'वोट जिहाद' भाजपा की चुनावी बयानबाजी : एआईएमआईएम नेता जलील
अमित
- 12 Nov 2024, 08:07 PM
- Updated: 08:07 PM
छत्रपति संभाजीनगर, 12 नवंबर (भाषा) एआईएमआईएम नेता इम्तियाज जलील ने मंगलवार को कहा कि "वोट जिहाद" जैसी कोई चीज नहीं है और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सिर्फ चुनावी बयानबाजी में इसका जिक्र करती है।
महाराष्ट्र की औरंगाबाद पूर्व विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे जलील ने 'पीटीआई-भाषा' से बातचीत में दावा किया कि सत्तारूढ़ भाजपा ‘ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन’ (एआईएमआईएम) जैसी एक छोटी पार्टी से डरती है। जलील ने कहा कि लोगों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके वोट से भाजपा और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना को फायदा न हो।
जलील ने कहा कि राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन "हिंदू-मुस्लिम" कार्ड खेल रहा है, लेकिन इससे छत्रपति संभाजीनगर में कोई अशांति पैदा नहीं होगी।
महाराष्ट्र में 288 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव 20 नवंबर को होगा, जबकि मतों की गिनती 23 नवंबर को होगी।
औरंगाबाद पूर्व सीट पर जलील का मुकाबला भाजपा उम्मीदवार अतुल सावे से है।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शनिवार को दावा किया था कि चुनावी राज्य महाराष्ट्र में 'वोट जिहाद' शुरू हो गया है, जिसका मुकाबला वोटों के 'धर्म युद्ध' से किया जाना चाहिए।
फडणवीस की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर जलील ने कहा, "वोट जिहाद जैसी कोई चीज नहीं है। भाजपा को ऐसे शब्द पसंद हैं और जब चुनाव होते हैं, तो वे इनका इस्तेमाल करते हैं। वे अपनी दुकान चलाने के लिए तीन तलाक, पाकिस्तान, मंदिर, मस्जिद, हिजाब जैसे मुद्दों का इस्तेमाल करते हैं। अब उनके पास यहां (प्रदर्शन के लिहाज से) दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है।"
उन्होंने कहा, "वे कहते हैं, 'बटेंगे तो कटेंगे।' मैं अब समझ पा रहा हूं कि देवेंद्र फडणवीस हमारी जैसी छोटी पार्टी से इतना क्यों डरते हैं। उनका पूरा भाषण हमारे खिलाफ है।"
औरंगाबाद से सांसद रह चुके जलील ने सत्तारूढ़ गठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा कि वे यह नहीं बताते कि वे राज्य के लिए क्या कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, "वे (एआईएमआईएम प्रमुख) औवेसी को सपने में भी देखते हैं। यह स्पष्ट है कि सभी पार्टियां कमजोर हैं और उनकी लड़ाई हमारे खिलाफ है।"
जलील ने दावा किया कि उन्हें हराने के लिए भाजपा ने 28 मुस्लिम उम्मीदवारों को खड़ा किया है और पार्टी उनके प्रचार वाहन का खर्च भी उठा रही है।
उन्होंने कहा, "आपको लग सकता है कि वे (मतदाता) बंटे हुए हैं, लेकिन जब लोग वोट देने जाएंगे, तो वे 'पतंग' (एआईएमआईएम का चुनाव चिह्न) का ही बटन दबाएंगे।"
जलील ने कहा, ‘‘विधानसभा चुनाव स्थानीय मुद्दों पर लड़ा जाना चाहिए, लेकिन यह 'बटेंगे तो कटेंगे' (नारे) पर लड़ा जा रहा है और प्रधानमंत्री यहां नये नारे देते हैं। भाजपा का वरिष्ठ नेता होने के नाते फडणवीस शहर का नाम बदलने की बात करते हैं। जब उनके पास कुछ नहीं बचता, तो वे ऐसे विषय उठाते हैं।"
