दिल्ली विधिक मापविज्ञान प्रवर्तन नियम में संशोधन को उपराज्यपाल की मंजूरी
पारुल दिलीप
- 25 Nov 2024, 07:12 PM
- Updated: 07:12 PM
नयी दिल्ली, 25 नवंबर (भाषा) उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली विधिक मापविज्ञान प्रवर्तन नियम-2011 में किए गए अहम संशोधनों को मंजूरी दे दी है, ताकि इन्हें केंद्र सरकार के नियमों के अनुरूप बनाया जा सके। सोमवार को जारी एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई है।
बयान के मुताबिक, ये संशोधन खुदरा विक्रेताओं, थोक विक्रेताओं और निर्माताओं के कदाचार के खिलाफ सख्त नियम पेश कर आम उपभोक्ता को धोखाधड़ी और जालसाजी से बचाएंगे।
इसमें कहा गया है कि ये संशोधन निष्पक्ष बाजार प्रथाओं को सुनिश्चित करने के लिए जन विश्वास अधिनियम-2023 के तहत केंद्र सरकार की ओर से हाल ही में किए गए बदलावों के अनुरूप हैं।
बयान के अनुसार, इन संशोधनों में दिल्ली विधिक मापविज्ञान प्रवर्तन नियम-2011 की अनुसूची ग्यारह में बदलाव शामिल है, जो गैर-मानक बाट एवं माप पद्धति का इस्तेमाल करने वालों पर जुर्माने की राशि बढ़ाने का प्रावधान करता है।
इसमें कहा गया है कि गैर-मानक बाट एवं माप पद्धति का इस्तेमाल करने पर खुदरा विक्रेताओं पर जुर्माने की राशि 2,500 रुपये से बढ़ाकर 5,000 रुपये, थोक विक्रेताओं पर 10,000 रुपये और पेट्रोलियम उद्योग/पेट्रोल पंप पर 50,000 रुपये कर दी जाएगी।
बयान के मुताबिक, गैर-मानक बाट एवं माप उपकरण का इस्तेमाल करने वाले निर्माताओं पर जुर्माने की राशि 2,000 रुपये से बढ़ाकर 1,00,000 रुपये करने का प्रावधान है, जबकि गैर-मानक पैकेज बेचने पर खुदरा विक्रेताओं पर 2,500 रुपये के बजाय 5,000 रुपये और निर्माताओं पर 25,000 रुपये जुर्माना लगाया जाएगा।
बयान में कहा गया है कि नियमों में संशोधन से जुड़े कानून विभाग के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए उपराज्यपाल ने निर्देश दिया कि मसौदा अधिसूचना को मंजूरी के लिए उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय (बाट एवं माप प्रभाग) को भेजा जाए, जैसा कि अधिनियम में अनिवार्य किया गया है।
बयान के अनुसार, उपराज्यपाल ने यह भी निर्देश दिया है कि विभाग ऐसे प्रस्तावों पर दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार अधिनियम-1991 के अनुसार सख्ती से कार्रवाई कर सकता है।
इसमें कहा गया है कि एक बार बदलाव लागू होने के बाद दिल्ली सरकार को विशिष्ट अपराधों के लिए ‘कंपाउन्डिंग शुल्क’ बढ़ाने का अधिकार होगा।
बयान के मुताबिक, देशभर में नियामक मानकों में एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए विधिक मापविज्ञान (पैकेज में रखी गई वस्तुएं) नियम-2011 के विशिष्ट प्रावधानों को दिल्ली के नियमों में एकीकृत किया जाएगा।
भाषा पारुल