डूसू चुनाव में धनबल, बाहुबल का इस्तेमाल रोकने के लिए कुछ करने की जरूरत: अदालत
अमित माधव
- 15 Sep 2025, 09:07 PM
- Updated: 09:07 PM
नयी दिल्ली, 15 सितंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि छात्र संघ चुनाव में धन और बाहुबल का प्रदर्शन रोकने के लिए कुछ किया जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय में चुनाव प्रचार के लिए महंगी लग्जरी गाड़ियों, ट्रैक्टर और जेसीबी का इस्तेमाल किया जा रहा है।
उच्च न्यायालय ने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों, उनके समर्थकों और छात्रों से चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक किसी भी प्रकार का उल्लंघन नहीं करने का ‘‘अनुरोध’’ किया। अदालत ने साथ ही उन्हें आगाह भी किया कि किसी भी उल्लंघन को गंभीरता से लिया जाएगा और इसे इस अदालत की अवमानना माना जाएगा।
वर्ष 2024 में, उम्मीदवारों और उनके समर्थकों द्वारा किए गए विरूपण को देखते हुए, उच्च न्यायालय ने परिणाम पर तब तक रोक लगा दी थी जब तक कि पोस्टर, होर्डिंग और दीवार लेखन सहित सभी विरूपण सामग्री को हटा नहीं दिया जाता और सार्वजनिक संपत्ति को मूल स्वरूप में बहाल नहीं कर दिया जाता।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा, ‘‘छात्र संघ चुनाव में धन और बाहुबल ऐसी चीज है जिसका इस्तेमाल अंत में होता है। बाहुबल और धनबल के प्रदर्शन के खिलाफ कुछ करना होगा। इसे छात्र राजनीति में नहीं घुसने दिया जाना चाहिए। अगर अब भी कोई उल्लंघन या अनियमितता हो रही है, तो उसे तार्किक अंजाम तक पहुंचाना होगा।’’
पीठ ने कहा कि छात्रों को अदालत के आदेशों और उन चिंताओं पर ध्यान देना चाहिए जो केवल पक्षों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि दिल्ली की पूरी आबादी से जुड़ी हैं।
पीठ ने कहा, "हमें पूरी उम्मीद है कि चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक कोई उल्लंघन नहीं होगा।"
अदालत ने कहा कि इस संबंध में, छात्र संगठनों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। उसने कहा कि वह उम्मीद करती है कि उनके संबंधित उम्मीदवारों को संगठनों के पदाधिकारियों द्वारा तदनुसार निर्देश दिए जाने चाहिए।
पीठ ने कहा कि उम्मीदवारों को कानून अपने हाथ में लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि उन्हें जिम्मेदार नागरिक होने की आवश्यकता है और वे भविष्य में भी पदों पर आसीन होने वाले हैं।
पीठ ने कहा, ‘‘हम समग्र तथ्यों, परिस्थितियों और याचिका के पक्षकारों द्वारा दिए गए आश्वासनों को ध्यान में रखते हुए, छात्रों, उम्मीदवारों और समर्थकों से अनुरोध करते हैं कि वे किसी भी प्रकार का उल्लंघन न करें... हम केवल एक चेतावनी जारी कर सकते हैं कि किसी भी उल्लंघन को गंभीरता से लिया जाएगा और इसे अदालत की अवमानना माना जाएगा।"
अदालत अधिवक्ता प्रशांत मनचंदा की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने डूसू चुनावों को व्यवस्थित तरीके से संपन्न कराने के लिए दिशानिर्देशों और नियमों के उल्लंघन पर चिंता जताई थी।
तस्वीरों और वीडियो पर गौर करने के बाद, पीठ ने प्रथम दृष्टया परिसर में जारी छात्र प्रचार अभियानों के दौरान कई उल्लंघन पाए।
मतदान 18 सितंबर को होगा, जबकि मतगणना 19 सितंबर को निर्धारित है।
