दादी का पोते के साथ रिश्ता उसे बच्चे की अभिरक्षा का अधिकार नहीं देता : बंबई उच्च न्यायालय
रवि कांत रवि कांत नरेश
- 05 Sep 2025, 03:41 PM
- Updated: 03:41 PM
मुंबई, पांच सितंबर (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय का कहना है कि दादी का पोते के साथ रिश्ता उसे माता-पिता की अपेक्षा बच्चे की अभिरक्षा का अधिकार नहीं देता है।
अदालत ने एक मामले में यह टिप्पणी करते हुए एक महिला को निर्देश दिया है कि वह अपने पांच वर्षीय पोते की अभिरक्षा बच्चे के जैविक माता-पिता को लौटा दे।
बच्चा अपनी दादी की देखभाल में था, क्योंकि बच्चे के माता-पिता को मस्तिष्क पक्षाघात से पीड़ित उसके जुड़वां भाई की देखभाल करनी थी।
हालांकि, संपत्ति को लेकर विवाद के कारण बच्चे के पिता ने अपनी 74 वर्षीय मां से बच्चे की अभिरक्षा (कस्टडी) सौंपने को कहा। लेकिन, जब महिला ने बच्चे की अभिरक्षा सौंपने से इनकार कर दिया तो उसके पिता ने उच्च न्यायालय का रुख किया।
बच्चे की दादी ने इस याचिका का विरोध करते हुए दावा किया कि वह जन्म से ही बच्चे की देखभाल कर रही हैं और उनके बीच भावनात्मक रिश्ता है।
न्यायमूर्ति रवींद्र घुगे और न्यायमूर्ति गौतम अंखड की पीठ ने बृहस्पतिवार को कहा कि दादी का बच्चे के साथ भावनात्मक रिश्ता हो सकता है, लेकिन इस तरह का लगाव उसे जैविक माता-पिता की तुलना में बच्चे की देखभाल का अधिकार नहीं देता है।
अदालत ने कहा कि बच्चे पर जैविक माता-पिता के अधिकारों को केवल तभी सीमित किया जा सकता है, जब यह साबित हो जाए कि उन्हें बच्चे की अभिरक्षा प्रदान करना बच्चे के कल्याण के लिए हानिकारक होगा।
उच्च न्यायालय ने कहा कि बच्चे के माता-पिता के बीच कोई वैवाहिक विवाद नहीं है, तथा पिता शहर के नगर निकाय में कार्यरत हैं और ऐसा कोई भी साक्ष्य नहीं है जिससे पता चले कि वे बच्चे की देखभाल करने में असमर्थ हैं।
अदालत ने कहा कि बच्चे को उसके माता-पिता और दादी के बीच विवाद के कारण उनकी देखभाल से वंचित नहीं किया जा सकता। संपत्ति संबंधी विवादों के कारण माता-पिता को उनके बच्चे की वैध अभिरक्षा से वंचित नहीं किया जा सकता।
पीठ ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता को जैविक पिता और प्राकृतिक अभिभावक होने के नाते अपने बच्चे की अभिरक्षा का दावा करने का निर्विवाद कानूनी अधिकार है।
अदालत ने दादी की इस दलील को स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि याचिकाकर्ता और उसकी पत्नी भावनात्मक और आर्थिक रूप से जुड़वा बच्चों की देखभाल करने में असमर्थ हैं।
हालांकि, अदालत ने माता-पिता को निर्देश दिया कि वे बच्चे की दादी को उससे मिलने की अनुमति दें।
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