निचली अदालतों में 5,000 से अधिक रिक्तियां हैं; एआईजेएस की दिशा में कोई प्रगति नहीं
मनीषा माधव
- 28 Nov 2024, 05:01 PM
- Updated: 05:01 PM
नयी दिल्ली, 28 नवंबर (भाषा) अधीनस्थ और जिला अदालतों में 5,000 से अधिक न्यायाधीशों की कमी है, जबकि 25 उच्च न्यायालयों में कुल 360 से अधिक रिक्तियां हैं।
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
उन्होंने यह भी बताया कि भारत के प्रधान न्यायाधीश सहित 34 न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या वाले उच्चतम न्यायालय में दो रिक्तियां हैं।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ के सीजेआई के पद से और न्यायमूर्ति हिमा कोहली के सेवानिवृत्त होने के बाद, शीर्ष अदालत में दो रिक्तियां हैं।
मंत्री ने यह भी कहा कि राज्यों और उच्च न्यायालयों के अलग अलग विचारों के चलते, अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के सृजन की दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई है।
उन्होंने कहा कि 21 नवंबर की स्थिति के अनुसार, निचली न्यायपालिका में 5,245 न्यायिक अधिकारियों की कमी है, जबकि उच्च न्यायालयों में 364 न्यायाधीशों की कमी है। 25 उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 1,114 है।
एक उप-प्रश्न के उत्तर में मेघवाल ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 312 में अखिल भारतीय न्यायिक सेवा (एआईजेएस) की स्थापना का प्रावधान है, जिसमें जिला न्यायाधीश से निम्न कोई पद शामिल नहीं होगा।
संवैधानिक प्रावधान जिला न्यायाधीश स्तर पर एआईजेएस के गठन की व्यवस्था देता है।
एआईजेएस के गठन के लिए एक व्यापक प्रस्ताव तैयार किया गया था और इसे नवंबर 2012 में सचिवों की समिति द्वारा अनुमोदित किया गया था। प्रस्ताव पर राज्यों और उच्च न्यायालयों के विचार मांगे गए, जो अलग-अलग थे।
बाद में, यह निर्णय लिया गया कि उच्च न्यायालय, जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए रिक्तियों को शीघ्रता से भरने के लिए मौजूदा प्रणाली के भीतर उपयुक्त तरीके विकसित कर सकते हैं। हालांकि, इस मामले में कोई प्रगति नहीं हुई।
मेघवाल ने कहा, ‘‘प्रमुख हितधारकों के बीच मौजूदा मतभेदों को देखते हुए, वर्तमान में अखिल भारतीय न्यायिक सेवा की स्थापना के प्रस्ताव पर कोई आम सहमति नहीं है।’’
भाषा मनीषा