भारत में अबतक अग्रणी वैश्विक विश्वविद्यालयों के परिसर स्थापित नहीं हुए हैं : संसदीय समिति
े धीरज शफीक
- 06 Apr 2025, 04:09 PM
- Updated: 04:09 PM
नयी दिल्ली, छह अप्रैल (भाषा) एक संसदीय समिति ने रेखांकित किया है कि भारत में अभी तक आइवी लीग संस्थानों सहित किसी भी अग्रणी वैश्विक विश्वविद्यालय के परिसर स्थापित नहीं हुए हैं। उसने इस दिशा में प्रयास करने का सुझाव दिया है।
कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह की अध्यक्षता वाली समिति ने इस सप्ताह के प्रारंभ में राज्यसभा में पेश अपनी रिपोर्ट में ये टिप्पणियां कीं।
समिति ने कहा कि हाल के वर्षों में विदेशी विश्वविद्यालयों द्वारा भारत में अपने परिसर स्थापित करने की उल्लेखनीय प्रवृत्ति देखी गई है, जो भारत में छात्रों की बड़ी संख्या, संयुक्त डिग्री तथा सहयोग बढ़ाने के सरकार के प्रयासों से प्रेरित है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘हालांकि, भारत में अभी तक किसी भी अग्रणी वैश्विक विश्वविद्यालय (आइवी लीग्स, न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय, कार्नेगी मेलन विश्वविद्यालय, आदि) के परिसर अबतक स्थापित नहीं हुए हैं।’’
इसमें कहा गया, ‘‘समिति अनुशंसा करती है कि उच्च शिक्षा विभाग को देश के छात्रों के लिए सर्वोत्तम वैश्विक संसाधनों तक अधिक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए यह सुनिश्चित करना चाहिए कि परिसर स्थापित हो।’’
आइवी लीग अमेरिका में लंबे समय से स्थापित विश्वविद्यालयों का एक समूह है, जिनकी उच्च शैक्षणिक साख और प्रतिष्ठा है। इसमें हार्वर्ड, येल, प्रिंसटन और कोलंबिया विश्वविद्यालय शामिल हैं।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने 2023 में भारत में विदेशी उच्च शिक्षण संस्थानों के परिसरों की स्थापना और संचालन विनियमों की घोषणा की थी।
ब्रिटेन का साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय इस वर्ष भारत में अपना परिसर स्थापित करने की प्रक्रिया में है, दो ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालय - डीकिन और वोलोंगोंग - के परिसर पहले से ही गुजरात अंतर्राष्ट्रीय वित्त टेक-सिटी (गिफ्ट सिटी) में हैं।
क्वीन्स यूनिवर्सिटी बेलफास्ट और कोवेंट्री यूनिवर्सिटी को भी गिफ्ट सिटी में परिसर स्थापित करने की मंजूरी मिल गई है। अभी तक किसी भी अमेरिकी विश्वविद्यालय ने भारत में अपना परिसर स्थापित नहीं किया है।
समिति ने रेखांकित किया कि ‘स्टडी इन इंडिया’ (एसआईआई) की शुरुआत 2018 में की गई थी और इसका उद्देश्य वैश्विक मंच पर भारतीय उच्च शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देकर विदेशी छात्रों को आकर्षित करना है।
रिपोर्ट के मुताबिक, समिति को सूचित किया गया कि विभाग उच्च शिक्षा मंच के वैश्वीकरण के लिए दक्षिण एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य एशिया, मध्य पूर्व और अफ्रीका के छात्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इसे सुविधाजनक बनाने के लिए, यूजीसी ने पहले ही एक दिशानिर्देश जारी किया है, जिसके तहत विदेशी छात्रों के लिए 25 प्रतिशत सीटें अतिरिक्त सीटों के रूप में सृजित की जा सकती हैं।
इसके अलावा, इसने उच्च शिक्षा संस्थानों में अंतरराष्ट्रीय मामलों के कार्यालय और पूर्व छात्र संपर्क प्रकोष्ठों की स्थापना के लिए भी दिशानिर्देश जारी किए हैं।
समिति ने कहा कि इस योजना के अंतर्गत अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस सहित 28 देशों को शामिल किया गया है।
भाषा े धीरज