मणिपुर में ‘रेडियो टैग’ किया गया अमूर फाल्कन पक्षी केन्या पहुंचा
यासिर माधव
- 26 Nov 2024, 05:54 PM
- Updated: 05:54 PM
इंफाल, 26 नवंबर (भाषा) मणिपुर के तामेंगलोंग जिले में भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) के वैज्ञानिकों द्वारा ‘रेडियो टैग’ किया गया एक अमूर फाल्कन (बाज की प्रजाति) पक्षी, केन्या में प्रवेश कर गया और वह अब त्सवो ईस्ट राष्ट्रीय उद्यान की ओर बढ़ रहा है। एक वैज्ञानिक ने यह जानकारी दी।
देहरादून स्थित भारतीय वन्यजीव संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. सुरेश कुमार ने मंगलवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि ‘च्युलुआन- 2’ नाम का ‘अमूर फाल्कन’ पक्षी सोमालिया पार कर केन्या में प्रवेश कर गया है।
तामेंगलोंग के प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) खारीबाम हिटलर सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि 12 अक्टूबर को साइबेरियाई क्षेत्र से मणिपुर पहुंचे दो ‘अमूर फाल्कन’ को तामेंगलोंग वन प्रभाग की एक टीम और स्थानीय स्वयंसेवकों ने सुरेश कुमार की देखरेख में च्युलुआन चिड़ियों के बसेरा स्थल से पकड़ लिया।
तामेंगलोंग जिले में भारतीय वन्यजीव संस्थान के वैज्ञानिकों ने दोनों पक्षियों को ‘रेडियो-टैग’ किया। नर पक्षी का नाम ‘च्युलुआन-2’ और मादा का नाम ‘गुआंगराम’ रखा गया, जो तामेंगलोंग जिले के दो महत्वपूर्ण बसेरा वाले गांवों के नाम पर है।
सिंह ने कहा कि ‘च्युलुआन- 2’ को ‘सैटेलाइट ट्रांसमीटर’ से ‘टैग’ करने के बाद आठ नवंबर को छोड़ा गया था और यह बिना रुके उड़ते हुए 15 नवंबर को उड़ीसा के तटीय इलाकों में पहुंचा तथा वहां से यह महाराष्ट्र गया तथा अरब सागर को पार करते हुए सोमालिया-केन्या की सीमा पर पहुंचा।
उन्होंने बताया कि मादा पक्षी ‘गुआंगराम’ अभी मणिपुर से बाहर नहीं गई है।
डीएफओ ने बताया कि अमूर फाल्कन, बाज परिवार का एक छोटा शिकारी पक्षी है। यह दक्षिण-पूर्वी साइबेरिया और उत्तरी चीन में प्रजनन करता है। साइबेरिया और उत्तरी चीन की कठोर सर्दियों से बचने के लिए पक्षी लगभग 14,500 किलोमीटर की दूरी तय करके दक्षिणी और पूर्वी अफ्रीकी तटों पर स्थित मैदानों की ओर बढ़ते हैं और अप्रैल-मई में वे वापसी के लिए अपनी यात्रा शुरू करते हैं।
भाषा यासिर