राजस्थान: एसडीएम को थप्पड़ मारने वाले निर्दलीय प्रत्याशी को न्यायिक हिरासत में भेजा, टोंक में हालात स्थिर
खारी रंजन
- 15 Nov 2024, 09:51 PM
- Updated: 09:51 PM
जयपुर, 15 नवंबर (भाषा) राजस्थान के टोंक जिले में देवली-उनियारा विधानसभा उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी को एक नाटकीय घटनाक्रम और हिंसा के बाद गिरफ्तार किए जाने के एक दिन पश्चात शुक्रवार को यहां हालात स्थिर और नियंत्रण में हैं और मीणा को अदालत ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
एक मतदान केंद्र के बाहर 13 नवंबर को चुनाव ड्यूटी पर तैनात मालपुरा के उप-खंड मजिस्ट्रेट (एसडीएम) अमित चौधरी को थप्पड़ मारने वाले कांग्रेस के बागी नेता मीणा को नाट्कीय घटनाक्रम और हिंसा के बाद बृहस्पतिवार को गिरफ्तार किया गया। हिंसा के दौरान भीड़ ने ‘पीटीआई’ के संवाददाता और कैमरामैन पर हमला कर उनका कैमरा जला दिया।
टोंक से कांग्रेस विधायक एवं पार्टी के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट ने हिंसा के लिए राजस्थान की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार को जिम्मेदार ठहराया और आरोप लगाया कि ‘‘लोगों पर हमला करने के लिए सरकारी तंत्र तैनात किया गया था।’’
पुलिस ने कानून और व्यवस्था का हवाला देते हुए उन्हें टोंक जिले के निवाई में ऑनलाइन माध्यम से एक अदालत में पेश किया। संभावना थी कि मीणा को अदालत में प्रत्यक्ष रूप से पेश किया जाएगा। हालांकि, योजना बदल दी गई क्योंकि उनके समर्थक विभिन्न स्थानों पर इकट्ठा होने लगे और जयपुर-कोटा राजमार्ग को अवरुद्ध करने की चेतावनी दी।
निर्दलीय उम्मीदवार की पैरवी करने वाले अधिवक्ता सीताराम शर्मा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘पुलिस द्वारा कानून व्यवस्था का हवाला दिए जाने के बाद अदालत ने नरेश मीणा को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश करने के निर्देश दिए। सुनवाई के दौरान अदालत ने मीणा को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।’’
पुलिस के अनुसार, मीणा के खिलाफ सरकारी काम में बाधा डालने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने सहित चार मामले दर्ज किए गए हैं।
हिंसा के सिलसिले में मीणा के अलावा पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए 52 लोगों को अदालत में पेश किया गया।
पुलिस ने टोंक और आसपास के इलाकों में बड़ी संख्या में जवानों को तैनात कर सुरक्षा का कड़ा कर दिया है।
टोंक की जिलाधिकारी सौम्या झा ने कहा, ‘‘13 नवंबर को मतदान के दौरान एक उम्मीदवार ने चुनाव ड्यूटी पर तैनात एसडीएम को थप्पड़ मारा था। एसडीएम ने तभी प्राथमिकी दर्ज करा दी थी लेकिन हमने मतदान को देखते हुए उस दिन उम्मीदवार पर कोई कार्रवाई नहीं की।’’
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘मतदान समाप्त होने और मतदान दल के जाने के बाद, उम्मीदवार ने उन्हें रोकने की कोशिश की। तभी पुलिस ने हस्तक्षेप किया। पुलिस ने स्थिति को संभालने का प्रयास किया, लेकिन उम्मीदवार ने हमला शुरू कर दिया।’’
जिलाधिकारी ने कहा, ‘‘कुछ समर्थकों ने विभिन्न क्षेत्रों में हंगामा किया, लेकिन अब स्थिति स्थिर हो गई है और सब कुछ नियंत्रण में है।’’
राजस्थान प्रशासनिक सेवा परिषद के सदस्यों ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से मुलाकात की और बाद में अपना विरोध वापस ले लिया। परिषद के सदस्य मालपुरा एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ मारने के मामले में नरेश मीणा की गिरफ्तारी की मांग को लेकर कलम बंद हड़ताल पर चले गए थे।
एसोसिएशन की महासचिव नीतू राजेश्वर ने कहा कि बैठक सकारात्मक रही और हड़ताल वापस ले ली गई है।
