कांग्रेस और उसके सहयोगी कश्मीर के लिए एक अलग संविधान लाने की योजना बना रहे हैं: मोदी
ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र रंजन
- 14 Nov 2024, 04:29 PM
- Updated: 04:29 PM
छत्रपति संभाजीनगर, 14 नवंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि कांग्रेस और उसके सहयोगी कश्मीर के लिए एक अलग संविधान लाने की योजना बना रहे हैं और अनुच्छेद 370 की बहाली के लिए सभी प्रयास कर रहे हैं।
मोदी ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव में मुकाबला संभाजी महाराज को मानने वाले देश भक्तों और औरंगजेब का गुणगान करने वालों के बीच है।
राज्य में 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए यहां एक रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘क्या महाराष्ट्र के लोग कांग्रेस और पाकिस्तान की भाषा बोलने वाले उसके सहयोगियों का समर्थन करेंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने अनुच्छेद 370 को बहाल करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया है। जब हमने कश्मीर को अनुच्छेद 370 से मुक्त किया तो कांग्रेस ने संसद और अदालत में इसका विरोध किया। अब वे फिर से अनुच्छेद 370 को बहाल करने और कश्मीर में एक अलग संविधान बनाने की योजना बना रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और हर भारतीय चाहता है कि कश्मीर में सिर्फ डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान हो।
मोदी ने कहा कि पूरा महाराष्ट्र जानता है कि छत्रपति संभाजीनगर को यह नाम देने की मांग शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे ने उठाई थी और ऐसा करके महायुति सरकार ने उनकी इच्छा पूरी की।
उन्होंने कहा, ‘‘महाराष्ट्र का यह चुनाव केवल नई सरकार चुनने का ही चुनाव नहीं है। इस चुनाव में एक ओर संभाजी महाराज को मानने वाले देशभक्त हैं और दूसरी ओर औरंगजेब का गुणगान करने वाले लोग हैं। कुछ लोग संभाजी महाराज के हत्यारे में अपना मसीहा देखते हैं।’’
संभाजी महाराज मराठा साम्राज्य की नींव रखने वाले मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज के सबसे बड़े पुत्र थे और मुगल बादशाह औरंगजेब ने उनकी हत्या करवा दी थी और उस वक्त उनकी उम्र महज 32 साल थी।
उन्होंने कहा, ‘‘महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार ढाई साल सत्ता में रही लेकिन कांग्रेस के दबाव में इन लोगों की हिम्मत नहीं हुई। महायुति सरकार ने आते ही इस शहर का नाम छत्रपति संभाजीनगर किया। हमने आपकी इच्छा को पूरा किया, हमने बालासाहेब ठाकरे की इच्छा को पूरा किया।’’
प्रधानमंत्री ने दावा किया कि औरंगाबाद को छत्रपति संभाजीनगर बनाने पर सबसे ज्यादा तकलीफ कांग्रेस और एमवीए को हुई।
उन्होंने कहा, ‘‘इनके पाले-पोसे हुए लोग इस फैसले को पलटने के लिए अदालत तक चले गए थे।’’
प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि कांग्रेस, सरकार बनाने के लिए विकास पर नहीं बल्कि बंटवारे पर भरोसा करती है। साथ ही उन्होंने दावा किया कि वह दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को आगे बढ़ने से रोकती है ताकि सत्ता पर पीढ़ी-दर-पीढ़ी उसका कब्जा बना रहे।
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए कांग्रेस शुरू से ही आरक्षण के खिलाफ रही है। इन दिनों इंटरनेट पर पुराने अखबारों की तस्वीरें वायरल हो रही हैं। आरक्षण को लेकर कांग्रेस की असली सोच क्या है, वह उन विज्ञापनों में साफ दिख रहा है। कांग्रेस, आरक्षण को देश के खिलाफ और मेरिट के खिलाफ बताती थी।’’
मोदी ने कहा कि कांग्रेस की मानसिकता और कांग्रेस का एजेंडा अभी भी वही है, इसलिए पिछले 10 वर्षों से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समाज का प्रधानमंत्री इन्हें बर्दाश्त ही नहीं हो रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस के ‘शहजादे’ विदेश में जाकर खुलेआम बयान देते हैं कि वह आरक्षण को खत्म कर देंगे। अब अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए कांग्रेस और अघाडी वाले एससी, एसटी और ओबीसी समाज को छोटी छोटी जातियों में बांटने का षड्यंत्र रच रहे हैं।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस सोच रही है कि ओबीसी जातियों में बंटेगा तो उसकी ताकत कम हो जाएगी और जब समाज की ताकत कम हो जाएगी तो उसे बैठे-बैठे ही फायदा मिल जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘यहीं से कांग्रेस सत्ता में वापसी की तलाश कर रही है। अगर कांग्रेस को सरकार में आने का मौका मिला तो वह एससी, एसटी और ओबीसी का आरक्षण रोक देगी।
प्रधानमंत्री ने लोगों से ‘इन साजिशों’ से बचने और एकजुट रहने का आह्वान करते हुए एक बार फिर ‘एक हैं तो सेफ हैं’ का नारा बुलंद किया।
पिछली लगभग सभी चुनावी जनसभाओं में प्रधानमंत्री मोदी ने इस मुद्दे को जोरशोर से उठाया है और ‘एक हैं तो सेफ हैं’ का नारा बुलंद किया है।
मराठवाड़ा क्षेत्र में पानी के संकट का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि आघाड़ी वालों ने लोगों की परेशानियों को बढ़ाने के अलावा कोई काम नहीं किया है और वह हमेशा हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी सरकार में पहली बार सूखे के खिलाफ ठोस प्रयास शुरू हुए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ये आघाड़ी वाले सत्ता में आ गए तो आपको बूंद-बूंद पानी के लिए तरसाएंगे। आपसे अनुरोध है कि इन आघाड़ी वालों को घुसने ही मत देना।’’
भाषा ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र