कांग्रेस के जिन नेताओं ने मुझे परेशान किया वे चुनाव हार गए: भाजपा सांसद अशोक चव्हाण
प्रीति मनीषा
- 25 Nov 2024, 05:39 PM
- Updated: 05:39 PM
छत्रपति संभाजीनगर, 25 नवंबर (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्यसभा सदस्य और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने सोमवार को कहा कि जब वह कांग्रेस में थे तो पार्टी की राज्य ईकाई के जिन नेताओं ने उन्हें परेशान किया वे विधानसभा चुनाव हार गए हैं।
नांदेड़ में अपने समर्थकों की एक बैठक को संबोधित करते हुए चव्हाण ने कहा कि लोगों ने भाजपा में शामिल होने के लिए उनकी आलोचना की थी, लेकिन इसके बावजूद पार्टी एकतरफा चुनाव जीतने में सफल रही।
भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन करते हुए 288 में से 230 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) वाली विपक्षी महाविकास आघाडी को करारी हार का सामना करना पड़ा और वह सिर्फ 46 सीटें ही जीत पाई।
कांग्रेस सिर्फ 16 सीट पर ही सिमट गई। यहां तक कि इसके वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण और बालासाहेब थोराट भी क्रमशः कराड दक्षिण और संगमनेर सीट पर हार गए।
कांग्रेस की महाराष्ट्र ईकाई के प्रमुख नाना पटोले सांकोली सीट पर मात्र 208 मतों के मामूली अंतर से ही जीत पाए।
भाजपा नेता ने कहा, ‘‘पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण और पूर्व राजस्व मंत्री बालासाहेब थोराट चुनाव हार गए। मुझे परेशान करने वाले सभी हार गए इसलिए कोई मुझे परेशान न करे।’’
अशोक चव्हाण की बेटी श्रीजया ने पहली बार चुनाव लड़ा और नांदेड़ की भोकर विधानसभा सीट पर 50,551 मतों से जीत हासिल की।
लोकसभा चुनाव से पहले फरवरी में भाजपा में शामिल हुए अशोक चव्हाण ने कहा, ‘‘मैं जहां भी रहा, वहां मैंने पूरे मन से काम किया। लोगों ने मुझसे कहा कि मेरा (भाजपा में) जाने का फैसला गलत था। लेकिन अब आप देख रहे हैं कि पार्टी ने यह एकतरफा चुनाव जीत लिया है।’’
उन्होंने बताया कि कांग्रेस के मौजूदा विधायक अमित देशमुख लातूर शहर सीट पर मामूली मतों के अंतर से ही जीत पाए, जबकि उनके छोटे भाई धीरज लातूर ग्रामीण सीट 6,000 वोट से हार गए।
चव्हाण ने कहा, ‘‘महाराष्ट्र प्रदेश इकाई के अध्यक्ष (नाना पटोले) ने यहां मेरा नाम पुकारा और वापस चले गए, लेकिन वे मामूली अंतर से ही जीत पाए। इन नेताओं ने कहा था कि वे महाराष्ट्र के लिए फैसले लेंगे।’’
भाषा प्रीति