बीएआई ने पूर्व खिलाड़ियों से विदेशी कोचों के मार्गदर्शन में कोचिंग कौशल को निखारने का आग्रह किया
आनन्द सुधीर
- 22 Apr 2025, 07:00 PM
- Updated: 07:00 PM
नयी दिल्ली, 22 अप्रैल (भाषा) भारतीय बैडमिंटन संघ (बीएआई) चाहता है कि पूर्व शीर्ष भारतीय खिलाड़ी विदेशी कोचों के मार्गदर्शन में अपने कोचिंग कौशल को निखारने के साथ जूनियर खिलाड़ियों के साथ काम करें और भारतीय खेल शैली को लुप्त होने से बचाने का भी प्रयास करें।
बीएआई ने कोचिंग पद के लिए विज्ञापन दिया था और उसे जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली थी जिसमें 49 पूर्व खिलाड़ियों ने इस पद के लिए आवेदन किया था।
बीएआई के मुख्य सचिव संजय मिश्रा ने यहां एक बातचीत में कहा, ‘‘हमने उन शीर्ष खिलाड़ियों से आवेदन आमंत्रित किए हैं जो बीएआई और भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) के साथ कोचिंग में आना चाहते हैं। हमें 49 आवेदन मिले हैं, जिनमें से हमने 10-11 को चयनित किया है। सूची को स्वीकृति के लिए साइ के पास भेज दिया गया है।’’
मिश्रा ने पारंपरिक भारतीय खेल शैली को संरक्षित करने के महत्व पर जोर दिया। उनका मानना है कि विदेशी कोचों के बढ़ते प्रभाव के कारण यह धीरे-धीरे लुप्त हो रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘ इस खेल की भारतीय शैली कुछ हद तक लुप्त हो रही है। प्रकाश (पादुकोण) सर ने ऑल इंग्लैंड जीतने के लिए प्रतिद्वंद्वी को चकमा देने का इस्तेमाल किया, (पुलेला) गोपीचंद ने जीतने के लिए नेट गेम खेला। विदेशी कोचों की देख-रेख में अब भारतीय खिलाड़ी अधिक शारीरिक खेल पर ध्यान दे रहे हैं जो इंडोनेशियाई या मलेशियाई शैली की तरह है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ हमारा शरीर शायद इस तरह की शैली का समर्थन नहीं करता है। ऐसे में एक या दो गेम खेलने के बाद शरीर गति बनाये रखने में सक्षम नहीं रहता है। इसलिए ये भारतीय कोच विदेशी शैली सीखने के अलावा हमारी शैली को भी अपना सकते हैं, जिससे बेहतर परिणाम मिल सकते हैं।’’
बीएआई ने चयनित कोचों को एक के बाद दूसरे प्रशिक्षण केंद्रों में भेजने की योजना बनाई है। शुरुआत में उन्हें ‘नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (एनसीओई)’ में जूनियर खिलाड़ियों की देखरेख का जिम्मा सौंपा जायेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘इन सभी कोच को एक-एक कर कई केंद्रों में भेजा जायेगा। हम चाहते हैं कि ये कोच एलीट कोचिंग में जाने से पहले एनसीओई में जूनियर खिलाड़ियों के साथ काम करें।’’
भाषा आनन्द