असम: कोच-राजबोंगशी छात्र संगठन के 12 घंटे के बंद से धुबरी में सामान्य जनजीवन प्रभावित
वैभव सुरेश
- 11 Sep 2025, 05:40 PM
- Updated: 05:40 PM
गुवाहाटी, 11 सितंबर (भाषा) असम के धुबरी जिले में कथित पुलिस ज्यादतियों के विरोध में ऑल कोच-राजबोंगशी स्टूडेंट्स यूनियन (एकेआरएसयू) द्वारा बृहस्पतिवार को आहूत 12 घंटे के बंद के कारण सामान्य जनजीवन प्रभावित रहा।
बंद समर्थकों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने बीती रात जिले के गोलकगंज कस्बे में एकेआरएसयू द्वारा निकाले गए मशाल जुलूस के दौरान प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार ने गोलकगंज थाने के प्रभारी अधिकारी को निलंबित कर दिया है, जबकि गौरीपुर थाने के प्रभारी को अगले आदेश तक ‘रिजर्व क्लोज्ड’ (ड्यूटी से हटाना) कर दिया गया है।
सुबह छह बजे शुरू हुए बंद से धुबरी में सामान्य जनजीवन बाधित रहा और बांग्लादेश की सीमा से लगे पूरे जिले में सुरक्षा कड़ी कर दी गई।
एकेआरएसयू ने बुधवार रात को मशाल जुलूस निकालकर कोच-राजबोंगशी समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने और एक अलग राज्य की मांग की थी।
प्रदर्शनकारियों को चिलारई कॉलेज से गोलकगंज बाजार की ओर बढ़ते समय पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने रोक लिया और झड़प हो गई, जिसमें महिलाओं सहित कई लोग घायल हो गए।
प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि पुलिस ने उनपर लाठीचार्ज किया, जबकि वे शांतिपूर्वक आगे बढ़ रहे थे।
इस घटना के बाद, सुरक्षा बलों की कथित ज्यादती के विरोध में एकेआरएसयू ने बंद का आह्वान किया।
मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने पीएचईडी मंत्री जयंत मल्ला बरुआ को स्थिति का आकलन करने के लिए शहर का दौरा करने का निर्देश दिया।
मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने कहा, ‘‘धुबरी के गोलकगंज में प्रशासन और जनता के बीच गलतफहमी के कारण हुई एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना की खबरों के बाद, मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने मंत्री जयंत मल्ला को घटनास्थल का दौरा करने और स्थिति का आकलन करने का निर्देश दिया।’’
मंत्री धुबरी पहुंचे, घायलों की स्थिति का जायजा लिया और स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से चिकित्सा सहायता सुनिश्चित की।
सीएमओ ने कहा कि उन्होंने समुदाय के नेताओं से भी मुलाकात की और उनसे शांति बनाए रखने का आग्रह किया।
सीएमओ ने कहा, ‘‘संबंधित अधिकारियों के खिलाफ जांच के आदेश दे दिए गए हैं और पांच दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपनी है। असम सरकार ऐसी घटनाओं को रोकने और जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।’’
असम कांग्रेस अध्यक्ष गौरव गोगोई ने घटना की निंदा की और मुख्यमंत्री पर मूल निवासियों और युवाओं के प्रति उदासीन होने का आरोप लगाया।
गोगोई ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘मैं गोलकगंज में कोच-राजबोंगशी छात्रों पर हुए क्रूर हमले की कड़ी निंदा करता हूं, जो शांतिपूर्वक तरीके से अनुसूचित जनजाति का दर्जा पाने की अपनी जायज मांग उठा रहे थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह शर्मनाक घटना असम सरकार की मूल निवासियों के अधिकारों और सम्मान के प्रति उपेक्षा को उजागर करती है। मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा की मूल निवासियों और युवाओं के प्रति उदासीनता उजागर हो गई है।’’
गोगोई ने कहा कि असम के युवा सम्मान, संवाद और अवसर के हकदार हैं, दमन और उपेक्षा के नहीं।
असम के छह समुदाय- कोच-राजबोंगशी, ताई-अहोम, चुटिया, मटक, मोरन और चाय-जनजातियां लंबे समय से अनुसूचित जनजाति का दर्जा मांग रही हैं। इसके अलावा, एकेआरएसयू एक अलग ‘कामतापुर’ राज्य के निर्माण के लिए दबाव बना रहा है।
भाषा वैभव