बाराबंकी और लखनऊ में नशीली दवाओं की जब्ती के मामलों में तेज वृद्धि
किशोर आनन्द जोहेब
- 14 Sep 2025, 04:07 PM
- Updated: 04:07 PM
(किशोर द्विवेदी)
लखनऊ, 14 सितंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश में पिछले दो वर्षों में मादक पदार्थों पदार्थों की जब्ती के मामलों में तेज वृद्धि देखी गई है और राजधानी लखनऊ और पड़ोसी बाराबंकी इसके केंद्र बनकर उभरे हैं। आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी सामने आई है।
केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो (सीबीएन) के अधिकारियों ने बताया कि लाखों की संख्या में ‘अल्प्राजोलम’ की गोलियों की खेप से लेकर ट्रामाडोल, ब्यूप्रेनॉर्फिन, कोडीन और यहां तक कि गोली बनाने में इस्तेमाल होने वाले कच्चे पाउडर की बरामदगी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में फैले एक संगठित अवैध मादक पदार्थ नेटवर्क की ओर इशारा करती है।
ऐसी दवाओं को इसलिए जब्त किया जाता है क्योंकि इनका अवैध व्यापार कुछ लोगों के बीच लत का कारण बन सकता है, और कुछ मामलों में जरूरत से अधिक सेवन मौत का कारण भी बन सकता है।
अल्प्राजोलम, ट्रामाडोल, ब्यूप्रेनॉर्फिन और कोडीन को स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम(एनडीपीएस) अधिनियम, 1985 के तहत नियंत्रित किया जाता है। इस अधिनियम के तहत सीबीएन जैसी एजेंसियों को उनकी तस्करी या अवैध निर्माण में शामिल अपराधियों को रोकने, मादक पदार्थ जब्त करने और मुकदमा चलाने का अधिकार होता है।
‘पीटीआई-भाषा’ को मिले आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, बाराबंकी बार-बार एक प्रमुख केंद्र के रूप में सामने आया है। अकेले 2024 में, कई छापों के परिणामस्वरूप अल्प्राजोलम और एनआरएक्स दवाओं का भारी भंडार जब्त किया गया। कई मामलों में एक बार में 60,000 से लेकर 3.2 लाख तक गोलियां जब्त की गईं।
यह प्रवृत्ति 2025 तक जारी रही है। जिले में अल्प्राजोलम पाउडर की बरामदगी भी हुई, जो गुप्त उत्पादन में इसके उपयोग का संकेत देता है।
इस बीच, लखनऊ भी इस वर्ष राज्य में नशीली दवाओं की जब्ती का प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है। 16 जुलाई को एक ही छापे में 18.47 लाख से ज़्यादा अल्प्राजोलम टैबलेट, 2.19 लाख ट्रामाडोल टैबलेट, 13,175 ब्यूप्रेनॉर्फिन इंजेक्शन के एम्प्यूल, 700 पेंटाज़ोसिन एम्प्यूल और 5,355 कोडीन की बोतलें बरामद हुईं, जो राजधानी में सीबीएन द्वारा अब तक की सबसे बड़ी ज़ब्ती है।
इस मामले में एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, "ये जब्ती हाल के दिनों में देखी गई दवाओं के बढ़ते दुरुपयोग और निरंतर निगरानी व कार्रवाई की ज़रूरत को दर्शाती है।"
प्रवर्तन रिकॉर्ड यह भी दर्शाते हैं कि यह समस्या अब कुछ ही इलाकों तक सीमित नहीं है। 2024 में बाराबंकी (जनवरी, अप्रैल और मई) से और बिजनौर (सितंबर) तथा वाराणसी (दिसंबर) में एक-एक बार जब्ती की गई
हालांकि, इस साल अगस्त तक जब्ती की संख्या दोगुनी से भी ज़्यादा हो गई है। बाराबंकी (जनवरी, अगस्त) से दो बार, लखनऊ (मई, जुलाई में दो बार) और बरेली (फरवरी), वाराणसी (जून), आगरा (जून) में एक-एक बार सफल छापे मारे गए।
वाराणसी से ट्रामाडोल की गोलियां और कोडीन की बोतलें ज़ब्त की गईं जबकि बरेली से एक किलोग्राम अल्प्राज़ोलम पाउडर बरामद किया गया। इससे पता चलता है कि अवैध व्यापार में कच्चे माल का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।
अधिकारियों ने बताया कि 2024 में जहां गोलियों, खासकर अल्प्राज़ोलम और एनआरएक्स, की खेप ज़्यादा जब्त हुईं, वहीं अगले साल पाउडर, इंजेक्शन और सिरप की खेप भी बरामद हुईं।
भाषा किशोर आनन्द