अदालत ने मामले को मंगलवार के लिए सूचीबद्ध किया और दिल्ली पुलिस और दिल्ली विश्वविद्यालय को अपनी स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। साथ ही छात्र संगठनों से भी उनके द्वारा उठाए गए कदमों का विवरण देते हुए अपनी रिपोर्ट दाखिल करने को कहा।
सुनवाई के दौरान, दिल्ली पुलिस, यातायात पुलिस और दिल्ली विश्वविद्यालय के वकीलों ने अदालत को चुनाव के दौरान छात्रों द्वारा मानदंडों और दिशानिर्देशों का उल्लंघन न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए उनके द्वारा उठाए जा रहे कदमों से अवगत कराया।
दिल्ली पुलिस के वकील ने कहा कि 695 चालान जारी किए गए हैं और कई कार और दोपहिया वाहनों को ज़ब्त किया गया है। उन्होंने कहा कि वाहनों को टो करने के लिए प्रमुख चौराहों पर कई यातायात पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के वकील ने यह भी दावा किया कि कोई विरूपण नहीं हुआ है और परिसर साफ-सुथरा है। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा दायर की गई अधिकांश तस्वीरें पुरानी हैं।
याचिकाकर्ता ने दलील दी कि लोग कॉलेज परिसरों में ट्रैक्टर ले जा रहे हैं और जेसीबी उन पर फूल बरसा रही हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘वे छात्राओं के हॉस्टल में घुस रहे हैं। वे 200 बाउंसर के साथ कॉलेज परिसर में घुस रहे हैं। छात्रों के वास्तविक मुद्दों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। वे बस अपनी धाक जमा रहे हैं। वे चुनाव लड़ने और जीतने के लिए बाहुबल और धनबल का इस्तेमाल कर रहे हैं। इन चुनावों में उम्मीदवार करोड़ों रुपये खर्च कर रहे हैं।’’
जब विश्वविद्यालय और पुलिस के वकील ने यह दलील देने की कोशिश की कि कुछ उल्लंघनों और विरूपण को दर्शाने वाली तस्वीरें अदालत द्वारा 10 सितंबर को दिए गए आदेश से पहले की हैं, तो पीठ ने कहा, "जो कुछ हो रहा है, उस पर कार्रवाई करने के लिए आपको अदालत के आदेश की क्या जरूरत है?"
यह बताए जाने पर कि अदालत के आदेश के अनुपालन में, पुलिस और विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों और कॉलेज के प्राचार्यों के बीच एक बैठक हुई थी और वे उठाए जा रहे कदमों और अन्य व्यवस्थाओं से संतुष्ट हैं, अदालत ने कहा, "न्यायाधीशों को छोड़कर सभी संतुष्ट थे। अदालत ही है जो संतुष्ट नहीं है। इसलिए हम यहां खलनायक हैं।"
छात्र संगठनों - नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन आफ इंडिया (एनएसयूआई) और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) - के वकील ने यह भी कहा कि उम्मीदवारों को चुनावों में सभी नियामक मानदंडों का पालन करने के सख्त निर्देश दिए गए हैं।
अदालत ने उनसे कहा, "आपने शहर में आम आदमी के लिए सांस लेना भी मुश्किल कर दिया है।"
पीठ ने कहा कि पिछले साल चुनावों के दौरान, कुछ उम्मीदवारों को सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में अदालत ने तलब किया था और उन्होंने अपना हलफनामा और पश्चाताप भी दर्ज कराया था।
दस सितंबर को अदालत ने कहा था कि दिल्ली विश्वविद्यालय को यह सुनिश्चित करने के लिए और कदम उठाने की ज़रूरत है कि राजधानी में छात्रसंघ चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हों, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने सहित किसी भी प्रतिकूल घटना के बिना।
मनचंदा की याचिका में संभावित डूसू उम्मीदवारों और सार्वजनिक दीवारों को कथित रूप से नुकसान पहुंचाने, उन्हें गंदा करने में शामिल छात्र संगठनों के खिलाफ कार्रवाई का अनुरोध किया गया था।
भाषा अमित