संविधान दिवस: भारतीय संविधान की मसौदा रचना समिति के सदस्यों पर एक नजर
वैभव माधव
- 26 Nov 2024, 02:20 PM
- Updated: 02:20 PM
नयी दिल्ली, 26 नवंबर (भाषा) संविधान दिवस के अवसर पर देश संविधान का मसौदा तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले दिग्गजों को श्रद्धांजलि दे रहा है, ऐसे में उन प्रतिष्ठित नेताओं और कानूनी विशेषज्ञों की सूची पर नजर डालना भी महत्वपूर्ण होगा जिन्होंने भारत को एक लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने के लिए विविध दृष्टिकोण अपनाए।
डॉ. बीआर आंबेडकर (सभापति): संविधान के मुख्य रचनाकार के रूप में पहचान पाने वाले डॉ आंबेडकर एक प्रसिद्ध विद्वान, समाज सुधारक और स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री थे। सामाजिक न्याय के कट्टर समर्थक के रूप में उन्होंने सुनिश्चित किया कि संविधान में समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के सिद्धांतों को बरकरार रखा जाए, जबकि हाशिए पर पड़े समुदायों के अधिकारों की रक्षा पर ध्यान केंद्रित किया जाए।
टीटी कृष्णमाचारी (जनवरी 1948 में शामिल हुए): एक अनुभवी प्रशासक और राजनीतिज्ञ कृष्णमाचारी को एक सदस्य के निधन के बाद समिति में लाया गया था। अपनी कुशाग्र बुद्धि के लिए पहचान पाने वाले कृष्णमाचारी ने आर्थिक और प्रशासनिक संरचनाओं पर चर्चाओं में योगदान दिया, जिससे संविधान के मसौदे में प्रमुख प्रावधानों को परिष्कृत करने में मदद मिली।
अल्लादि कृष्णस्वामी अय्यर: प्रख्यात न्यायविद और अधिवक्ता अय्यर ने मसौदे के कानूनी और संवैधानिक ढांचे को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने संघवाद को एकात्मक ढांचे के साथ संतुलित करने और न्यायिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
केएम मुंशी: लेखक, वकील और राजनेता मुंशी ने मसौदा तैयार करने की प्रक्रिया में एक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य रखा। उन्होंने राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों और भाषाई तथा सांस्कृतिक अधिकारों से संबंधित प्रावधानों को शामिल करने का समर्थन किया।
एन गोपालस्वामी अयंगर: जम्मू कश्मीर के पूर्व प्रधानमंत्री अयंगर संविधान के प्रशासनिक पहलुओं को आकार देने में एक प्रमुख व्यक्ति थे। जम्मू कश्मीर के लिए संसदीय ढांचे और विशेष प्रावधानों को तैयार करने में उनकी अंतर्दृष्टि महत्वपूर्ण थी। उन्होंने अनुच्छेद 370 का भी मसौदा तैयार किया, जिसने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा दिया।
मोहम्मद सादुल्ला: असम से आने वाले, वकील-राजनेता सादुल्ला ने अल्पसंख्यक अधिकारों और संघवाद पर चर्चा में योगदान दिया, पूर्वोत्तर क्षेत्र से एक परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत किया तथा शासन ढांचे में समावेश सुनिश्चित किया।
देबी प्रसाद खेतान (1948 में निधन): बंगाल के प्रतिष्ठित वकील और विधायक, मसौदा तैयार करने की प्रक्रिया के शुरुआती चरणों में खेतान का योगदान महत्वपूर्ण था। 1948 में उनकी असामयिक मृत्यु ने एक शून्य पैदा कर दिया, लेकिन उनके काम ने कई प्रगतिशील प्रावधानों की नींव रखी।
एन माधव राव: प्रशासक के रूप में राव शासन में अपनी विशेषज्ञता का लाभ समिति को पहुंचाया। उन्होंने प्रशासनिक सुधारों और संस्थागत ढांचे से संबंधित प्रावधानों को आकार देने में भूमिका निभाई।
बीएल मित्तर: प्रमुख कानूनी विशेषज्ञ, मित्तर ने शुरू में मसौदा तैयार करने की प्रक्रिया में योगदान दिया, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से बाद में इस्तीफा दे दिया। कानूनी संरचनाओं और न्यायिक तंत्रों पर उनके शुरुआती योगदान संविधान को आकार देने में अमूल्य थे। मित्तर के बारे में यह भी कहा जाता है कि उन्होंने भारत के साथ रियासतों के एकीकरण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
भाषा वैभव