निठारी हत्याकांड: न्यायालय सुरेंद्र कोली को बरी करने के फैसले के खिलाफ 30 जुलाई को करेगा सुनवाई
सुभाष नरेश
- 29 Apr 2025, 05:39 PM
- Updated: 05:39 PM
नयी दिल्ली, 29 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने 2006 के निठारी हत्याकांड मामले में सुरेंद्र कोली को बरी किए जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए मंगलवार को 30 जुलाई की तारीख तय की।
ये अपीलें न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आईं।
याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश हुए वकील ने इस मामले को एक जघन्य अपराध बताया, जिसमें कई बच्चों के कंकाल मिले थे।
कोली की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि यह बिना किसी चश्मदीद के परिस्थितिजन्य साक्ष्य का मामला है।
मामले में दलीलें पेश करने के लिए समय के बारे में वकीलों से पूछने पर पीठ ने कहा, ‘‘यह (बहस) आज समाप्त होने की संभावना नहीं है।’’ साथ ही, इसने मामले को 30 जुलाई के लिए निर्धारित कर दिया।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दायर याचिकाओं सहित अलग-अलग याचिकाओं की जांच करने पर सहमति व्यक्त की थी। इन याचिकाओं में, 16 अक्टूबर 2023 को कोली को बरी करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गई थी।
इनमें से एक याचिका एक पीड़ित के पिता ने उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए दायर की थी।
मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके घरेलू सहायक कोली पर उत्तर प्रदेश के निठारी में अपने पड़ोस के लोगों, जिनमें ज्यादातर बच्चे थे, के साथ दुष्कर्म और हत्या का आरोप लगाया गया था।
कोली को 28 सितंबर 2010 को निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी।
उच्च न्यायालय ने पंढेर और कोली को मौत की सजा मामले में बरी कर दिया। साथ ही, कहा कि अभियोजन पक्ष उनके अपराध को ‘‘उचित संदेह से परे’’ साबित करने में विफल रहा।
कोली को 12 मामलों में और पंढेर को दो मामलों में सुनाई गई मौत की सजा को पलटते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि जांच ‘‘जिम्मेदार एजेंसियों द्वारा जनता के भरोसे को तोड़ने जैसा है।’’
उच्च न्यायालय ने कोली और पंढेर द्वारा दायर कई अपीलों को स्वीकार कर लिया, जिन्होंने गाजियाबाद में सीबीआई अदालत द्वारा सुनाई गई मौत की सजा को चुनौती दी थी।
वर्ष 2007 में दोनों के खिलाफ कुल 19 मामले दर्ज किये गए थे और सीबीआई ने सबूतों के अभाव में तीन मामलों में ‘क्लोजर रिपोर्ट’ (मामला बंद करने का अनुरोध) दाखिल की थी।
कोली को शेष 16 मामलों में से तीन में बरी कर दिया गया और एक मामले में उसकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया।
नोएडा के निठारी में, 29 दिसंबर 2006 को पंढेर के घर के पीछे एक नाले से आठ बच्चों के कंकाल मिलने के बाद यह मामला सामने आया था।
उसके घर के आस-पास के इलाके में नालों की खुदाई और तलाशी के बाद और भी कंकाल मिले। इनमें से ज्यादातर अवशेष उन बच्चों और युवतियों के थे जो इलाके से लापता हो गए थे।
सीबीआई ने घटना सामने आने के 10 दिनों के भीतर ही मामले को अपने हाथ में ले लिया और उसकी तलाशी के परिणामस्वरूप और भी मानव अवशेष बरामद हुए थे।
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