हम विश्व युद्ध की कगार पर, बुद्ध का बताया गया मार्ग ही एकमात्र समाधान: गडकरी
अनवर जितेंद्र
- 21 Nov 2024, 09:04 PM
- Updated: 09:04 PM
बोधगया, 21 नवंबर (भाषा) केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बृहस्पतिवार को कहा कि वैश्विक हालात से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि हम युद्ध के करीब और बुद्ध का दिखाया शांति का मार्ग ही स्थिरता का एकमात्र साधन है।
गडकरी ने बिहार के बोधगया में स्थित महाबोधि मंदिर में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का प्रबंधन करने वाले ट्रस्ट द्वारा आयोजित एक समारोह में यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा, “आज दुनिया एक बड़ी समस्या का सामना कर रही है। हम विश्व युद्ध की कगार पर हैं। यह ऐसा समय है, जब हमें विश्व शांति (विश्व शांति) की आकांक्षा करनी चाहिए। भगवान गौतम बुद्ध हमें प्रेरित कर सकते हैं।”
भाजपा के वरिष्ठ नेता ने बुद्ध के सिद्धांतों के साथ अपने लगाव का जिक्र करते हुए कहा कि नागपुर वह स्थान है, जहां बाबा साहेब अंबेडकर ने बौद्ध धर्म अपनाया था।
नागपुर, गडकरी का गृह नगर और लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है। गडकरी ने कहा, “महाराष्ट्र की तत्कालीन सरकार में मंत्री के रूप में मुझे नागपुर दीक्षाभूमि को अंतिम रूप देने का सौभाग्य मिला, जिस पर कुछ समय से काम रुका हुआ था।”
भाजपा के पूर्व अध्यक्ष ने महाराष्ट्र की पूर्व मंत्री और अंबेडकरवादी बौद्ध सुलेखा कुंभारे को ‘अपनी बहन’ बताया।
कुंभारे ने नागपुर में ‘ड्रैगन पैलेस’ मंदिर के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
गडकरी ने कहा, “हाल ही में मुझे अपनी पत्नी के साथ मंदिर जाने और कुछ समय ध्यान लगाने का सौभाग्य मिला।”
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उन्होंने महसूस किया कि वह अपने जीवन में जो कुछ भी हासिल कर पाये हैं, वह सब भगवान बुद्ध का आशीर्वाद है, जो उन्हें गरीबों के लिए काम करने के लिए प्रेरित करते रहते हैं।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने यह भी बताया, “हम बुद्ध सर्किट के हिस्से के रूप में 22,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से लगभग 1600 किलोमीटर सड़क का निर्माण कर रहे हैं। 1100 किलोमीटर का काम पूरा हो चुका है और अगले वर्ष की शुरुआत तक 370 किलोमीटर का काम पूरा हो जाएगा। शेष 130 किलोमीटर के लिए निविदा प्रक्रिया जारी है।”
मंत्री ने कहा कि बिहार और उत्तर प्रदेश के वे स्थान, जिनका बुद्ध के साथ ऐतिहासिक संबंध था उन्हें अच्छी गुणवत्ता वाली कई लेन वाली सड़कों से जोडने के दृष्टिकोण से ऐसा किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, “यह कहने की जरूरत नहीं है कि यह स्थान (बोधगया) जहां बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था, ऐसे ही स्थान में से एक है।”
भाषा अनवर