एसडीएम को थप्पड़ मारने वाला निर्दलीय प्रत्याशी गिरफ्तार; भीड़ ने पत्रकारों पर हमला किया
सुभाष अविनाश
- 14 Nov 2024, 10:50 PM
- Updated: 10:50 PM
(तस्वीरों के साथ)
टोंक, 14 नवंबर (भाषा) राजस्थान की देवली-उनियारा विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा को बृहस्पतिवार को नाटकीय घटनाक्रम और हिंसा बढ़ने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया। हिंसा के दौरान भीड़ ने ‘पीटीआई’ के संवाददाता और कैमरामैन पर हमला किया तथा उनका कैमरा जला दिया।
यह हमला उस वक्त हुआ, जब मीणा की गिरफ्तारी के बाद ‘पीटीआई’ के संवाददाता और कैमरामैन एक विरोध-प्रदर्शन को कवर कर रहे थे। हमले में संवाददाता अजीत शेखावत और कैमरामैन धर्मेंद्र कुमार बुरी तरह घायल हो गए तथा उन्हें अस्पताल ले जाया गया।
एक दिन पहले, कांग्रेस के बागी नेता एवं उपचुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार मीणा ने मालपुरा के एसडीएम (उप खंड अधिकारी) अमित चौधरी को मतदान केंद्र के बाहर थप्पड़ मार दिया था।
भीड़ के हमले के बाद, शेखावत द्वारा ‘पीटीआई’ के दिल्ली स्थित मुख्यालय को भेजे वीडियो में उनकी बाईं आंख के नीचे से खून निकलता देखा जा सकता है। शेखावत ने बताया कि उनके सहयोगी धर्मेंद्र के सिर में चोट लगी है और उनकी बांह में संभवत: 'फ्रेक्चर' हुआ है।
समाचार एजेंसी के पत्रकार और कैमरामैन पर हमला उस समय हुआ, जब वे कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा का साक्षात्कार लेने वाले थे। मंत्री हालात का जायजा लेने के लिए राज्य की राजधानी जयपुर से करीब 100 किलोमीटर दूर, टोंक जिले के समरवता गांव पहुंचे थे।
मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को ‘पीटीआई’ की टीम को सुरक्षा मुहैया करने के निर्देश दिए हैं और सवाई माधोपुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) को दोनों घायलों का उपयुक्त उपचार सुनिश्चित करने को कहा है।
हिंसा बुधवार शाम से ही जारी है, जब पुलिस ने नरेश मीणा के समर्थकों को धरना देने से रोकने की कोशिश की।
एसडीएम को थप्पड़ मारे जाने का वीडियो सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रसारित किया गया। थप्पड़ मारे जाने की घटना के समर्थन और विरोध में अलग-अलग प्रदर्शन हुए हैं। राजस्थान प्रशासनिक सेवा (आरएएस) के अधिकारियों ने चौधरी के समर्थन में प्रदर्शन किया।
मतदान केंद्र के बाहर शुरू हुआ तनाव रात में और बृहस्पतिवार को हिंसा में तब्दील हो गया।
आरएएस एसोसिएशन और संबद्ध सेवाओं के अधिकारी मीणा की गिरफ्तारी की मांग को लेकर कलम बंद हड़ताल पर चले गए, जिस कारण बृहस्पतिवार सुबह राज्य के सरकारी कार्यालयों में कामकाज प्रभावित रहा। उन्होंने कहा कि जब तक मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से मुलाकात नहीं होगी, वे हड़ताल पर रहेंगे।
इस बीच, मीणा के समर्थक भी उग्र हो गए। मतदान केंद्र के बाहर भड़की हिंसा में करीब 60 दोपहिया और 18 चार पहिया वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया, जिनमें पुलिस वाहन भी थे। हिंसा उस वक्त भड़की जब पुलिस ने मीणा और उनके समर्थकों को धरने पर बैठने से रोकने की कोशिश की।
हिंसा के बाद बृहस्पतिवार तड़के करीब 60 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इस दौरान भीड़ ने पुलिसकर्मियों पर पथराव भी किया।
दिन चढ़ने के साथ ही तनाव बढ़ता गया। हिरासत में लिए जाने के बाद मीणा ने समरवता में संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं आत्मसमर्पण नहीं करूंगा।’’
मीणा की गिरफ्तारी के बाद, उनके ‘एक्स’ हैंडल से किये गए एक पोस्ट में कहा गया कि हिंसा के लिए भाजपा नीत सरकार जिम्मेदार है।
