छत्तीसगढ़: मीसा बंदियों को पेंशन और अन्य सुविधाएं देने वाला विधेयक पारित
संजीव जितेंद्र
- 22 Mar 2025, 12:42 AM
- Updated: 12:42 AM
रायपुर, 21 मार्च (भाषा) छत्तीसगढ़ विधानसभा में शुक्रवार को आपातकाल (1975-77) के दौरान आंतरिक सुरक्षा अधिनियम (मीसा) के तहत हिरासत में लिए गए लोगों को पेंशन और अन्य सुविधाएं देने के लिए विधेयक पारित किया गया।
मुख्यमंत्री विष्णु देव ने इस दौरान कहा कि राज्य में मीसा बंदियों (लोकतंत्र सेनानी) को पेंशन देने के लिए पहले से ही एक नियम है लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए एक कानून बनाने का निर्णय लिया गया है, जिससे लोकतंत्र सेनानियों के हितों की रक्षा की जा सके।
मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने विधेयक पर आपत्ति जताई और सदन से बहिर्गमन किया।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सदन में ‘छत्तीसगढ़ लोकतंत्र सेनानी सम्मान विधेयक-2025’ पेश किया, जिसके बाद इस पर चर्चा की गई।
नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने विधेयक पर आपत्ति जताते हुए पूछा कि क्या इस संदर्भ में कानून बनाने या चर्चा करने का अधिकार इस सदन को है?
उन्होंने कहा, “यह अधिकार राज्य सूची में शामिल नहीं है। लोक व्यवस्था राज्य सूची में शामिल है, लेकिन इसमें नौसेना, थलसेना, वायुसेना, संघ, कोई अन्य सशस्त्र बल या संघ के नियंत्रण में कोई अन्य बल शामिल नहीं है।”
महंत ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 246 के अनुसार, जिन विषयों पर कानून बनाने का अधिकार राज्य सरकार के पास है, उनका उल्लेख संविधान की सातवीं अनुसूची के बिंदु क्रमांक दो में है और समवर्ती सूची का उल्लेख बिंदु क्रमांक तीन में है।
उन्होंने कहा कि इन दोनों सूचियों में ऐसा कोई विषय नहीं है, जिस पर इस विधेयक पर यहां विचार और चर्चा की जा सके।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने कांग्रेस विधायक की आपत्ति पर पलटवार करते हुए कहा कि यह मुद्दा सामाजिक क्षेत्र से जुड़ा है, जो समवर्ती सूची में है और राज्य इस क्षेत्र से संबंधित कानून बना सकता है।
कांग्रेस विधायकों की आपत्ति को खारिज करते हुए विधेयक पर चर्चा की अनुमति दे दी गयी।
महंत ने बाद में कहा कि जिस तरह से सरकार ने इस विधेयक को पेश किया है, वह संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ है, जिसके बाद कांग्रेस सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया।
मुख्यमंत्री साय ने इस बीच कहा कि लोकतंत्र सेनानियों की देशभक्ति को नजरअंदाज करते हुए राज्य में पिछली कांग्रेस सरकार ने 29 जुलाई 2020 को इस नियम को खत्म कर दिया था।
उन्होंने कहा, “ हमारी सरकार ने सात मार्च 2024 की अधिसूचना के माध्यम से लोकतंत्र सेनानियों को सहायता प्रदान करने के लिए लोक नायक जय प्रकाश नारायण सम्मान निधि नियम, 2008 को बहाल कर दिया। ”
मुख्यमंत्री ने कहा, “हमने यह भी प्रावधान किया है कि लोकतंत्र सेनानियों को उनके निधन के बाद अंतिम संस्कार के दौरान राजकीय सम्मान दिया जाएगा और उनके परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए 25 हजार रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में लगभग 207 लोकतंत्र सेनानियों और 128 आश्रितों को वर्ष 2019 से अब तक मानदेय प्रदान करने के लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 में 42 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
विधानसभा में चर्चा के बाद कांग्रेस सदस्यों की अनुपस्थिति में सदन में विधेयक पारित कर दिया गया।
अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ में करीब 350 मीसा बंदी हैं और मीसा बंदियों को तीन अलग-अलग श्रेणियों में 10 हजार रुपये से लेकर 25 हजार रुपये प्रति माह तक पेंशन दी जाती है।
भाषा संजीव