यूजी गणित पाठ्यक्रम के मसौदे में गंभीर खामियां, 900 से अधिक शोधकर्ताओं और गणितज्ञों ने बताया
राखी माधव
- 18 Sep 2025, 08:25 PM
- Updated: 08:25 PM
नई दिल्ली, 18 सितंबर (भाषा) विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से 900 से अधिक शोधकर्ताओं और गणितज्ञों ने गणित के स्नातक पाठ्यक्रम के प्रारूप को वापस लेने की मांग की है। उनका कहना है कि यह ‘‘गंभीर खामियों से भरा’’ है और यदि इसे अपनाया गया तो यह छात्रों की कई पीढ़ियों के भविष्य को नुकसान पहुंचाएगा।
पिछले महीने यूजीसी ने गणित सहित नौ विषयों के स्नातक पाठ्यक्रम का मसौदा जारी किया था और इस पर सुझाव मांगे थे।
यूजीसी अध्यक्ष को भेजे गए ज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि मसौदे में बीजगणित, वास्तविक विश्लेषण और व्यवहारिक गणित जैसे विषयों को पर्याप्त जगह नहीं दी गई है।
ज्ञापन में कहा गया है, "बीजगणित में कटौती की गई है...स्नातक पाठ्यक्रम में बीजगणित के कम से कम तीन पाठ्यक्रम आवश्यक होने चाहिए।"
हस्ताक्षरकर्ताओं ने बताया कि प्रोग्रामिंग, संख्यात्मक विधियां और सांख्यिकी जैसे महत्वपूर्ण व्यावहारिक विषय मूल पाठ्यक्रम में शामिल नहीं किए गए हैं या बिना व्यावहारिक प्रशिक्षण के सतही रूप से प्रदान किए गए हैं।
ज्ञापन के अनुसार, ‘‘व्यावहारिक गणित में कटौती की गई है... सांख्यिकी को एक ही पाठ्यक्रम में समेट दिया गया है। सांख्यिकी, मशीन लर्निंग, कृत्रिम मेधा आदि पाठ्यक्रमों में व्यावहारिक और अनुप्रयोग आधारित घटक होना स्वाभाविक और प्रचलित है, यह अवसर गंवा दिया गया है।’’
मसौदा पाठ्यक्रम के अनुसार यूजीसी ने छात्रों को भारतीय बीजगणित के इतिहास और विकास, परावर्त्य योजनयेत सूत्र (वैदिक गणित की परंपरागत तकनीक, जिसका अर्थ है ‘‘स्थानांतरित करो और लागू करो’’) के जरिये बहुपदों का विभाजन सिखाने की कोशिश है।
यह मसौदा राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत लर्निंग आउटकम-बेस्ड करिकुलम फ्रेमवर्क (एलओसीएफ) से मेल खाता है।
यूजीसी चाहती है कि गणित के स्नातक पाठ्यक्रम में छात्रों को कला गणपना (भारतीय पारंपरिक समय गणना), भारतीय बीजगणित, पुराणों का महत्व, नारद पुराण में वर्णित अंकगणितीय क्रियाओं और ज्यामिति से संबंधित गणितीय अवधारणाओं और तकनीकों का अध्ययन कराया जाए।
प्रस्तावित पाठ्यक्रम में पंचांग (भारतीय कैलेंडर) और यह कैसे महूर्त (त्योहारों और अनुष्ठानों के लिए शुभ समय) निर्धारित करता है, जैसी अवधारणाएं भी शामिल हैं। इसमें प्राचीन वेधशालाएं, उज्जैन का प्रधान मध्यान्ह रेखांश और कैसे प्राचीन भारतीय वैदिक समय इकाइयां (घटी और विघटी) आधुनिक प्रणालियों जैसे ग्रीनविच मीन टाइम (जीएमटी) और भारतीय मानक समय (आईएसटी) से तुलना करती हैं, भी सिखाया जाएगा।
भाषा राखी