सोशल मीडिया से बच्चे सीख रहे हैं एआई का उपयोग, शिक्षक कैसे बनाए रखें अपनी गति?
द कन्वरसेशन मनीषा माधव
- 11 Sep 2025, 05:40 PM
- Updated: 05:40 PM
(जोनाथरन वुडवर्थ, माउंट सेंट विन्सेंट विश्वविद्यालय)
हैलिफैक्स (कनाडा), 11 सितम्बर (द कन्वरसेशन) कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) निबंध लेखन, भाषाओं का अभ्यास और गृह कार्य पूरा करने के तरीकों को तेजी से बदल रही है। शिक्षक भी अब पाठ योजना, मूल्यांकन और फीडबैक के लिए एआई उपकरणों का प्रयोग कर रहे हैं। लेकिन यह बदलाव इतनी शीघ्रता से हो रहा है कि स्कूल, विश्वविद्यालय और नीति-निर्माता इसके साथ कदम मिलाने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं।
इस तेज बदलाव के बीच अक्सर एक बुनियादी सवाल छूट जाता है — छात्र और शिक्षक वास्तव में एआई का उपयोग सीख कैसे रहे हैं?
वर्तमान में यह सीखना अधिकांशतः अनौपचारिक तरीकों से हो रहा है। छात्र टिकटॉक या डिस्कॉर्ड पर सुझाव साझा करते हैं या चैटजीपीटी से निर्देश लेते हैं। शिक्षक स्टाफ रूम में आपस में चर्चा करते हैं या लिंक्डइन पर जानकारी हासिल करते हैं।
हालांकि यह नेटवर्क जानकारी तेजी से फैलाते हैं, लेकिन इसमें पूर्वाग्रह, निगरानी या समानता जैसे गहरे मुद्दों पर विचार नहीं होता। यहीं पर औपचारिक शिक्षक प्रशिक्षण एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
जिज्ञासा से आगे बढ़कर
शोध से पता चला है कि अधिकतर शिक्षक एआई के लिए तैयार नहीं हैं। हालिया अध्ययन में पाया गया कि कई शिक्षकों को एआई उपकरणों की विश्वसनीयता और नैतिकता का आकलन करने का कौशल प्राप्त नहीं है।
व्यावसायिक प्रशिक्षण आमतौर पर तकनीकी प्रशिक्षण तक ही सीमित रहता है, जबकि व्यापक सामाजिक और नैतिक पहलुओं की अनदेखी की जाती है। बिना आलोचनात्मक दृष्टिकोण के एआई का उपयोग पूर्वाग्रह और असमानता को बढ़ावा दे सकता है।
इस समस्या को समझते हुए, माउंट सेंट विन्सेंट विश्वविद्यालय में एक स्नातक स्तरीय पाठ्यक्रम में मैंने एक व्यावसायिक विकास मॉड्यूल तैयार किया। इसमें शिक्षक प्रशिक्षुओं को निम्नलिखित गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया गया :
(1) एआई उपकरणों के जरिए फीडबैक और नकल की पहचान का व्यावहारिक अभ्यास,
(2) एआई के उपयोग को शामिल करते हुए मूल्यांकन डिजाइन करना,
(3) बहुभाषी कक्षा में नैतिक दुविधाओं का केस विश्लेषण।
इसका उद्देश्य केवल एआई चलाना सीखना नहीं था, बल्कि आलोचनात्मक सोच विकसित करना था।
भविष्य के शिक्षकों के लिए आलोचनात्मक सोच
इन सत्रों के दौरान एक स्पष्ट चलन उभरा—शिक्षक प्रशिक्षु एआई को लेकर बेहद उत्साहित थे और यह उत्साह अंत तक बना रहा। उन्होंने दावा किया कि अब वे उपकरणों का मूल्यांकन बेहतर कर सकते हैं, पूर्वाग्रहों को पहचान सकते हैं और एआई का विवेकपूर्ण उपयोग कर सकते हैं।
सबसे उल्लेखनीय बात यह थी कि एआई से संबंधित उनकी भाषा भी बदल गई। शुरुआत में जहां वे भ्रमित थे, वहीं बाद में वे “एल्गोरिदमिक पूर्वाग्रह” और “सूचित सहमति” जैसे शब्दों का आत्मविश्वास से उपयोग करने लगे।
एआई साक्षरता को उन्होंने केवल तकनीकी कौशल के रूप में नहीं, बल्कि व्यावसायिक निर्णय के रूप में देखा — जो शिक्षाशास्त्र, सांस्कृतिक उत्तरदायित्व और उनकी शिक्षक पहचान से जुड़ा है।
