दिल्ली दंगे : यूएपीए मामले में गुलफिशा, खालिद सैफी ने उच्च न्यायालय में जमानत की अर्जी दायर की
जितेंद्र रंजन
- 25 Nov 2024, 07:56 PM
- Updated: 07:56 PM
नयी दिल्ली, 25 नवंबर (भाषा) छात्र कार्यकर्ता गुलफिशा फातिमा, ‘यूनाइटेड अगेंस्ट हेट’ के संस्थापक खालिद सैफी और अन्य ने फरवरी 2020 की हिंसा से जुड़े गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) मामले में सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में जमानत की अर्जी दी।
न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति शलिंदर कौर की पीठ छह दिसंबर को इस मामले की सुनवाई जेएनयू (जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय) के पूर्व छात्र उमर खालिद की जमानत याचिका के साथ करेगी।
आरोपियों ने आतंकवाद विरोधी कानून के तहत मामले में चार साल से अधिक समय तक जेल में रहने के कारण जमानत की अर्जी दी।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मुकदमे के जल्द खत्म होने की संभावना नहीं है।
पीठ ने यूएपीए मामले में छात्र कार्यकर्ता शरजील इमाम की जमानत याचिका समेत कुछ मामलों की सुनवाई 12 दिसंबर के लिए सूचीबद्ध की है।
खालिद, इमाम और कई अन्य लोगों पर यूएपीए व तत्कालीन भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) प्रावधानों के तहत कथित तौर पर एक ‘बड़ी साजिश’ का हिस्सा होने और फरवरी 2020 के दंगों के ‘मास्टरमाइंड’ होने का मुकदमा दर्ज है।
दंगों में 53 लोग मारे गए और 700 से अधिक घायल हुए थे।
संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय पंजीकरण पंजी (एनआरसी) विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा हुई थी।
इन मामलों की सुनवाई करने वाली पीठ में बदलाव के बाद उच्च न्यायालय द्वारा नए सिरे से सुनवाई की जा रही है।
गुलफिशा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि अधीनस्थ न्यायालय की सुनवाई अब भी आरोप तय करने पर बहस के चरण में है और गुलफिशा कथित सहयोगी देवांगना कलिता और नताशा नरवाल को 2021 में उच्च न्यायालय ने जमानत दे दी थी।
सिब्बल ने दलील दी, “उसके (गुलफिशा के) जेल में होने का कोई आधार ही नहीं है। दंगों में उसकी कोई वास्तविक भागीदारी नहीं है।”
सैफी की ओर से पेश हुई वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका जॉन ने भी इसी आधार पर जमानत की अर्जी दी। उन्होंने कहा, “897 गवाह हैं। आरोपों पर बहस चल रही है। पहले आरोपी की (अधीनस्थ न्यायालय में) सुनवाई हो रही है।”
जॉन ने दलील दी कि उनका मुवक्किल हिरासत में हिंसा का शिकार है और सह-आरोपी के समान जमानत का हकदार है।
जामिया मिलिया इस्लामिया के पूर्व छात्र संघ के अध्यक्ष शिफा-उर-रहमान की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने दलील दी कि वह (रहमान) किसी भी तरह के अपराध में शामिल नहीं थे और हिंसा के किसी भी कृत्य के लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
उमर खालिद को छोड़कर सभी जमानत याचिकाएं 2022 में दायर की गईं और समय-समय पर अलग-अलग पीठ ने मामलों में सुनवाई भी की।
फरवरी, 2020 में हुई हिंसा के बाद सभी आरोपियों को दिल्ली पुलिस ने अलग-अलग दिनों में गिरफ्तार किया था।
भाषा जितेंद्र