उन्होंने कहा, ‘‘टोंक जिला कलेक्टर, और भजनलाल (शर्मा) सरकार हिंसा के लिए जिम्मेदार है। पुलिस मेरे साथियों और कार्यकर्ताओं के साथ बर्बरतापूर्ण व्यवहार बंद करे, अन्यथा देवली-उनियारा से शुरू हुई चिंगारी को प्रदेश के कोने-कोने तक फैलने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। इसके लिए प्रशासन और सरकार जिम्मेदार होगी।’’
समरवता गांव में उग्र भीड़ को घूमते देखा जा सकता था, इसलिए पुलिस ने स्थिति को खराब नहीं होने के लिए निगरानी बढ़ा दी है।
मीणा की गिरफ्तारी की योजना सावधानी से बनाई गई।
काफी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया, जिसमें दंगा रोधी टीम के वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे। उन्होंने फ्लैग मार्च किया। टोंक के पुलिस अधीक्षक विकास सांगवान ने पुलिस दल को गांव में प्रवेश करने और मीणा को हिरासत में लेने का निर्देश दिया।
मीणा की गिरफ्तारी के बाद उग्र भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे। कुछ लोगों ने पुलिस पर पथराव भी किया, लेकिन किसी के घायल होने की सूचना नहीं है। मीणा के कथित समर्थकों ने सड़कें अवरूद्ध कर दीं।
गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम ने कहा, ‘‘ये कोई भी हो सकते हैं... सरकार अपराध करने वालों के प्रति सख्त है। हम पूरी घटना की जांच करवा रहे हैं और रिपोर्ट मांगी गई है तथा जल्द ही दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।’’
पुलिस महानिरीक्षक (अजमेर) ओम प्रकाश के अनुसार, मीणा के खिलाफ सरकारी काम में बाधा डालने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने सहित चार मामले दर्ज किए गए हैं।
यह सब तब शुरू हुआ, जब एसडीएम चौधरी लोगों को मतदान के लिए प्रोत्साहित करने की कोशिश कर रहे थे। स्थानीय लोगों ने समरवता गांव को देवली के बजाय उनियारा उप मंडल में शामिल करने की मांग को लेकर मतदान का बहिष्कार किया था। मीणा ग्रामीणों का समर्थन कर रहे थे।
घटना के समय मतदान केंद्र के बाहर सैकड़ों लोग मौजूद थे। बाद में मीणा मतदान केंद्र के बाहर धरने पर बैठ गए और अपने समर्थकों से लाठी-डंडे लेकर इकट्ठा होने को कहा।
मतदान संपन्न होने के बाद पुलिस ने मीणा और उनके समर्थकों से कहा कि वे वहां से चले जाएं, ताकि मतदान दल ईवीएम के साथ मतदान केंद्र से निकल सके। पुलिस ने बताया कि लेकिन वे हिंसक हो गए और पुलिसकर्मियों पर पथराव किया।
गिरफ्तारी से पहले मीणा ने टोंक जिलाधिकारी सौम्या झा और पुलिस अधीक्षक सांगवान को घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया।
उन्होंने कहा, ‘‘गिरफ्तार किए गए सभी 60 लोग निर्दोष हैं। अगर किसी को सजा मिलनी चाहिए तो वह मुझे मिलनी चाहिए।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव ड्यूटी पर तैनात एसडीएम भाजपा के निर्देशों पर काम कर रहे थे।
मीणा ने आरोप लगाया, ‘‘उन्होंने (एसडीएम ने) 30 लोगों को कार्रवाई करने की धमकी देकर वोट दिलवाए। मैं खुद को रोक नहीं सका। मैंने उन्हें थप्पड़ मार दिया। यह सही है। उनकी इस हरकत को देखते हुए उन्हें और थप्पड़ मारे जाने चाहिए थे।’’
आरएएस एसोसिएशन की महासचिव नीतू राजेश्वर ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि जो कुछ हुआ उसे बदर्शत नहीं किया जा सकता।
राजेश्वर ने कहा, ‘‘ऐसी घटना बर्दाश्त नहीं की जा सकती। एसडीएम अमित चौधरी को उस समय थप्पड़ मारा गया, जब वह निष्पक्ष रूप से अपनी चुनावी ड्यूटी कर रहे थे। एसोसिएशन ने बृहस्पतिवार को कलम बंद हड़ताल करने का आह्वन किया। अन्य मांगों पर मुख्यमंत्री से मिलकर ज्ञापन देने के बाद हम हड़ताल समाप्त करेंगे। हमारी सभी मांगें संवैधानिक हैं। हम जनता के कामों में बाधा नहीं आने देना चाहते।’’
देवली-उनियारा समेत सात विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए बुधवार को सुबह सात बजे से शाम छह बजे तक मतदान हुआ। मतगणना 23 नवंबर को होगी।
भाषा सुभाष