महत्वपूर्ण खनिजों के पुनर्चक्रण के लिए 1,500 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना मंजूर
अजय योगेश
- 03 Sep 2025, 09:27 PM
- Updated: 09:27 PM
नयी दिल्ली, तीन सितंबर (भाषा) केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश में महत्वपूर्ण खनिजों के पुनर्चक्रण को बढ़ावा देने के लिए बुधवार को 1,500 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी।
इस योजना का उद्देश्य देश में ई-कचरे, लिथियम-ऑयन बैटरी के कबाड़ और पुराने वाहनों के कैटेलिटिक कन्वर्टर जैसे स्रोतों से महत्वपूर्ण खनिजों को अलग करने और उत्पादन की पुनर्चक्रण क्षमता विकसित करना है।
खान मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘‘केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 1,500 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दे दी है।’’
इस योजना के प्रोत्साहनों से हर वर्ष कम से कम 270 किलो टन की पुनर्चक्रण क्षमता विकसित होने की संभावना है, जिससे लगभग 40 किलो टन वार्षिक महत्वपूर्ण खनिजों का उत्पादन संभव होगा।
इससे करीब 8,000 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित होने की उम्मीद है और लगभग 70,000 लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा।
यह योजना राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन (एनसीएमएम) का हिस्सा है। इस मिशन का लक्ष्य महत्वपूर्ण खनिजों के लिये घरेलू क्षमता और आपूर्ति श्रृंखला की मजबूती बढ़ाना है।
सरकार ने 16,300 करोड़ रुपये की राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन को मंजूरी दी है, जिसका कुल बजट 34,300 करोड़ रुपये होगा और यह खर्च सात वर्षों में किया जाएगा।
इस मिशन का उद्देश्य भारत को आत्मनिर्भर बनाना और देश की हरित ऊर्जा की ओर बढ़ती यात्रा को तेज करना है।
तांबा, लिथियम, निकेल, कोबाल्ट और दुर्लभ पृथ्वी तत्व जैसे महत्वपूर्ण खनिज स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों की तेजी से बढ़ती मांग को पूरा करने में जरूरी कच्चे माल के तौर पर इस्तेमाल होते हैं।
बयान के अनुसार, यह योजना वित्त वर्ष 2025-26 से वित्त वर्ष 2030-31 तक छह साल के लिए लागू रहेगी। यह योजना उस पुनर्चक्रण प्रक्रिया को बढ़ावा देगी जिसमें महत्वपूर्ण खनिजों को वास्तव में निकाला जाता है, न कि सिर्फ 'ब्लैक मास' बनाने वाली प्रक्रिया को।
इसमें कहा गया, "इसके लिए योग्य सामग्री में ई-कचरा, लिथियम-आयन बैटरी (एलआईबी) का स्क्रैप और ई-कचरा और एलआईबी स्क्रैप के अलावा अन्य स्क्रैप (जैसे, पुराने वाहनों के कैटेलिटिक कन्वर्टर्स) शामिल होंगे।"
बयान में कहा गया है कि यह योजना नई इकाइयों में निवेश के साथ-साथ मौजूदा इकाइयों की क्षमता विस्तार, आधुनिकीकरण और विविधीकरण पर भी लागू होगी।
बयान के अनुसार योजना के तहत प्रोत्साहनों में संयंत्र, मशीनरी, उपकरण और संबंधित उपयोगिताओं पर किए गए पूंजीगत व्यय का 20 प्रतिशत सब्सिडी के रूप में प्रदान किया जाएगा, बशर्ते कि निर्दिष्ट समयसीमा के भीतर उत्पादन प्रारंभ कर दिया जाए। समयसीमा का पालन न करने की स्थिति में सब्सिडी की दर कम हो जाएगी।
बयान के मुताबिक, इसके अतिरिक्त, एक ओपेक्स सब्सिडी भी दी जाएगी, जो वित्त वर्ष 2025-26 की तुलना में वृद्धिशील बिक्री पर आधारित होगी। इस ओपेक्स सब्सिडी का 40 प्रतिशत हिस्सा दूसरे वर्ष में मिलेगा, जबकि शेष 60 प्रतिशत सब्सिडी वित्त वर्ष 2026-27 से 2030-31 के बीच, निर्दिष्ट सीमा तक वृद्धिशील बिक्री की उपलब्धि के आधार पर प्रदान की जाएगी।
भाषा अजय योगेश