एआईएमआईएम नेता ने चुनाव जीतने का भरोसा जताते हुए कहा कि उन्हें लोगों का समर्थन मिल रहा है। उन्होंने कहा, "हम लोगों के बीच पहुंचने के लिए सभी प्रयास कर रहे हैं। औरंगाबाद पूर्व में कोई भी नया उम्मीदवार नहीं है। मतदाता फैसला करेंगे।"
एआईएमआईएम के इस बार कम सीट पर चुनाव लड़ने के सवाल पर जलील ने कहा कि उन्होंने यह फैसला काफी सोच-विचार के बाद लिया है, क्योंकि वे नहीं चाहते कि भाजपा जीते। उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए हमने उन सीट पर चुनाव लड़ने और ध्यान देने का फैसला किया है, जहां हमारे पास मजबूत उम्मीदवार हैं, ताकि (प्रचार पर) ऊर्जा बर्बाद करने से बचा जा सके।’’
यह पूछे जाने पर कि एआईएमआईएम ने जिन सीट पर उम्मीदवार नहीं उतारे हैं, वहां मतदाताओं की प्राथमिकता क्या होगी, जलील ने कहा, "लोग खफा हैं, क्योंकि हम ज्यादा सीट पर चुनाव नहीं लड़ रहे। लोग तय कर सकते हैं कि किसे वोट देना है, लेकिन हमने संदेश दिया है कि लोगों को यह ध्यान देना चाहिए कि उनके वोट से भाजपा और एकनाथ शिंदे की शिवसेना को फायदा न हो।’’
जलील ने मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारांगे से कई बार मुलाकात की, लेकिन चुनाव के लिए मराठा-मुस्लिम गठबंधन नहीं हो सका।
हालांकि, जलील को अभी भी मराठा समुदाय से समर्थन मिलने की उम्मीद है। जलील ने कहा, "जब जारांगे ने घोषणा की कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे, तो उन्होंने कहा कि वे गुरिल्ला रणनीति का इस्तेमाल करेंगे। मतदान में अभी भी समय है और उन्होंने (जरांगे) कहा है कि वे नया फैसला ले सकते हैं। देखते हैं... कुछ तो होने वाला है।"
विकास के मुद्दे पर स्थानीय भाजपा नेताओं पर निशाना साधते हुए जलील ने कहा कि यहां सिर्फ अतुल सावे (राज्य मंत्री) ही नहीं हैं, बल्कि शहर के दो नेता केंद्र सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं।
उन्होंने अफसोस जताया, "नया संसद भवन दो साल में बनकर तैयार हो गया, लेकिन इस शहर के निवासियों के लिए पाइपलाइन योजना वर्षों से अधूरी पड़ी है।"
सत्तारूढ़ दल पर निशाना साधते हुए जलील ने कहा कि वे चुनाव के दौरान "हिंदू-मुस्लिम" कार्ड खेलते हैं और जीत जाते हैं, लेकिन शहर में कोई दंगा नहीं होगा, चाहे लोग कितनी भी कोशिश कर लें।
एआईएमआईएम नेता ने कहा, "उन्होंने राम नवमी पर यह कार्ड आजमाया और (यहां किराडपुरा क्षेत्र में) राम मंदिर पर हमला उनका खेल था। अगर ऐसा नहीं होता, तो वे इस दंगे की जांच उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से कराने की मेरी मांग का समर्थन करते।’’
जलील से जब रामगिरि महाराज के खिलाफ (कथित तौर पर मुसलमानों को निशाना बनाने वाली उनकी टिप्पणी के खिलाफ) उनकी रैली को लेकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे द्वारा उन (जलील) पर निशाना साधने के बारे में पूछा गया तो पूर्व सांसद ने कहा, ‘‘आपने अब तक हमारा साहस नहीं देखा है। हमने इसका प्रदर्शन ही नहीं किया है।’’
भाषा पारुल