गोयल ने वैश्विक व्यापार अनिश्चितताओं से निपटने के लिए निर्यातकों को दिया मदद का आश्वासन
रमण अजय
- 03 Sep 2025, 09:40 PM
- Updated: 09:40 PM
नयी दिल्ली, तीन सितंबर (भाषा) वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को निर्यातकों को अमेरिकी शुल्क से निपटने में हरसंभव मदद का आश्वासन दिया। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
गोयल ने बदलते वैश्विक व्यापार परिदृश्य के बीच भारतीय निर्यातकों के हितों की रक्षा के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहरायी।
उन्होंने उद्योग प्रतिनिधियों को आश्वासन दिया कि सरकार निर्यातकों को हाल की चुनौतियों से निपटने में मदद के लिए एक अनुकूल परिवेश बनाने में सक्रिय रूप से लगी हुई है।
मंत्री ने निर्यातकों से उत्पाद की गुणवत्ता सुधारने, वैश्विक मानकों के अनुरूप ढलने, आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने और वैकल्पिक बाजार तलाशने का आग्रह किया।
वाणिज्य मंत्रालय ने निर्यात संवर्धन परिषदों (ईपीसी) और उद्योग संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक में इन मुद्दों पर चर्चा की। इसका उद्देश्य बढ़ते वैश्विक शुल्क पर विचार करना, समाधान तलाशना और बदलते व्यापार परिदृश्य के बीच आगे का रास्ता तैयार करना था।
अधिकारी ने कहा, ‘‘उन्होंने ईपीसी और उद्योग प्रतिनिधियों को आश्वासन दिया कि सरकार व्यापार सुगमता उपायों, लक्षित व्यापार समर्थन और बढ़ते शुल्क उपायों के प्रभाव को कम करने के लिए समय पर नीतिगत हस्तक्षेप के माध्यम से एक अनुकूल परिवेश प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।’’
सरकार एक निर्यात संवर्धन मिशन पर काम कर रही है। इस मिशन के लिए 2,250 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है। तत्काल या अल्पकालिक प्रतिक्रिया के रूप में, सरकार नकदी को आसान बनाने, ऋण शोधन अक्षमता को रोकने, विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) में इकाइयों के लिए अधिक लचीलापन प्रदान करने और लक्षित आयात प्रतिस्थापन को बढ़ावा देने के लिए कई कदमों पर विचार कर रही है।
एक निर्यातक ने कहा कि राजकोषीय प्रोत्साहन, ब्याज सब्सिडी योजना की बहाली और बाजार पहुंच पहल के तहत कोष उपलब्ध कराने समेत अन्य मामले रखे गये हैं।
हालांकि, निर्यातक ने कहा कि सब्सिडी सहायता बढ़ाने की संभावना नहीं है।
चर्चा मुख्य रूप से अमेरिका द्वारा भारतीय उत्पादों पर 50 प्रतिशत का भारी शुल्क लगाने से संबंधित हाल के घटनाक्रमों पर केंद्रित थी।
निर्यातकों और उद्योग प्रतिनिधियों ने इन शुल्क बाधाओं से उत्पन्न चुनौतियों, प्रमुख अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारतीय वस्तुओं की प्रतिस्पर्धी क्षमता पर उनके प्रभाव का जिक्र किया और लक्षित, क्षेत्र-विशिष्ट हस्तक्षेपों की जरूरत बतायी।
भाषा रमण