पंजाब के पूर्व मंत्री अनिल जोशी ने शिअद से दिया इस्तीफा
रवि कांत रवि कांत सुभाष
- 20 Nov 2024, 07:13 PM
- Updated: 07:13 PM
चंडीगढ़, 20 नवंबर (भाषा) पंजाब के पूर्व मंत्री अनिल जोशी ने बुधवार को शिरोमणि अकाली दल (शिअद) से इस्तीफा दे दिया और आरोप लगाया कि ऐसा प्रतीत होता है कि पार्टी केवल धर्म और पंथ के एजेंडे में उलझी हुई है तथा राज्य के वास्तविक मुद्दों पर वह कुछ नहीं कह रही है।
जोशी ने शिअद के टिकट पर अमृतसर सीट से 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन वह हार गए थे। वह 2007 और 2012 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के टिकट पर अमृतसर उत्तर से विधायक चुने गए थे।
जोशी ने 2021 में किसान आंदोलन के प्रति उचित रुख नहीं अपनाने के लिए भाजपा की आलोचना की थी, जिसके बाद उन्हें भाजपा से निष्कासित कर दिया गया था। इसके बाद वह शिअद में शामिल हो गए थे।
ताजा घटनाक्रम में, जोशी ने अपना इस्तीफा पत्र शिअद के कार्यकारी अध्यक्ष बलविंदर सिंह भूंदड़ को भेजा है।
जोशी ने भूंदड़ को लिखे पत्र में कहा कि वह 2021 में शिअद में शामिल हुए थे, जब भाजपा ने उन्हें कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब और किसानों के पक्ष में आवाज उठाने के लिए छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया था।
जोशी ने पत्र में लिखा, ‘‘मैं अकाली दल में इसलिए शामिल हुआ क्योंकि मुझे हमेशा लगता था कि प्रकाश सिंह बादल पंजाब की एकता, अखंडता और आपसी भाईचारे के ध्वजवाहक हैं और पांच बार मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने हमेशा हर धर्म का सम्मान किया है। यही सोच मैंने सुखबीर सिंह बादल में देखी।’’
पत्र में कहा गया है,‘‘लेकिन, पार्टी में चल रहे घटनाक्रम से ऐसा लग रहा है कि पंजाब के वास्तविक मुद्दों पर कुछ नहीं कहा जा रहा है और न ही उस भाईचारे की सोच के बारे में कुछ कहा जा रहा है जिसके लिए वह पार्टी में शामिल हुए थे।’’
उन्होंने लिखा, ‘‘लेकिन, ऐसा लगता है कि अकाली दल सिर्फ धर्म और पंथ से जुड़े एजेंडे में उलझा हुआ है।’’
जोशी ने पत्र में लिखा है कि प्रकाश सिंह बादल की मृत्यु के बाद पार्टी में उत्पन्न स्थिति और उसमें हावी हुए मुद्दों के कारण सुखबीर सिंह बादल को शिअद अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा।
उन्होंने कहा कि उनके लिए शिअद में रहकर पंजाब के लोगों की सेवा करना संभव नहीं है, इसलिए वह पार्टी से इस्तीफा दे रहे हैं।
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