मोदी ने की नाइजीरियाई राष्ट्रपति से वार्ता; रणनीतिक संबंधों को और मजबूत बनाने पर रहा जोर
जोहेब सुरेश
- 17 Nov 2024, 08:31 PM
- Updated: 08:31 PM
(फोटो के साथ)
अबुजा, 17 नवंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि भारत नाइजीरिया के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को उच्च प्राथमिकता देता है। उन्होंने नाइजीरिया के राष्ट्रपति बोला अहमद टिनुबू के साथ व्यापक वार्ता की, जिसमें रक्षा, व्यापार और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया गया।
वार्ता में दोनों नेताओं ने आतंकवाद, समुद्री डकैती और कट्टरपंथ से संयुक्त रूप से लड़ने तथा ‘ग्लोबल साउथ’ की आकांक्षाओं को पूरा करने की दिशा में काम करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, मोदी ने नाइजीरिया को कृषि, परिवहन, किफायती दवाओं, नवीकरणीय ऊर्जा और डिजिटल परिवर्तन के मामले में भारत के अनुभवों का लाभ उठाने की पेशकश की।
वहीं, टिनुबू ने भारत द्वारा प्रस्तावित विकास सहयोग साझेदारी तथा स्थानीय क्षमता, कौशल और पेशेवर विशेषज्ञता के सृजन में इसके सार्थक प्रभाव की सराहना की।
मोदी रविवार सुबह अबुजा पहुंचे। यह 17 वर्षों के अंतराल के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की नाइजीरिया की पहली यात्रा है।
प्रधानमंत्री ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में नाइजीरियाई राष्ट्रपति के साथ वार्ता को "बहुत सार्थक" बताया और कहा कि उन्होंने रणनीतिक साझेदारी को गति देने के बारे में बात की।
उन्होंने कहा, “रक्षा, ऊर्जा, प्रौद्योगिकी, व्यापार, स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में संबंधों को और मजबूत बनाने की अपार संभावनाएं हैं।"
वार्ता के बाद, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, सीमा शुल्क में सहयोग और सर्वेक्षण सहयोग को लेकर तीन सहमति ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए।
प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के दौरान अपने संबोधन की शुरुआत में मोदी ने आतंकवाद, अलगाववाद, समुद्री डकैती और मादक पदार्थों की तस्करी को प्रमुख चुनौतियां करार देते हुए कहा कि दोनों देश इनसे निपटने के लिए मिलकर काम करते रहेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा, "हम नाइजीरिया के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को उच्च प्राथमिकता देते हैं... मुझे विश्वास है कि हमारी वार्ता के बाद हमारे संबंधों में एक नया अध्याय शुरू होगा।"
मोदी ने लगभग 60,000 प्रवासी भारतीयों को भारत-नाइजीरिया संबंधों का एक प्रमुख स्तंभ बताया तथा उनका कल्याण सुनिश्चित करने के लिए टिनुबू को धन्यवाद दिया।
प्रधानमंत्री ने यह घोषणा भी की कि भारत पिछले महीने बाढ़ से प्रभावित नाइजीरियाई लोगों के लिए 20 टन राहत सामग्री भेज रहा है।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि मोदी और टिनुबू ने मौजूदा द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा की और भारत-नाइजीरिया रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की।
मंत्रालय ने कहा, "संबंधों की प्रगति को लेकर संतोष व्यक्त करते हुए, उन्होंने कहा कि व्यापार, निवेश, शिक्षा, ऊर्जा, स्वास्थ्य, संस्कृति और लोगों के बीच संबंधों के क्षेत्र में सहयोग की अपार संभावनाएं हैं।"
मंत्रालय ने कहा, "दोनों नेताओं ने रक्षा व सुरक्षा सहयोग बढ़ाने पर भी चर्चा की। उन्होंने आतंकवाद, समुद्री डकैती और कट्टरपंथ से मिलकर लड़ने की प्रतिबद्धता दोहराई।"
दोनों नेताओं ने वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर भी चर्चा की तथा राष्ट्रपति टिनुबू ने ‘वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ’ शिखर सम्मेलन के माध्यम से विकासशील देशों की चिंताओं को सामने रखने के भारत के प्रयासों की सराहना की।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "दोनों नेताओं ने ग्लोबल साउथ की विकास आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए मिलकर काम करने पर सहमति व्यक्त की।"
बैठक में मोदी ने ‘इकॉनोमिक कम्युनिटी ऑफ वेस्ट एशियन स्टेट्स’ (ईकोवास) के अध्यक्ष के रूप में नाइजीरिया की भूमिका तथा बहुपक्षीय एवं बहुपक्षीय निकायों में उसके योगदान की सराहना की।
ईकोवास पश्चिम अफ्रीका के 15 देशों का एक क्षेत्रीय राजनीतिक व आर्थिक संघ है।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि ‘इंटरनेशनल सोलर अलायंस’ और ‘इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस’ में नाइजीरिया की सदस्यता का जिक्र करते हुए मोदी ने टिनुबू को भारत द्वारा शुरू की गई ऐसी ही अन्य पहलों में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया।
उन्होंने पिछले साल भारत की मेजबानी में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन में अफ्रीकी संघ के स्थायी सदस्य बनने का भी उल्लेख किया और इसे एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम बताया।
प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता से पहले, मोदी और टिनुबू ने राष्ट्रपति भवन में आमने-सामने की बैठक की। प्रधानमंत्री का औपचारिक स्वागत भी किया गया।
मोदी तीन देशों की यात्रा के तहत नाइजीरिया में हैं। वह जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए अबुजा से ब्राजील जाएंगे। उनका अंतिम गंतव्य गुयाना होगा।
अक्टूबर 2007 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की नाइजीरिया यात्रा के दौरान भारत-नाइजीरिया संबंधों को "रणनीतिक साझेदारी" का दर्जा दिया गया था।
नाइजीरिया छह दशकों से अधिक समय से भारत का करीबी साझेदार रहा है। भारत ने 1960 में नाइजीरिया के स्वतंत्र होने से दो साल पहले नवंबर 1958 में लागोस में अपना राजनयिक भवन स्थापित किया था।
पश्चिम अफ्रीका में नाइजीरिया में भारतीय समुदाय के सबसे अधिक 60 हजार लोग रहते हैं, जिसकी वजह से दीर्घकालिक संबंधों का महत्व और बढ़ जाता है।
भारतीय अधिकारियों के अनुसार, 200 से अधिक भारतीय कंपनियों ने सभी महत्वपूर्ण विनिर्माण क्षेत्रों में लगभग 27 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है।
भाषा जोहेब