उच्चतम न्यायालय ने सार्वजनिक पुस्तकालय को ध्वस्त करने के लिए एमसीडी को फटकार लगाई
देवेंद्र प्रशांत
- 25 Nov 2024, 09:22 PM
- Updated: 09:22 PM
नयी दिल्ली, 25 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को उस इमारत को ध्वस्त करने के लिए कड़ी फटकार लगाई जिसमें एक सार्वजनिक पुस्तकालय था। अदालत ने कहा ‘‘कोई दैवीय शक्ति नहीं है जो आपको जगा सके’’।
पहली दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी (डीपीएल) की शुरुआत तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1951 में पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास की थी।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्ल भुइयां की पीठ ने सवाल किया कि पक्षकारों के उच्चतम न्यायालय में जाने का इंतजार किए बिना नगर निगम उस इमारत को कैसे ध्वस्त कर सकता है जिसमें 1954 से डीपीएल स्थित है।
पीठ ने नगर निगम की ओर से अदालत में पेश हुए वकील से कहा, ‘‘सालों से लोग आपको जगाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। कोई दैवीय शक्ति नहीं है जो आपको जगा सके। लेकिन इस मामले में, एक हफ्ते के भीतर ही आपने तेजी से काम किया और इमारत को गिरा दिया। हम न केवल जांच का आदेश देंगे, बल्कि यदि कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो इमारत की क्षतिपूर्ति का भी निर्देश देंगे।’’
पीठ ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस मामले में 10 सितंबर, 2018 को एक आदेश पारित किया था और किरायेदारों और इमारत में रहने वाले अन्य लोगों को शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाने का मौका दिए बिना ही, एमसीडी ने 18 सितंबर, 2018 को सुबह 8:30 बजे इमारत को ध्वस्त कर दिया।
इसने कहा कि 18 सितंबर, 2018 को उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया था कि उस इमारत के संबंध में यथास्थिति बनाए रखी जाए जिसमें पुस्तकालय था और इसकी जीर्ण-शीर्ण स्थिति के कारण इसे ध्वस्त किए जाने का खतरा था।
पीठ ने कहा कि हैरानी की बात यह है कि सुनवाई के दौरान एमसीडी के वकील ने कहा कि नगर निकाय ने तोड़फोड़ नहीं की है।
पीठ ने कहा कि भवन मालिक ने अदालत के संज्ञान में एक तस्वीर लाई है, जिसमें एमसीडी का एक कार्यकारी अभियंता भारी मशीनरी के साथ भवन को गिराने के लिए आता हुआ दिखाई दे रहा है।
पीठ ने कहा, ‘‘एमसीडी और प्रतिवादी संख्या 2 (मेसर्स डिंपल एंटरप्राइज) को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाए ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि किसके आदेश पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की गई।’’
इसने कहा कि अदालत को यह जानने की जरूरत है कि वे कौन सी छिपी हुई परिस्थितियां थीं जिनके कारण एमसीडी ने पक्षकार को उच्चतम न्यायालय जाने का अधिकार देने से इनकार कर दिया।
नगर निकाय को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हुए पीठ ने विवाद से जुड़ी निजी कंपनी डिम्पल एंटरप्राइज से उसके संस्थापकों का विवरण देने और उन परिस्थितियों के बारे में बताने को कहा, जिनके कारण इमारत को गिराया गया।
पीठ ने कहा कि उसका 18 सितंबर, 2018 का अंतरिम आदेश अगले आदेश तक जारी रहेगा।
भाषा देवेंद्र