एफडीआई चालू वित्त वर्ष की जून तिमाही में 15 प्रतिशत बढ़कर 18.62 अरब डॉलर पर, अमेरिका से निवेश बढ़ा
रमण अजय
- 03 Sep 2025, 08:45 PM
- Updated: 08:45 PM
नयी दिल्ली, तीन सितंबर (भाषा) देश में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 15 प्रतिशत बढ़कर 18.62 अरब डॉलर पर पहुंच गया। शुल्क मुद्दों के बावजूद इस तिमाही के दौरान अमेरिका से निवेश लगभग तीन गुना होकर 5.61 अरब डॉलर रहा।
बुधवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, बीते वित्त वर्ष 2024-25 में अप्रैल-जून के दौरान एफडीआई 16.17 अरब डॉलर रहा था। पिछले वित्त वर्ष में, मार्च तिमाही में निवेश सालाना आधार पर 24.5 प्रतिशत घटकर 9.34 अरब डॉलर पर था।
इक्विटी निवेश समेत कुल एफडीआई समीक्षाधीन तिमाही के दौरान बढ़कर 25.2 अरब डॉलर हो गया, जबकि 2024-25 की इसी अवधि में यह 22.5 अरब अमेरिकी डॉलर था।
इस अवधि के दौरान, शुल्क मुद्दों के बावजूद, अमेरिका 5.61 अरब डॉलर के साथ एफडीआई का सबसे बड़ा स्रोत रहा। जबकि 2024-25 में अप्रैल-जून के दौरान यह 1.50 अरब डॉलर था।
इसके बाद सिंगापुर (4.59 अरब डॉलर), मॉरीशस (2.08 अरब डॉलर), साइप्रस (1.1 अरब डॉलर), यूएई (एक अरब डॉलर), केमैन आइलैंड (67.6 करोड़ डॉलर), नीदरलैंड (66.7 करोड़ डॉलर), जापान (55.1 करोड़ डॉलर) और जर्मनी (19.1 करोड़ डॉलर) का स्थान रहा।
अमेरिका अप्रैल, 2000 और जून, 2025 के बीच 76.26 अरब डॉलर के निवेश के साथ भारत में तीसरा सबसे बड़ा निवेशक है। इसी अवधि में निवेश के शीर्ष स्रोत मॉरीशस (182.2 अरब डॉलर) और सिंगापुर (179.48 अरब डॉलर) हैं।
क्षेत्रवार, अप्रैल-जून तिमाही के दौरान कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर (5.4 अरब डॉलर), सेवा (3.28 अरब डॉलर), व्यापार (50.6 करोड़ डॉलर), दूरसंचार (2.4 करोड़ डॉलर), वाहन (1.29 अरब डॉलर), निर्माण विकास (7.5 करोड़ डॉलर), गैर-परंपरागत ऊर्जा (1.14 अरब डॉलर) और रसायन (14 करोड़ डॉलर) में निवेश बढ़ा।
आंकड़ों के अनुसार, तिमाही के दौरान कर्नाटक में सबसे अधिक 5.69 अरब डॉलर का निवेश हुआ।
इसके बाद महाराष्ट्र (5.36 अरब डॉलर), तमिलनाडु (2.67 अरब डॉलर), हरियाणा (1.03 अरब डॉलर), गुजरात (1.2 अरब डॉलर), दिल्ली (एक अरब डॉलर) और तेलंगाना (39.5 करोड़ डॉलर) का स्थान रहा।
सरकार ने निवेशक-अनुकूल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति लागू की है, जिसके तहत अधिकांश क्षेत्र स्वचालित मार्ग से 100 प्रतिशत विदेशी निवेश के लिए खुले हैं।
सरकार ने एफडीआई मानदंडों को उदार बनाने के लिए कई क्षेत्रों में सुधार किए हैं। 2014 से 2019 के बीच, महत्वपूर्ण सुधारों में रक्षा, बीमा और पेंशन क्षेत्रों में एफडीआई सीमा में वृद्धि और निर्माण, नागर विमानन और एकल ब्रांड खुदरा व्यापार के लिए उदार नीतियां शामिल हैं।
वर्ष 2019 से 2024 तक, कोयला खनन, अनुबंध पर विनिर्माण और बीमा मध्यस्थों में स्वचालित मार्ग से 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति देने जैसे उल्लेखनीय कदम उठाए गए। इस साल केंद्रीय बजट में, भारत में अपना पूरा प्रीमियम निवेश करने वाली कंपनियों के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा गया।
पिछले वित्त वर्ष में एफडीआई इक्विटी प्रवाह 50.01 अरब डॉलर था, जबकि कुल एफडीआई 80.6 अरब डॉलर था।
भाषा रमण