औषधि,चिकित्सकीय उपकरण के लिए पीएलआई योजना के तहत दो साल में 50 नए संयंत्र आएंगे:अधिकारी
निहारिका मनीषा
- 26 Sep 2024, 01:42 PM
- Updated: 01:42 PM
नयी दिल्ली, 26 सितंबर (भाषा) औषधि एवं चिकित्सकीय उपकरण विनिर्माण के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत अगले दो साल में 50 नए ग्रीनफील्ड संयंत्र स्थापित किए जाएंगे।
उद्योग मंडल ‘एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया’ (एसोचैम) द्वारा आयोजित वार्षिक औषधि शिखर सम्मेलन में औषधि विभाग के सचिव अरुणीश चावला ने कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ पहल के 10 साल पूरे होने पर दोनों क्षेत्रों के लिए पीएलआई योजनाओं के तहत पहले ही 50 संयंत्र स्थापित किए जा चुके हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ औषधि एवं चिकित्सकीय प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में पीएलआई योजनाएं बेहद सफल रही हैं, 50 नए ग्रीनफील्ड औषधि एवं चिकित्सकीय उपकरण विनिर्माण संयंत्र पहले ही शुरू हो चुके हैं और 50 अन्य प्रक्रियाधीन है।’’
शिखर सम्मेलन में उनसे यह पूछे जाने पर कि 50 नए ग्रीनफील्ड संयंत्र कब स्थापित किए जाएंगे तो उन्होंने कहा, ‘‘ अगले दो वर्षों में इनके सभी काम पूरे हो जाएंगे।’’
पीएलआई योजनाओं की सफलता पर विस्तार से बताते हुए चावला ने कहा, ‘‘ पिछले दो वर्षों में ही पीएलआई संयंत्रों ने भारत से दुनिया के सबसे अधिक विनियमित स्थलों तक सर्वाधिक 10 अरब डॉलर मूल्य का निर्यात किया है।’’
चावला ने कहा कि यह धारणा मिथक है कि भारत एक थोक औषधि आयातक है और कुछ निश्चित गंतव्यों पर अत्यधिक निर्भर है।
उन्होंने कहा, ‘‘ पिछले वर्ष भारत ने विदेशों से जितनी थोक औषधियां आयात की थीं, उतनी ही निर्यात भी कीं।’’
उन्होंने कहा कि भारतीय औषधि उद्योग ने थोक दवाओं में व्यापार संतुलन हासिल कर लिया है।
चावला ने कहा कि पिछले वर्ष देश में उत्पादित औषधियों तथ औषधि उत्पादों की मात्रा तथा मूल्य दोनों के लिहाज से 50 प्रतिशत से अधिक निर्यात किया गया।
औषधि विभाग के सचिव ने कहा, ‘‘ आधिकारिक तौर पर, दवा तथा औषधि एक निर्यात-उन्मुख उद्योग बन गया है।’’
उन्होंने इस धारणा को भी मिथक बताया कि भारत अपने अधिकतर चिकित्सकीय उपकरणों का आयात करता है।
चावला ने कहा कि वास्तविकता यह है कि, ‘‘ सर्जिकल तथा उपभोग्य सामग्रियों के क्षेत्र में पिछले वर्ष भारतीय चिकित्सकीय प्रौद्योगिकी उद्योग ने देश के आयात से अधिक निर्यात किया है।’’
उन्होंने कहा कि इमेजिंग डिवाइस, बॉडी इम्प्लांट्स और इन विट्रो डायग्नोस्टिक्स जैसे अन्य उभरते क्षेत्रों में ‘‘ हमने दोहरे अंकों की वृद्धि हासिल की है और हमारे निर्यात में भी दो अंकों से अधिक की वृद्धि हुई है।’’
चावला ने औषधि तथा चिकित्सकीय प्रौद्योगिकी उद्योग से भी अपने-अपने क्षेत्रों में स्टार्टअप को समर्थन देने को भी कहा।
अनुसंधान एवं विकास सहायक परिवेश के लिए उद्योग के आह्वान के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘ हम अपने नवाचार ढांचे में सुधार कर रहे हैं। हमने पहले ही काफी सुधार किए हैं। इनमें से कुछ सुधारों को अधिसूचित किया गया है, और एक पीआरआईपी (औषधि तथा चिकित्सकीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अनुसंधान व नवाचार को बढ़ावा देना) योजना शुरू की गई है। भविष्य में परिवेश और अधिक ऊर्जावान होगा।’’
भाषा निहारिका