उच्चतम न्यायालय का आदेश निराशाजनक, पूरे वक्फ संशोधन कानून को निरस्त करने की जरूरत: पर्सनल लॉ बोर्ड
हक हक दिलीप
- 15 Sep 2025, 06:18 PM
- Updated: 06:18 PM
नयी दिल्ली, 15 सितंबर (भाषा) ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने वक्फ संशोधन अधिनियम पर उच्चतम न्यायालय के अंतरिम आदेश पर निराशा जताते हुए सोमवार को कहा कि व्यापक संवैधानिक चिंताओं का समाधान नहीं करने के कारण कई प्रावधानों का दुरुपयोग होगा, जबकि इस पूरे कानून को ही निरस्त करने की जरूरत है।
बोर्ड के प्रवक्ता सैयद कासिम रसूल इलियास ने एक बयान में यह भी कहा कि बोर्ड का ‘वक्फ बचाओ अभियान’ जारी रहेगा।
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के कई महत्वपूर्ण प्रावधानों पर रोक लगा दी, जिनमें यह प्रावधान भी शामिल है कि पिछले पांच वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहे लोग ही वक्फ बना सकते हैं। हालांकि, शीर्ष अदालत ने पूरे कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
न्यायालय ने वक्फ संपत्तियों की स्थिति पर निर्णय करने के लिए जिलाधिकारी को दी गई शक्तियों पर भी रोक लगा दी और वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की भागीदारी के विवादास्पद मुद्दे पर फैसला सुनाते हुए निर्देश दिया कि केंद्रीय वक्फ परिषद में 20 में से चार से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होने चाहिए, और राज्य वक्फ बोर्ड में 11 में से तीन से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होने चाहिए।
इलियास ने एक बयान में कहा, ‘‘यद्यपि उच्चतम न्यायालय ने संशोधन के कुछ प्रावधानों पर रोक लगा दी है, लेकिन मुस्लिम समुदाय, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और न्याय चाहने वाले नागरिकों को संविधान के मूलभूत प्रावधानों के विपरीत सभी धाराओं पर रोक की उम्मीद थी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘न्यायालय ने आंशिक राहत दी है, लेकिन इसने व्यापक संवैधानिक चिंताओं का समाधान नहीं किया है, जिससे हमें निराशा हुई है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कई महत्वपूर्ण प्रावधान, जो पूरी तरह से मनमाने हैं, अंतरिम चरण में उन पर रोक नहीं लगाई गई है। अंतिम निर्णय अभी आना बाकी है, लेकिन जिस तरह से सरकारी अधिकारी पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर काम करते हैं, उससे हमारा मानना है कि जिन प्रावधानों पर इस स्तर पर रोक नहीं लगाई गई है, उनका दुरुपयोग होगा।’’
इलियास के अनुसार, बोर्ड का कहना है कि यह संपूर्ण संशोधन वक्फ संपत्तियों को कमज़ोर करने और उन पर कब्ज़ा करने की एक जानबूझकर की गई चाल है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, बोर्ड वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को पूरी तरह से निरस्त करने और पूर्ववर्ती वक्फ अधिनियम को बहाल करने की मांग करता है। संपूर्ण अधिनियम पर रोक लगाने से इनकार करने से कई अन्य हानिकारक प्रावधान लागू रहेंगे, जिनमें ‘उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ’ की संभावित मान्यता रद्द करना और वक्फ विलेख (डीड) की अनिवार्य आवश्यकता शामिल है। ये इस्लामी कानून के स्थापित सिद्धांतों के विरुद्ध है।’’
इलियास ने कहा, ‘‘बोर्ड का ‘वक्फ बचाओ अभियान’ पूरी ताकत से जारी रहेगा। एक सितंबर 2025 को शुरू होने वाले अभियान के दूसरे चरण में धरने, प्रदर्शन, वक्फ मार्च, ज्ञापन, गिरफ्तारियां देने, गोलमेज बैठकें, सर्वधर्म सम्मेलन और संवाददाता सम्मेलन शामिल हैं। राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन 16 नवंबर, 2025 को दिल्ली के रामलीला मैदान में एक विशाल रैली के साथ समाप्त होगा, जिसमें देश भर से भागीदारी होगी।’’
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