उपेक्षा से संगठन अपना चरित्र और दिशा खो देते हैं: मोहन भागवत
अमित पवनेश
- 22 Apr 2025, 09:21 PM
- Updated: 09:21 PM
नयी दिल्ली, 22 अप्रैल (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि किसी संगठन की उपेक्षा की जाती है तो उसके अपना चरित्र और दिशा बदल लेने की आशंका बढ़ जाती है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के नये कार्यालय भवन के उद्घाटन के अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि जब कोई संगठन छोटा होता है तो वह सीमित संसाधनों के साथ अपना काम करता है।
उन्होंने कहा, ‘‘जब कोई संगठन विकास करता है, तो अधिक संसाधनों की आवश्यकता होती है। जब वह राष्ट्र के जीवन में स्थान प्राप्त करता है, तो उसे विभिन्न प्रकार के संसाधनों की आवश्यकता होती है। प्रत्येक संगठन की अपनी आत्मा और शरीर होता है।’’
भागवत ने यह बात सभा को संबोधित करते हुए कही, जिसमें वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता भी शामिल थे।
भागवत ने कहा, ‘‘यदि किसी संगठन का बाहरी स्वरूप खराब है, तो उसकी उपेक्षा की जाती है। यदि वह समृद्ध है, तो उससे ईर्ष्या होती है। कई बार, यदि संगठन की उपेक्षा की जाती है, तो उसका चरित्र और दिशा भी बदल जाती है।’’
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख भागवत ने कहा कि किसी संगठन को अत्यधिक दिखावटी नहीं होना चाहिए और न ही उसे अपना कार्य करने के लिए आवश्यक संसाधनों की कमी होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘कार्यकर्ताओं को एक संतुलित, मध्यम मार्ग अपनाना होगा और ऐसी सोच जागरूक, समर्पित कार्यकर्ताओं से आती है।’’
आरएसएस प्रमुख भागवत ने एकता का संदेश देते हुए कहा कि दुनिया मार्गदर्शन के लिए भारत की ओर देख रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे देश का भाग्य बदल रहा है। पूरी दुनिया मार्गदर्शन के लिए भारत की ओर देख रही है। पूरी दुनिया के सामने सही आदर्श प्रस्तुत करना हमारा कर्तव्य है। हमें ज्ञान प्राप्त है और हमें एकता की भावना के साथ दृष्टिकोण अपनाना होगा।’’
उन्होंने कहा कि विभिन्न संप्रदायों, भाषाओं, जातियों और उपजातियों के लोगों के बीच एकता की भावना ही राष्ट्र निर्माण और वैश्विक कल्याण के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद कर सकती है।
भागवत ने कहा, ‘‘मैं भारत के युवाओं में देश को एक अग्रणी राष्ट्र बनाने के लिए एक नया उत्साह देख सकता हूं।’’ उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी में दुनिया के सामने प्रगति के वैकल्पिक मॉडल पेश करने की क्षमता है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें अपने राष्ट्र की नियति को पूरी तरह से उपनिवेश-मुक्त मन से तय करना होगा। हमें उसी आधार पर अपने प्रयोग करने होंगे। युवाओं में राष्ट्र निर्माण का उत्साह और काम करने की क्षमता है। उन्हें दिशा और उचित ज्ञान दिए जाने की आवश्यकता है। यह ज्ञान एकता से आता है।’’
इससे पहले, भागवत ने एबीवीपी के नये कार्यालय "यशवंत" का उद्घाटन किया, जिसका नाम इसके पहले संगठनकर्ता यशवंतराव केलकर के नाम पर रखा गया है।
भाषा अमित