यह प्रायोगिक कार्यक्रम दर्शाता है कि उत्साह की कमी नहीं है, बल्कि जरूरत है संरचित शिक्षा की, जो सोचने की भाषा और ज़िम्मेदारी का भाव दे सके।
संस्थागत असंगतियाँ
यह कक्षा आधारित अनुभव वैश्विक स्तर पर संस्थागत चुनौतियों को भी दर्शाता है। दुनिया भर के विश्वविद्यालयों ने एआई पर असंगत नीतियां अपनाई हैं—कुछ इसे प्रतिबंधित करते हैं, कुछ सावधानीपूर्वक समर्थन करते हैं और कई इसकी स्थिति स्पष्ट नहीं करते। इससे भ्रम और अविश्वास उत्पन्न होता है।
सहकर्मी एमिली बैलेंटाइन के साथ, हमने कनाडा के उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए एआई नीति ढांचे का विश्लेषण किया। संकायों ने एआई की संभावनाओं को स्वीकार किया, लेकिन समानता, शैक्षणिक ईमानदारी और कार्यभार को लेकर चिंता भी जताई।
हमने एक “संबंधात्मक और भावनात्मक” दृष्टिकोण को नीति में शामिल करने का सुझाव दिया, क्योंकि एआई केवल दक्षता नहीं बल्कि शिक्षण संबंधों और विश्वास को भी प्रभावित करता है।
संक्षेप में, एआई का कक्षा में समावेश शिक्षक-छात्र संबंधों को फिर से परिभाषित करता है और शिक्षकों की पेशेवर भूमिका को भी बदलता है। जब संस्थान स्पष्ट दिशा नहीं देते, तब शिक्षक स्वयं “नैतिक विशेषज्ञ” बन जाते हैं—बिना किसी संस्थागत समर्थन के।
एआई साक्षरता को पाठ्यक्रम में शामिल करना
नीतियां ज़रूरी हैं लेकिन अकेले पर्याप्त नहीं। एआई को वास्तव में शिक्षा का सहायक बनाने के लिए संस्थानों को ऐसी सोच और आदतों में निवेश करना होगा जो इसके विवेकपूर्ण उपयोग को संभव बनाएं।
शिक्षक शिक्षा को एआई साक्षरता का नेतृत्व करना चाहिए : यदि एआई पढ़ने-लिखने और मूल्यांकन को बदल रहा है, तो यह सिर्फ एक वैकल्पिक कार्यशाला नहीं हो सकता। इसे पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाना चाहिए।
नीतियां स्पष्ट और व्यावहारिक हों : शिक्षक प्रशिक्षुओं ने बार-बार पूछा, “विश्वविद्यालय की अपेक्षा क्या है?” संस्थानों को एआई के अनुचित (घोस्ट राइटिंग) और उचित (फीडबैक सपोर्ट) उपयोग में अंतर स्पष्ट करना चाहिए।
सीखने वाले समुदाय आवश्यक हैं : एआई का ज्ञान स्थिर नहीं है। जैसे-जैसे उपकरण और मानदंड बदलते हैं, वैसे-वैसे ज्ञान भी बदलता है। फैकल्टी सर्कल, साझा संसाधन और अंतरविषयक मंच शिक्षक समुदायों को सहयोग और बहस का अवसर प्रदान कर सकते हैं।
समानता को केंद्र में रखें : एआई उपकरण अक्सर अपने प्रशिक्षण डेटा से पूर्वाग्रह लेते हैं और बहुभाषी छात्रों के लिए चुनौतियाँ पैदा करते हैं। संस्थानों को समानता मूल्यांकन करने चाहिए और पहुंच के मानकों से एआई अपनाने की प्रक्रिया को जोड़ना चाहिए।
लोगों में एआई को लेकर चर्चा या तो नवाचार के उत्साह या नकल की आशंका के बीच झूलती है। लेकिन यह दृष्टिकोण छात्रों और शिक्षकों के एआई सीखने की वास्तविक जटिलता को नहीं पकड़ता।
अनौपचारिक नेटवर्क त्वरित सुझाव दे सकते हैं, लेकिन वे नैतिक समझ विकसित नहीं करते। इसके लिए संरचित और औपचारिक शिक्षक शिक्षा आवश्यक है।
जब शिक्षकों को एआई का अन्वेषण करने के लिए सुव्यवस्थित अवसर मिलते हैं, तो वे तकनीक के उपयोगकर्ता से निर्देशक की भूमिका में आ जाते हैं। यह बदलाव महत्वपूर्ण है, ताकि शिक्षक केवल तकनीकी बदलावों के प्रति प्रतिक्रियाशील न रहें, बल्कि सीखने, समानता और शिक्षाशास्त्र को सशक्त बनाने के लिए एआई के उपयोग की दिशा निर्धारित कर सकें।
द कन्वरसेशन मनीषा