नाबालिग को हिरासत में प्रताड़ित करने संबंधी याचिका पर सुनवाई से उच्चतम न्यायालय का इनकार
नेत्रपाल अविनाश
- 15 Sep 2025, 03:14 PM
- Updated: 03:14 PM
नयी दिल्ली, 15 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को उस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया जिसमें गुजरात पुलिस पर 17 वर्षीय एक किशोर को हिरासत में यातना देने और यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया गया था। इसने याचिकाकर्ता से उच्च न्यायालय जाने को कहा।
न्यायमूर्ति विक्रमनाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा, ‘‘हमें आपके प्रति पूरी सहानुभूति है, लेकिन आपने उच्च न्यायालय का दरवाजा क्यों नहीं खटखटाया?’’
वकील ने नाबालिग के साथ कथित तौर पर की गई क्रूरता का उल्लेख किया।
पीठ ने दोहराया, ‘‘हमारा प्रश्न यह है कि आप अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय का दरवाजा क्यों नहीं खटखटा सकते?’’
वकील ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नयी दिल्ली को एक मेडिकल बोर्ड गठित करने तथा नाबालिग को लगी चोटों की प्रकृति और सीमा के बारे में अदालत को रिपोर्ट सौंपने का निर्देश देने के लिए किए गए निवदेनों में से एक का उल्लेख किया।
पीठ ने पूछा, ‘‘क्या उच्च न्यायालय इसकी अनुमति नहीं दे सकता?’’
इसके बाद वकील ने कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा इस प्रार्थना पर विचार किया जा सकता है।
कुछ ऐसे ही उदाहरणों का उल्लेख करते हुए वकील ने कहा, ‘‘लेकिन मुद्दा यह है। इस मामले से परे, नाबालिगों को पुलिस हिरासत में प्रताड़ित करने के व्यापक अखिल भारतीय निहितार्थ हैं।’’
पीठ ने हालांकि कहा, ‘‘आप उच्च न्यायालय जाएँ और अगर उच्च न्यायालय आपके मामले पर विचार नहीं करता, तो आप वापस आएँ। हम आपके अनुरोध पर विचार करेंगे।’’
शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता के इस अनुरोध को भी अस्वीकार कर दिया कि नाबालिग को लगी चोटों के संबंध में एम्स, नयी दिल्ली को रिपोर्ट देने का निर्देश दिया जाए।
वकील ने उच्च न्यायालय में जाने पर सहमति जताते हुए उच्चतम न्यायालय से अनुरोध किया कि वह बोटाद शहर थाने की सीसीटीवी फुटेज को संरक्षित करने का आदेश देने पर विचार करे।
उन्होंने कहा, ‘‘आज मेरी चिंता यह है। जब तक मैं उच्च न्यायालय जाऊंगा, तब तक सीसीटीवी फुटेज नष्ट हो चुकी होगी।’’
पीठ ने उन्हें याचिका वापस लेने की अनुमति देते हुए कहा, ‘‘यदि आप समय पर वहां चले जाएं तो यह नष्ट नहीं होगी।’’
कथित पीड़ित की बहन द्वारा दायर याचिका में शीर्ष अदालत की निगरानी में घटना की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (जिसमें गुजरात कैडर के पुलिस अधिकारी शामिल नहीं हों) गठित करने का निर्देश देने सहित कई राहत मांगी गई थी।
वैकल्पिक रूप से, याचिका में अदालत की निगरानी में सीबीआई जांच के लिए निर्देश देने का आग्रह किया गया।
याचिका में दावा किया गया कि गुजरात में बोटाद शहर की पुलिस ने सोने और नकदी की चोरी में भूमिका होने के संदेह में नाबालिग को 18 अगस्त को पकड़ा था।
इसमें आरोप लगाया गया कि वह 19 अगस्त से 28 अगस्त तक अवैध हिरासत में रहा और थाने में पुलिस अधिकारियों ने उसकी बेरहमी से पिटाई की तथा यौन उत्पीड़न किया।
याचिका में आरोप लगाया गया कि नाबालिग लड़के को गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर न तो किशोर न्याय बोर्ड और न ही मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया तथा इसके अलावा, पुलिस ने गिरफ्तारी के बाद उसकी मेडिकल जांच भी नहीं कराई।
भाषा नेत्रपाल