बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति ‘खतरनाक’ : पूर्व विदेश मंत्री हसन महमूद
शफीक मनीषा
- 27 Nov 2024, 05:31 PM
- Updated: 05:31 PM
(प्रदीप्त तपदार)
(विशेष साक्षात्कार)
कोलकाता, 27 नवंबर (भाषा) बांग्लादेश के पूर्व विदेश मंत्री हसन महमूद ने कहा है कि भारत विरोधी बयानबाजी और कट्टरपंथियों एवं आतंकवादी ताकतों को बढ़ावा देना ‘‘परस्पर संबंधित’’ रणनीतियां हैं, जिन्होंने बांग्लादेश को ‘‘पूर्ण अराजकता’’ की ओर धकेल दिया है।
उन्होंने मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लेदश की अंतरिम सरकार पर लोकतंत्र को ‘‘भीड़तंत्र’’ में तब्दील करने का आरोप लगाया।
बांग्लादेश में छात्र आंदोलन के बाद बिगड़े हालात के बाद अपना देश छोड़कर आए महमूद ने हाल ही में एक अज्ञात स्थान से ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ टेलीफोन पर एक विशेष साक्षात्कार में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति को ‘‘खतरनाक’’ करार दिया।
उन्होंने दावा किया कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी सहित चरमपंथी समूह सक्रिय हो गए हैं।
महमूद ने जोर देकर कहा कि हिंदू मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर हमलों का घटनाक्रम एक ‘‘चिंताजनक’’ स्थिति को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह ‘‘अल्पसंख्यक विरोधी भावना को दर्शाता है जो चरमपंथी बयानबाजी से मेल खाती है, जिससे धर्मनिरपेक्ष सिद्धांत एवं धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा दोनों खतरे में पड़ रहे हैं।’’
इस बीच, बांग्लादेश के चटगांव शहर में एक वकील की हत्या और एक प्रमुख हिंदू नेता की गिरफ्तारी को लेकर सुरक्षाकर्मियों पर हमला करने के आरोप में कम से कम 30 संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है।
सहायक लोक अभियोजक सैफुल इस्लाम की मंगलवार को सुरक्षाकर्मियों और ‘‘बांग्लादेश सम्मिलिता सनातनी जागरण जोत’’ के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी के अनुयायियों के बीच झड़प के दौरान मौत हो गई। दास को राजद्रोह के मामले में चटगांव की एक अदालत द्वारा जमानत देने से इनकार करने और जेल भेजे जाने के बाद हिंसा भड़क उठी थी।
दास और 18 अन्य लोगों के खिलाफ 30 अक्टूबर को पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के एक नेता की शिकायत पर चटगांव के कोतवाली पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया था। उन पर 25 अक्टूबर को हिंदू समुदाय की एक रैली के दौरान शहर के लालदीघी मैदान में बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप लगाया गया था।
छात्र आंदोलन के बाद अगस्त में प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़ना पड़ा था। महमूद तत्कालीन मंत्रिमंडल के प्रमुख सदस्यों में शामिल थे।
बांग्लादेश के पूर्व विदेश मंत्री महमूद ने उम्मीद जताई कि अमेरिका में नया ट्रंप प्रशासन ‘‘बांग्लादेश में जल्द से जल्द स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव और सभी दलों के लिए समान अवसर’’ के वास्ते प्रयास करेगा। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि एक लोकतांत्रिक बांग्लादेश क्षेत्रीय शांति एवं सुरक्षा में योगदान देगा।
पूर्व विदेश मंत्री ने हसीना सरकार के बाद उपजे ‘‘राजनीतिक शून्य’’ में चरमपंथी गुटों के फिर से उभरने पर भी चिंता जताई, तथा ढाका में पाकिस्तानी दूतावास की ‘‘बढ़ी हुई गतिविधियों’’ को अशांति फैलाने में विदेशी संलिप्तता का सबूत बताया। साथ ही दावा किया कि, ‘‘पाकिस्तान इन चरमपंथी समूहों में से कुछ के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है।’’
महमूद ने दावा किया, ‘‘बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की भारत विरोधी बयानबाजी और कट्टरपंथी ताकतों का उदय, पूरी तरह से एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। जो लोग इस अंतरिम सरकार का हिस्सा हैं, इसका नेतृत्व कर रहे हैं और इसका समर्थन कर रहे हैं, अगर आप उनकी पृष्ठभूमि की जांच करेंगे तो आपको सच्चाई पता चल जाएगी। ये सभी आपस में जुड़े हुए हैं।’’
महमूद (61) ने बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के सामने मौजूदा स्थिति की एक भयावह तस्वीर पेश की, जिसमें हिंदू और बौद्ध मंदिरों पर लगातार हमले हो रहे हैं।
पूर्व विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘देश के हर कोने में अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं के खिलाफ किसी न किसी तरह की आक्रामकता देखी गई है।’’
उन्होंने अर्थशास्त्री से राजनेता बने यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार पर इन समुदायों को सुरक्षा प्रदान करने में विफल रहने का आरोप लगाया।
भाषा शफीक