रुपया सात पैसे गिरकर 84.46 प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर
राजेश राजेश अजय
- 14 Nov 2024, 08:43 PM
- Updated: 08:43 PM
मुंबई, 14 नवंबर (भाषा) विदेशी कोषों की सतत निकासी और निवेशकों की मजबूत डॉलर मांग के कारण अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में बृहस्पतिवार को रुपया सात पैसे टूटकर 84.46 प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ।
विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने कहा कि डॉलर:रुपया जोड़ी पर नीचे की ओर का दबाव मुख्य रूप से लगातार मुद्रास्फीति और विदेशी कोषों की निकासी के कारण है।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 84.40 पर खुला। सत्र के दौरान स्थानीय मुद्रा ने 84.39 के उच्चस्तर और 84.47 के निचले स्तर को छुआ। अंत में यह डॉलर के मुकाबले 84.46 के अपने नए सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ, जो पिछले बंद स्तर से सात पैसे की गिरावट है।
बुधवार को रुपया सीमित दायरे में कारोबार के बाद डॉलर के मुकाबले 84.39 पर स्थिर रहा।
शेयरखान बाय बीएनपी पारिबा में बुनियादी मुद्रा और जिंस के उपाध्यक्ष (एसोसिएट) प्रवीण सिंह ने कहा, ‘‘अमेरिकी डॉलर इंडेक्स ने 106.76 के नए चक्र उच्चस्तर को छुआ है, क्योंकि यह 107.50 के कड़े प्रतिरोध के करीब पहुंच गया है।’’
सिंह ने कहा, ‘‘अमेरिकी मुद्रास्फीति के मोर्चे पर कोई राहत नहीं मिली, क्योंकि कल जारी किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि प्रमुख उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में लगातार तीसरे महीने 0.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह साल-दर-साल आधार पर 3.3 प्रतिशत बढ़ा है।’’
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी प्रमुख एवं कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा कि रुपये की गिरावट को रिजर्व बैंक ने रोका है, जिसने डॉलर बेचना जारी रखा है।
इस बीच, दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.30 प्रतिशत की तेजी के साथ 106.80 पर कारोबार कर रहा था।
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.03 प्रतिशत बढ़कर 72.30 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि डॉलर-रुपये की जोड़ी निकट भविष्य में 85 के स्तर तक बढ़ सकती है। हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप से गति धीमी हो सकती है।
उन्होंने कहा कि वैश्विक मोर्चे पर, चीन के हाल ही में 1,400 अरब युआन के प्रोत्साहन के साथ-साथ अधिक राजकोषीय समर्थन की उम्मीदों ने चीनी बाजारों को मजबूत किया है और भारतीय परिसंपत्तियों पर नीचे की ओर दबाव डाला है।
इसके अलावा, भारत में मुद्रास्फीति बढ़ने से भी रुपये पर दबाव है।
बृहस्पतिवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं, विशेषकर सब्जियों और विनिर्मित वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर में बढ़कर चार महीने के उच्चस्तर 2.36 प्रतिशत पर पहुंच गई।
खुदरा मुद्रास्फीति रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर को पार कर गई है। अक्टूबर में यह 14 महीने के उच्चतम स्तर 6.21 प्रतिशत पर पहुंच गई, जिसका मुख्य कारण खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतें थीं।
घरेलू शेयर बाजार में 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 110.64 अंक की गिरावट के साथ 77,580.31 अंक पर बंद हुआ। निफ्टी 26.35 अंक गिरकर 23,532.70 अंक पर बंद हुआ।
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पूंजी बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे। उन्होंने बृहस्पतिवार को 1,849.87 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
भाषा राजेश राजेश