थोक मुद्रास्फीति अक्टूबर में चार महीने के उच्चस्तर 2.36 प्रतिशत पर
निहारिका अजय
- 14 Nov 2024, 04:21 PM
- Updated: 04:21 PM
नयी दिल्ली, 14 नवंबर (भाषा) थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर में बढ़कर चार महीने के उच्चस्तर 2.36 प्रतिशत पर पहुंच गयी। खाद्य वस्तुओं खासकर, सब्जियों तथा विनिर्मित वस्तुओं के दाम बढ़ने से थोक मुद्रास्फीति बढ़ी है।
थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति सितंबर, 2024 में 1.84 प्रतिशत के स्तर पर थी। अक्टूबर, 2023 में यह शून्य से 0.26 प्रतिशत नीचे थी।
आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति अक्टूबर में बढ़कर 13.54 प्रतिशत हो गई, जबकि सितंबर में यह 11.53 प्रतिशत थी। सब्जियों की मुद्रास्फीति 63.04 प्रतिशत रही, जो सितंबर में 48.73 प्रतिशत थी।
आलू तथा प्याज की मुद्रास्फीति अक्टूबर में क्रमशः 78.73 प्रतिशत और 39.25 प्रतिशत के उच्चस्तर पर रही।
ईंधन और बिजली श्रेणी की मुद्रास्फीति अक्टूबर में 5.79 प्रतिशत रही जो सितंबर में 4.05 प्रतिशत थी। विनिर्मित वस्तुओं में अक्टूबर में मुद्रास्फीति 1.50 प्रतिशत रही, जबकि पिछले महीने यह एक प्रतिशत थी।
थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में अक्टूबर में लगातार दूसरे महीने वृद्धि देखी गई। अक्टूबर से पहले जून, 2024 में यह 3.43 प्रतिशत के उच्चस्तर पर रही थी।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को बयान में कहा, ‘‘ अक्टूबर, 2024 में मुद्रास्फीति बढ़ने की मुख्य वजह खाद्य पदार्थों, खाद्य उत्पादों के विनिर्माण, अन्य विनिर्माण, मशीनरी तथा उपकरणों के विनिर्माण, मोटर वाहन, ट्रेलर आदि के विनिर्माण की कीमतों में बढ़ोतरी रही।’’
बार्कलेज की क्षेत्रीय अर्थशास्त्री श्रेया सोधानी ने कहा कि जल्दी खराब होने वाले खाद्य पदार्थों खासतौर पर सब्जियों की खुदरा तथा थोक दोनों ही कीमतों में उछाल आया है। इस महीने में धातुओं की कीमतों में हुई बढ़ोतरी से विनिर्मित उत्पादों के थोक मूल्य सूचकांक में भी मामूली वृद्धि हुई।
इक्रा के वरिष्ठ अर्थशास्त्री राहुल अग्रवाल ने कहा कि केवल खाद्य मुद्रास्फीति ने सितंबर और अक्टूबर 2024 के बीच कुल थोक मुद्रास्फीति के आंकड़े को 0.63 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है।
इस सप्ताह के शुरुआत में जारी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की कीमतों में तीव्र वृद्धि के साथ खुदरा मुद्रास्फीति 14 महीने के उच्चस्तर 6.21 प्रतिशत पर पहुंच गई है। यह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से अधिक है। ऐसे में दिसंबर की मौद्रिक समीक्षा बैठक में ब्याज दरों में कटौती गुंजाइश और कम हो गई है।
आरबीआई मौद्रिक नीति तैयार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति को ध्यान में रखता है।
केंद्रीय बैंक ने पिछले महीने अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर या रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर यथावत रखा था।
भाषा निहारिका