अल्मोड़ा में जमीन खरीद के 23 मामलों में खरीददारों ने उसका इस्तेमाल तय प्रयोजनों के लिए नहीं किया
नोमान
- 10 Nov 2024, 07:37 PM
- Updated: 07:37 PM
पिथौरागढ़, 10 नवंबर (भाषा) उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में 23 ऐसे मामलों की पहचान की गयी है जहां बाहरी व्यक्तियों ने 250 वर्गमीटर से अधिक जमीन खरीदी लेकिन उसका उपयोग खरीदने के दौरान बताए गए प्रयोजन के लिए नहीं किया ।
अल्मोड़ा के जिलाधिकारी आलोक कुमार पांडेय ने बताया, 'इन बाहरी व्यक्तियों में से आठ को हमने नोटिस भेजे और उनमें से दो से जमीन वापस अपने कब्जे में ले ली ।'
उन्होंने बताया कि यह कार्रवाई राज्य सरकार के निर्देशों पर की गयी है ।
जिलाधिकारी ने बताया कि जिला प्रशासन ने कुछ मामलों में कार्रवाई की है जबकि अन्य मामले फिलहाल अदालतों में लंबित हैं ।
वर्तमान कानून के मुताबिक, प्रदेश में नगर निकाय के बाहर 250 वर्गमीटर से अधिक जमीन खरीदने के लिए किसी भी व्यक्ति को उसका प्रयोजन बताना पड़ता है और तय समयसीमा के भीतर उस पर वह कार्य करना पड़ता है ।
जिलाधिकारी ने बताया, “मामले में जिन भी बाहरी व्यक्तियों के विरूद्ध कार्रवाई की जा रही है, उन्होंने जमीन खरीदने के बाद उसका उपयोग बताए गए प्रयोजन के लिए नहीं किया।”
बॉलीवुड अभिनेता मनोज वाजपेयी के भी जमीन खरीद नियमों का उल्लंघन करने वाले लोगों में शामिल होने की चर्चाओं के बारे में पूछे जाने पर पांडेय ने सिर्फ इतना कहा कि उन्होंने पूरी सूची नहीं देखी है लेकिन उनका नाम भी सूची में हो सकता है ।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा पिछले माह सभी जिलाधिकारियों को अपने क्षेत्रों में 250 वर्गमीटर की तय सीमा से अधिक खरीदी गयी जमीनों को चिन्हित करने तथा यह पता लगाने को कहा था कि खरीदते समय बताए गए प्रयोजन के लिए उसका इस्तेमाल हुआ या नहीं ।
मुख्यमंत्री धामी ने सितंबर में देहरादून में कहा था कि ऐसे मामले सामने आए हैं जहां नगर निकाय क्षेत्रों से बाहर एक ही परिवार द्वारा अलग-अलग नामों से भूमि क्रय की गयी या पर्यटन, शिक्षा और उद्योग जैसी व्यवसायिक गतिविधियों के नाम पर जमीनें खरीदकर उसका उपयोग उस प्रयोजन के लिए नहीं किया गया ।
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा था कि ऐसे सभी प्रकरणों में सख्त कार्रवाई के साथ जमीनें राज्य सरकार में निहित की जाएं।
धामी ने कहा था कि इस संबंध में एक सख्त भू कानून भी बनाया जा रहा है ।
मुख्यमंत्री ने हालांकि साफ किया कि इन कदमों से किसी भी ऐसे व्यक्ति या संस्थाओं को परेशान होने की आवश्यकता नहीं है जिनके निवेश से उत्तराखंड में पर्यटन, शिक्षा, उद्योग, व्यापार आदि विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार सृजन होता है तथा अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होती है।
भाषा सं दीप्ति