ठाणे में दंगा मामले में सभी 17 आरोपी बरी
जोहेब अमित
- 14 Sep 2025, 02:52 PM
- Updated: 02:52 PM
ठाणे, 14 सितंबर (भाषा) ठाणे की एक अदालत ने 2015 के दंगा मामले में सभी 17 आरोपियों को बरी कर दिया, जिसमें पुलिसकर्मी घायल हुए थे और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा था। अदालत ने आरोपियों को ‘‘पहचान करने में पूरी तरह विफलता’’ और गंभीर जांच चूक का हवाला देते हुए बरी कर दिया।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वसुधा एल. भोसले ने आठ सितंबर को सुनाये गए फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष के साक्ष्य आरोपियों के अपराध को उचित संदेह से परे साबित करने के लिए अपर्याप्त थे। फैसले की एक प्रति रविवार को उपलब्ध कराई गई।
घटना दो जनवरी, 2015 को हुई थी, जब महाराष्ट्र के ठाणे जिले के दिवा रेलवे स्टेशन पर एक भीड़ जमा हो गई थी।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, हथियारों से लैस भीड़ ने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था और स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे पुलिस अधिकारियों पर हमला किया था।
इस मामले में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसके बाद 19 लोगों को गिरफ्तार किया गया। दो आरोपियों संतोष पांडुरंग सकपाल और बिंटू महावीर चौहान की मुकदमे के दौरान मृत्यु हो गई।
अदालत ने कहा, ‘‘किसी भी गवाह ने किसी विशेष आरोपी को किसी विशेष आपराधिक कृत्य के साथ चिह्नित नहीं किया। सभी गवाहियों में सामूहिक आरोप लगाए गए हैं, जो 'गुमनाम भीड़' के विरुद्ध हैं, ताकि आरोपियों को आपराधिक रूप से उत्तरदायी ठहराया जा सके। अभियोजन पक्ष का प्रत्येक गवाह एक पुलिस अधिकारी है। अभियोजन पक्ष ने किसी भी यात्री, दुकानदार या रेलवे कर्मचारी से पूछताछ नहीं की।"
न्यायाधीश ने कहा कि पुलिस गवाहों की गवाही काफी हद तक वीडियो रिकॉर्डिंग पर निर्भर थी, जिसे अस्वीकार्य माना गया।
अदालत ने कहा, ‘‘अभियोजन पक्ष द्वारा तैयार किया गया पंचनामा दोषपूर्ण प्रतीत होता है, साथ ही विशेषज्ञों द्वारा संपत्ति का मूल्यांकन भी नहीं किया गया था। प्राथमिकी में देरी के बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है।"
अदालत ने कहा कि प्रस्तुत चिकित्सा साक्ष्य भी अपर्याप्त पाए गए, घायल पुलिस अधिकारी की रिपोर्ट में केवल सामान्य चोट दिखाई गई, जिनके बारे में चिकित्सा अधिकारी ने स्वीकार किया कि ये चोट गिरने से हो सकती हैं।
अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि अभियोजन पक्ष एक समान उद्देश्य से गैरकानूनी सभा को साबित करने में विफल रहा।
उसने कहा कि पथराव के आरोपों की पुष्टि मेडिकल रिपोर्ट या स्वतंत्र गवाहों से नहीं हुई तथा शरारत और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप भी उचित मूल्यांकन रिपोर्ट या विशेषज्ञ साक्ष्य से साबित नहीं हुए हैं।
अदालत ने कहा, ‘‘पहचान पूरी तरह से विफल रही, चिकित्सा और स्वतंत्र साक्ष्यों का अभाव है और जांच में गंभीर खामियां हैं।’’
अदालत ने 38 से 56 वर्ष की आयु के 17 आरोपियों को उनके खिलाफ लगे सभी आरोपों से बरी कर दिया।
भाषा जोहेब