“केंद्र सरकार में नियुक्ति मात्र से व्यक्ति राज्य सेवा में नौकरी का दावेदार नहीं”: उच्च न्यायालय
राजेंद्र नोमान
- 26 Nov 2024, 10:51 PM
- Updated: 10:51 PM
प्रयागराज, 26 नवंबर (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक निर्णय में कहा है कि केंद्र सरकार की सेवाओं में नियुक्ति मात्र से व्यक्ति राज्य सरकार की सेवाओं में नौकरी का दावेदार नहीं हो जाता है।
विशाल सारस्वत नाम के व्यक्ति द्वारा दायर रिट याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय ने कहा, “दो अलग-अलग सरकारी नियोक्ता का नियुक्ति को लेकर एक उम्मीदवार की योग्यता के संबंध में अलग अलग विचार हो सकते हैं।”
अदालत ने कहा, “एक नियोक्ता, दूसरे नियोक्ता के निर्णय और विवेक से बाध्य नहीं है। राज्य सरकार पर केंद्र सरकार या राज्यसभा सचिवालय द्वारा किए गए निर्णय का यंत्रवत और गुलाम की तरह अनुपालन करने की जिम्मेदारी का बोझ नहीं डाला जा सकता।”
याचिकाकर्ता को 21 दिसंबर 2020 को राज्यसभा सचिवालय में कार्यकारी अधिकारी के तौर पर अस्थायी नियुक्ति दी गई थी। यह नियुक्ति, याचिकाकर्ता और उसके पूरे परिवार के खिलाफ दहेज उत्पीड़न के मामले के फैसले पर आधारित थी।
बाद में, याचिकाकर्ता को उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा कराई गई संयुक्त राज्य एवं उच्च अधीनस्थ सेवा परीक्षा 2019 में सफल घोषित किया गया और उसने प्रथम स्थान प्राप्त किया।
आपराधिक मामला लंबित होने का खुलासा होने के बाद राज्यसभा सचिवालय से एक रिपोर्ट मांगी गई जिसमें बताया गया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक जांच लंबित नहीं है। हालांकि, प्रदेश के अपर मुख्य सचिव (नियुक्ति खंड-तीन) ने 28 फरवरी 2024 को आपराधिक मामले में लगाए गए आरोपों के आधार पर याचिकाकर्ता का प्रत्यावेदन खारिज कर दिया।
याचिकाकर्ता ने अपर मुख्य सचिव द्वारा प्रत्यावेदन खारिज किए जाने को चुनौती देते हुए यह रिट याचिका दायर की जिसमें दलील दी गई कि याचिकाकर्ता जब एक बार केंद्र सरकार का कर्मचारी रह चुका है, राज्य सरकार आपराधिक मामले के आधार पर उसकी नियुक्ति खारिज नहीं कर सकती।
अदालत ने 22 नवंबर 2024 को पारित निर्णय में कहा कि याचिकाकर्ता ने आवेदन पत्र जमा करते समय अपने खिलाफ लंबित आपराधिक मामले का सच्चाई के साथ खुलासा किया था। हालांकि, अदालत ने इस मामले में अवतार सिंह बनाम केंद्र सरकार के मामले को आधार बनाया जिसमें यह व्यवस्था दी गई थी कि आपराधिक मामला लंबित रहना, उम्मीदवारी खारिज करने का एक वैध आधार है क्योंकि अंततः दोषी सिद्ध होने पर व्यक्ति नौकरी के लिए अनुपयुक्त हो जाएगा।
याचिका खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि राज्यसभा सचिवालय का अंग मात्र होना व्यक्ति को राज्य सरकार में नियुक्ति के लिए पात्र नहीं बनाता।
भाषा राजेंद्र