अलग ‘राष्ट्रध्वज’, ‘संविधान’ की मांग नहीं मानी गई तो सशस्त्र संघर्ष करेंगे: एनएससीएन-आईएम
जोहेब माधव
- 08 Nov 2024, 08:53 PM
- Updated: 08:53 PM
दीमापुर, आठ नवंबर (भाषा) नगा उद्रवादी समूह एनएससीएन (आईएम) ने अलग “ध्वज और संविधान” की मांग नहीं माने जाने पर सरकार के साथ 27 वर्ष पुराना संघर्ष विराम समझौता तोड़ने और “सशस्त्र संघर्ष” की ओर लौटने की चेतावनी दी है।
साल 1947 में भारत की स्वतंत्रता के कुछ समय बाद से नगालैंड में हिंसक उग्रवाद में शामिल समूह ने सरकारी वार्ताकारों के साथ लंबी शांति वार्ता शुरू करने से पहले 1997 में संघर्ष विराम समझौता किया था।
तीन अगस्त, 2015 को एनएससीएन (आईएम) ने स्थायी समाधान खोजने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में सरकार के साथ एक रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
शुक्रवार को जारी एक बयान में समूह के महासचिव और मुख्य राजनीतिक वार्ताकार टी. मुइवा ने कहा कि वह और पूर्व अध्यक्ष दिवंगत इसाक चिशी सू शांतिपूर्ण बातचीत के माध्यम से संघर्ष के समाधान के लिए बातचीत की मेज पर आए थे और सशस्त्र आंदोलन को छोड़कर शांतिपूर्ण राजनीतिक बातचीत के माध्यम से मुद्दे को हल करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्रियों पी. वी. नरसिम्हा राव, एच. डी. देवेगौड़ा, अटल बिहारी वाजपेयी और अन्य की प्रतिबद्धता का भी सम्मान किया।
इसके बाद 1 अगस्त, 1997 को राजनीतिक वार्ता शुरू हुई और तब से भारत तथा विदेश दोनों में बिना किसी पूर्व शर्त के 600 से अधिक दौर की वार्ता हुई, जिसके परिणामस्वरूप तीन अगस्त, 2015 के रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
मुइवा ने आरोप लगाया कि अधिकारियों और सरकार में नेतृत्व ने नगा "संप्रभु राष्ट्रीय ध्वज और संप्रभु राष्ट्रीय संविधान" को पहचानने और स्वीकार करने से इनकार करके रूपरेखा समझौते की भावना के साथ "जानबूझकर विश्वासघात" किया है।
उन्होंने आरोप लगाया, "भले ही परिस्थितियां नगाओं और एनएससीएन के खिलाफ हों, हम नगाओं द्वारा दिए गए निर्णय के अनुसार जो भी आवश्यक कदम होंगे, उठाएंगे। नगा लोग सशस्त्र संघर्ष समेत किसी भी माध्यम से नगा के अद्वितीय इतिहास, संप्रभुता एवं स्वतंत्रता, संप्रभु क्षेत्र, संप्रभु राष्ट्रीय ध्वज और संप्रभु राष्ट्रीय संविधान की रक्षा करेंगे।”
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