राज्य के कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने जयपुर में गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढ़म से मुलाकात की और उनसे समरावता गांव की स्थिति के बारे में बात की, जहां हिंसा शुरू हुई थी। चर्चा के दौरान ग्रामीण भी मौजूद थे।
किरोड़ी लाल मीणा ने बैठक के बाद कहा, ‘‘किसी भी अपराधी को, चाहे वह किसी भी जाति या समूह का हो, बख्शा नहीं जाएगा। लेकिन यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि निर्दोषों को सजा न मिले।’’
उन्होंने नरेश मीणा की गिरफ्तारी के मामले को कवर करने गई ‘पीटीआई’ टीम पर हमले के लिए भी माफी मांगी।
हिंसा को लेकर कांग्रेस नेता पायलट ने कहा, ‘‘भाजपा के नेतृत्व वाली राजस्थान सरकार ने कानून और व्यवस्था पर नियंत्रण खो दिया है। राज्य तंत्र को ग्रामीणों पर हमला करने के लिए तैनात किया गया था।’’
इस बात पर बल देते हुए कि हिंसा किसी भी मुद्दे का हल नहीं है, पायलट ने कहा, ‘‘राजस्थान सरकार की क्रूरता से पता चलता है कि लोगों का उस पर कोई भरोसा नहीं है।’’
टोंक विधायक ने कहा कि सरकार को हिंसा में शामिल व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए चाहे वह कोई भी, लेकिन ‘‘जब वह खुद हिंसा में शामिल हो जाती है तो यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है’’।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने दावा किया कि हिंसा को रोकने के लिए उचित कदम उठाने या हालात पर प्रशासनिक नियंत्रण रखने के बजाय, पुलिस ‘‘अराजकता फैलाने में शामिल हो गई और यह अस्वीकार्य है।’’
उन्होंने हिंसा की पूर्ण जांच की मांग की और कहा कि राज्य सरकार को उन लोगों को मुआवजा देना चाहिए जिनकी हिंसा में नुकसान हुआ। पायलट ने कहा, ‘‘राजस्थान सरकार की कार्यशौली में लोगों का विश्वास तेजी से कम होता जा रहा है।’’
कहा जाता है कि नरेश मीणा पायलट के करीबी हैं।
गिरफ्तारी के बाद बृहस्पतिवार को मीणा के ‘एक्स’ खाते से किए गए पोस्ट में हिंसा के लिए उन्होंने भाजपा नीत सरकार को जिम्मेदार ठहराया था।
उन्होंने कहा था, ‘‘हिंसा के लिए टोंक जिलाधिकारी और भजनलाल सरकार जिम्मेदार है। पुलिस मेरे साथियों और कार्यकर्ताओं के साथ बर्बरतापूर्ण व्यवहार बंद करे, अन्यथा देवली-उनियारा में शुरू हुई चिंगारी को प्रदेश के कोने-कोने तक फैलने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। इसके लिए प्रशासन और सरकार जिम्मेदार होगी।’’
पुलिस ने अलीगढ़ कस्बे के पास 10 घंटे तक अवरुद्ध रहे टोंक-सवाई माधोपुर राजमार्ग को बृहस्पतिवार को खुलवाया।
टोंक जिले में बुधवार रात एक मतदान केंद्र के बाहर मीणा के कथित समर्थकों ने पुलिस पर पथराव कर दिया जिसके बाद भड़की हिंसा में करीब 60 दोपहिया और 18 चार पहिया वाहनों में आग लगा दी गई। हिंसा के बाद करीब 60 लोगों को गिरफ्तार किया गया।
पुलिसकर्मियों ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे।
यह सब तब शुरू हुआ, जब एसडीएम चौधरी लोगों को मतदान के लिए प्रोत्साहित करने की कोशिश कर रहे थे। स्थानीय लोगों ने समरावता गांव को देवली के बजाय उनियारा उप मंडल में शामिल करने की मांग को लेकर मतदान का बहिष्कार किया था। मीणा ग्रामीणों का समर्थन कर रहे थे।
घटना के समय मतदान केंद्र के बाहर सैकड़ों लोग मौजूद थे। बाद में मीणा मतदान केंद्र के बाहर धरने पर बैठ गए और अपने समर्थकों से लाठी-डंडे लेकर इकट्ठा होने को कहा।
मतदान संपन्न होने के बाद पुलिस ने मीणा और उनके समर्थकों से कहा कि वे वहां से चले जाएं, ताकि मतदान दल ईवीएम के साथ मतदान केंद्र से निकल सके। पुलिस ने बताया कि लेकिन वे हिंसक हो गए और पुलिसकर्मियों पर पथराव किया।
देवली-उनियारा समेत सात विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए 13 नवंबर को सुबह सात बजे से शाम छह बजे तक मतदान हुआ। मतगणना 23 नवंबर को होगी।
भाषा खारी