धोखाधड़ी मामला : निजी कंपनी के एमडी, निदेशकों के खिलाफ दर्ज दूसरी प्राथमिकी रद्द करने से इनकार
पारुल रंजन
- 09 Nov 2024, 05:57 PM
- Updated: 05:57 PM
नयी दिल्ली, नौ नवंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक निजी कंपनी के निदेशकों और पूर्व निदेशकों के खिलाफ दर्ज धोखाधड़ी और जालसाजी के मामले को रद्द करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया है कि जांच अभी शुरुआती दौर में है।
अदालत ने केजेएस सीमेंट (आई) लिमिटेड के प्रबंध निदेशक (एमडी) पवन कुमार अहलूवालिया सहित विभिन्न आरोपियों की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज दूसरी प्राथमिकी को इस आधार पर रद्द करने का अनुरोध किया था कि ज्यादातर आरोप दोहराए गए थे और दोनों प्राथमिकी की सामग्री एक समान थी।
उच्च न्यायालय ने कहा कि दूसरी प्राथमिकी अलग तथ्यों पर आधारित है, जो पहली प्राथमिकी के दायर होने के बाद सामने आए हैं।
उसने कहा, “जांच अभी शुरुआती दौर में है... इस अदालत की राय है कि दोनों प्राथमिकी अलग-अलग पहलू पर आधारित हैं और दोनों में केवल पृष्ठभूमि संबंधी तथ्य समान हैं, जो विवाद के इतिहास के बारे में बताते हैं।”
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने 29 अक्टूबर को पारित आदेश में कहा, “दोनों प्राथमिकी के कुछ तथ्य समान हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे समान कार्रवाई से उपजी हैं, इसलिए दूसरी प्राथमिकी सुनवाई योग्य नहीं होगी। इस बात को ध्यान में रखते हुए याचिका खारिज की जाती है।”
दूसरी प्राथमिकी हिमांगिनी सिंह की शिकायत पर दर्ज की गई है, जो पवन कुमार अहलूवालिया के दिवंगत भाई केजेएस अहलूवालिया की बेटी हैं। मामले में सिंह का प्रतिनिधित्व वकील विजय अग्रवाल ने किया।
उच्च न्यायालय ने कहा कि पहली प्राथमिकी मुख्य रूप से शिकायतकर्ता को कंपनी से बाहर करने के लिए दस्तावेजों में कथित रूप से जालसाजी और फर्जीवाड़ा करने से संबंधित थी, जो पवन कुमार अहलूवालिया की भतीजी और दिवंगत केजेएस अहलूवालिया की प्रथम श्रेणी की उत्तराधिकारी हैं।
उसने कहा, “जबकि मौजूदा (दूसरी) प्राथमिकी निजी उपयोग के लिए कंपनी के धन का दुरुपयोग करने से जुड़ी हुई है। याचिकाकर्ता के वकील की यह दलील स्वीकार नहीं की जा सकती कि शिकायतकर्ता कंपनी की शेयरधारक नहीं है, इसलिए उसके पास शिकायत दर्ज करने का अधिकार नहीं है।”
अदालत ने कहा कि इस प्राथमिकी में आरोप कंपनी के धन के दुरुपयोग से संबंधित हैं और ऐसा कोई भी व्यक्ति पुलिस को जानकारी दे सकता है, जिसके हित कंपनी से जुड़े हुए हैं।
उसने कहा कि चूंकि, ये आरोप संज्ञेय अपराध से संबंधित हैं, इसलिए पुलिस को आरोपों की जांच करनी होगी।
भाषा पारुल