राहुल, प्रियंका वायनाड के प्रति केंद्र की उपेक्षा के खिलाफ संसद में विरोध करेंगे : कांग्रेस
संतोष अविनाश
- 26 Nov 2024, 09:35 PM
- Updated: 09:35 PM
वायनाड/नयी दिल्ली, 26 नवंबर (भाषा) कांग्रेस ने मंगलवार को कहा कि वायनाड में भूस्खलन से बचे लोगों के लिए केंद्रीय सहायता की कथित कमी के खिलाफ वह राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाद्रा के नेतृत्व में संसद के अंदर और बाहर दोनों जगह प्रदर्शन करेगी।
पार्टी नेता और कलपेट्टा विधायक टी सिद्दीकी ने भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को वित्तीय सहायता प्रदान करने में केंद्र की कथित अनिच्छा को ‘अमानवीय’ दृष्टिकोण बताया।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के अलावा स्थानीय विधायक के रूप में खुद उन्होंने भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक ज्ञापन सौंपा था, जिसमें त्रासदी के तुरंत बाद उनकी यात्रा के दौरान भूस्खलन से बचे लोगों के राहत और पुनर्वास के लिए सहायता की मांग की गई थी।
उन्होंने आरोप लगाया कि हालांकि प्रधानमंत्री ने पूर्ण समर्थन का वादा किया था, लेकिन मोदी या उनके नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने उस आश्वासन के संबंध में एक प्रतिशत भी न्याय नहीं किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह उन लोगों के प्रति एक अमानवीय दृष्टिकोण है जिन्होंने इतनी बड़ी त्रासदी झेली है।’’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी इसके खिलाफ संसद के अंदर और बाहर अपना विरोध तेज करेगी।
सिद्दीकी ने नयी दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, ‘‘नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के साथ ही वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करेंगी।’’
सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्व वाले वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) और विपक्षी कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ), दोनों ही केंद्र सरकार से भूस्खलन की आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने और बचे लोगों के राहत और पुनर्वास के लिए जल्द से जल्द आवश्यक सहायता प्रदान करने की मांग करते रहे हैं।
राज्य में हाल ही में केंद्र के उस हालिया पत्र के बाद राजनीतिक विवाद देखने को मिला, जिसमें कहा गया था कि राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के मौजूदा दिशानिर्देशों के तहत, किसी भी आपदा को ‘राष्ट्रीय आपदा’ घोषित करने का कोई प्रावधान नहीं है।
वायनाड में 30 जुलाई को आई आपदा ने अट्टमाला के कुछ हिस्सों के साथ-साथ तीन गांवों - पुंचिरीमट्टम, चूरलमाला और मुंडक्कई के बड़े हिस्से को तबाह कर दिया था।
सरकार के अनुसार, इस घातक आपदा में 231 लोगों की जान चली गई, जबकि 47 लोग अब भी लापता हैं।
भाषा संतोष