थव्यवस्था के लिए भी नुकसानदेह है।’’
एक बयान के अनुसार, सरकार 100 से ज़्यादा अंशधारकों के साथ परामर्श के बाद इंजीनियरिंग दिशानिर्देशों में संशोधन कर रही है, देशव्यापी पहुंच के लिए शीत भंडारण बुनियादी ढांचे का डिजिटलीकरण कर रही है और नुकसान की भरपाई के लिए अखिल भारतीय शीत भंडारण सर्वेक्षण कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘लक्ष्य वर्ष 2047 तक नुकसान को पांच प्रतिशत से नीचे लाना है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि और एक मज़बूत खाद्य प्रणाली में प्रत्यक्ष योगदान होगा।’’
कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात संवर्धन प्राधिकरण (एपीडा) के सचिव सुधांशु ने कहा कि भारत के कोल्ड चेन बुनियादी ढांचे को मज़बूत करना कृषि अर्थव्यवस्था के लिए ज़रूरी है ताकि कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम किया जा सके जो किसानों की आय को कम करते हैं और खाद्य सुरक्षा को कमजोर करते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत की शीत भंडारण श्रृंखला का कोई विकल्प नहीं है; यह किसानों की आय सुरक्षित करने और हमारी वैश्विक उपस्थिति का विस्तार करने के लिए एक आवश्यकता है।’’
सुधांशु ने आगे कहा कि एपीडा खेतों और विदेशी बाज़ारों के बीच की खाई को पाटने के लिए हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर पैकहाउस, कोल्ड स्टोरेज और सुविधाएं बनाने में सहायता कर रहा है।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के निदेशक विवेक कुमार सिंह ने एक सुदृढ़ खाद्य प्रसंस्करण पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के उद्देश्य से तीन प्रमुख योजनाओं की रूपरेखा प्रस्तुत की, जिनमें वैश्विक चैंपियन बनाने को उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन योजना और सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों को समर्थन प्रदान करना शामिल है।
उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि भारत के कोल्ड चेन क्षेत्र के सामने एक अवसर है क्योंकि वैश्विक प्रशीतित परिवहन बाजार के वर्ष 2030 तक 216 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
देश में वर्तमान में 3.2-3.5 करोड़ टन शीत भंडारण क्षमता है, लेकिन पर्याप्त पैक-हाउस, पकने वाले कक्ष और प्रशीतित वाहनों का अभाव है।
भाषा राजेश राजेश