बिरसा मुंडा के परपोते मंगल मुंडा की रांची के एक अस्पताल में मृत्यु
सुरभि अविनाश
- 29 Nov 2024, 04:25 PM
- Updated: 04:25 PM
(फोटो के साथ)
रांची, 29 नवंबर (भाषा) आदिवासी नेता बिरसा मुंडा के परपोते मंगल मुंडा की शुक्रवार को हृदय गति रुकने से मौत हो गई। मंगल मुंडा (45) एक सड़क दुर्घटना में घायल हो गए थे और यहां राज्य के शीर्ष अस्पताल राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में उनका इलाज किया जा रहा था। अस्पताल के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
उन्होंने रिम्स में रात साढ़े 12 बजे अंतिम सांस ली।
झारखंड के खूंटी जिले में 25 नवंबर को एक यात्री वाहन की छत से गिरने के कारण मंगल मुंडा के सिर में गंभीर चोट आई थी।
रिम्स के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. हिरेन बिरुआ ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘बिरसा मुंडा के रिश्तेदार मंगल मुंडा की रात करीब साढ़े 12 बजे हृदय गति रुकने से मौत हो गई। गंभीर रूप से घायल मंगल मुंडा को ‘वेंटिलेटर’ पर रखा गया था। हमने उन्हें बचाने की पूरी कोशिश की लेकिन असफल रहे।’’
मंगल मुंडा को मंगलवार को खूंटी सदर अस्पताल से रिम्स रेफर किया गया था।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुंडा के निधन को झारखंड के आदिवासी समाज के लिए क्षति बताया।
प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘भगवान बिरसा मुंडा जी के वंशज मंगल मुंडा जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। उनका जाना उनके परिवार के साथ ही झारखंड के जनजातीय समाज के लिए भी अपूरणीय क्षति है। शोक की इस घड़ी में ईश्वर उनके परिजनों को संबल प्रदान करे।’’
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और राज्यपाल संतोष गंगवार ने मंगल मुंडा के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
सोरेन ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘रिम्स में उपचाराधीन भगवान बिरसा मुंडा के वंशज श्री मंगल मुंडा जी के निधन की खबर से अत्यंत दुखी हूं। मरांग बुरु दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान कर शोकाकुल परिवारजनों को दुःख की यह विकट घड़ी सहन करने की शक्ति दें।’’
उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ रिम्स जाकर मुंडा के परिजनों से मुलाकात की।
सोरेन ने मुंडा के पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित करने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘मंगल मुंडा जी को गंभीर चोट आई थी। चिकित्सकों ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की। हमने भी बहुत कोशिश की। हम उनके इलाज पर नजर बनाए हुए थे। अगर जरूरत पड़ती तो हम उन्हें किसी दूसरे राज्य में ले जाने के लिए तैयार थे, लेकिन वे वेंटिलेटर पर थे। हमें समय नहीं मिला। हम उनके परिवार को हरसंभव सहायता देंगे।’’
राज्यपाल गंगवार ने कहा, ‘‘धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा के वंशज मंगल मुंडा के निधन की खबर अत्यंत दुखद है। शोक संतप्त परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं। ईश्वर शोकसंतप्त परिवार को यह दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।’’
पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने झारखंड की स्वास्थ्य प्रणाली को लेकर सवाल खड़ा किया।
उन्होंने कहा, ‘‘पूरे झारखंड के लिए यह दुख की बात है कि भगवान बिरसा मुंडा के वंशज मंगल मुंडा अब हमारे बीच नहीं रहे। जब घायल मंगल मुंडा को रिम्स लाया गया तो वे पूरी रात एंबुलेंस में लेटे रहे लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं था।’’
भाजपा नेता ने दावा किया, ‘‘जब मुझे जानकारी मिली तो मैंने रिम्स के अधिकारियों से बात की और उन्हें भर्ती करवाया। लेकिन शहीद के परिवार के सदस्य के साथ इस तरह का व्यवहार स्वास्थ्य व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।’’
उन्होंने कहा कि सरकार को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है ताकि किसी और के साथ ऐसा नहीं हो।
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा, ‘‘अगर समय पर उनका इलाज हो जाता तो उनकी जान बच सकती थी। राज्य सरकार को स्वास्थ्य व्यवस्था के प्रति संवेदनशील होना चाहिए।’’
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता चंपई सोरेन ने कहा कि मंगल मुंडा का निधन ‘‘झारखंड और पूरे देश के आदिवासी समुदाय के लिए एक अपूरणीय क्षति है।’’
इस बीच, मंगल मुंडा का अंतिम संस्कार झारखंड की राजधानी रांची से लगभग 65 किलोमीटर दूर उनके पैतृक गांव उलिहातु में किए जाने की संभावना है।
मोदी ने पिछले साल 15 नवंबर को बिरसा मुंडा की जयंती पर खूंटी के उलिहातु का दौरा किया था और वहां कई योजनाओं की शुरुआत की थी।
प्रधानमंत्री मोदी का कार्यालय, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा और झारखंड के मुख्यमंत्री का कार्यालय मंगल मुंडा के इलाज के सिलसिले में रिम्स के अधिकारियों के संपर्क में था।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी पत्नी एवं विधायक कल्पना सोरेन के साथ बुधवार को रिम्स गये थे और मंगल मुंडा के स्वास्थ्य की जानकारी ली थी।
रिम्स के चिकित्सकों के अनुसार, मंगल मुंडा के मस्तिष्क में गंभीर चोट आई थी और मस्तिष्क के दोनों तरफ खून के थक्के जम गए थे।
मंगलवार को रिम्स के ‘न्यूरोसर्जरी विभाग’ के विभागाध्यक्ष डॉ आनंद प्रकाश के नेतृत्व में उनकी सर्जरी हुई थी।
वर्तमान झारखंड में 1875 में जन्मे बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश शासन को चुनौती दी थी और उन्हें ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ आदिवासियों को संगठित करने का श्रेय दिया जाता है।
ब्रिटिश हिरासत में 25 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हो गई।
झारखंड का निर्माण 15 नवंबर को हुआ था। 15 नवंबर को आदिवासी प्रतीक ‘धरती आबा’ (धरती के पिता) की जयंती मनाई जाती है।
भाषा सुरभि