ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने से जलवायु संकट और गहराएगा: नीति विशेषज्ञ
प्रशांत नरेश
- 06 Nov 2024, 05:19 PM
- Updated: 05:19 PM
नयी दिल्ली, छह सितंबर (भाषा) अंतरराष्ट्रीय नीति विशेषज्ञों ने बुधवार को कहा कि डोनाल्ड ट्रंप का अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचन वैश्विक जलवायु न्याय के लिए एक गहरा झटका है तथा अंतरराष्ट्रीय समझौतों के प्रति उनकी उपेक्षा और जलवायु वित्त प्रदान करने से इनकार करने से संकट और गहरा होगा।
दिल्ली स्थित विचारक संस्था ‘सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट’ की महानिदेशक सुनीता नारायण ने कहा कि ट्रंप का अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में चुनाव वैश्विक जलवायु प्रयासों के लिए एक “बड़ा झटका” होगा, खासकर यदि वह मुद्रास्फीति न्यूनीकरण अधिनियम (आईआरए) जैसी महत्वपूर्ण घरेलू नीतियों को वापस ले लेते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका ऐतिहासिक रूप से वैश्विक जलवायु प्रयासों में पीछे रह गया है, विशेष रूप से कमजोर देशों के लिए वित्तीय सहायता, डीकार्बोनाइजेशन और विकासशील देशों के लिए वित्तीय प्रतिबद्धताओं के मामले में, तथा ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से स्थिति और भी खराब हो जाएगी।
नारायण ने कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने घरेलू जलवायु कार्यों को प्राथमिकता दी है, लेकिन ट्रंप के अभियान का फ्रैकिंग (शेल चट्टान से गैस और तेल निकालने की एक तकनीक) और तेल उत्पादन के विस्तार पर ध्यान केंद्रित करना अमेरिकी प्रतिबद्धताओं के लिए गंभीर खतरा है।
नारायण ने कहा, “आईआरए इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिका हरित गैसों का सबसे बड़ा ऐतिहासिक उत्सर्जक बना हुआ है और सालाना दूसरा सबसे बड़ा उत्सर्जक है। यह दुनिया का सबसे बड़ा तेल और गैस उत्पादक और निर्यातक भी है, जो प्रतिदिन लगभग 1.3 करोड़ बैरल का उत्पादन करता है। आईआरए (और 2030 तक तथा 2005 के स्तर से नीचे 50 प्रतिशत उत्सर्जन में कमी लाने में इसकी भूमिका) ने दुनिया को एक महत्वपूर्ण संकेत दिया कि अमेरिका जलवायु कार्रवाई में अग्रणी हो सकता है।”
अपने अभियान में ट्रम्प ने तेल और गैस उत्पादन बढ़ाने के प्रति अपने समर्थन पर जोर दिया, तथा “ड्रिल, बेबी, ड्रिल” को मुख्य नारा बनाया। जलवायु नीति विशेषज्ञ ने कहा कि उन्होंने जलवायु परिवर्तन की चिंताओं को पूरी तरह से खारिज कर दिया।
अनुमानों के अनुसार, ट्रंप को 270 इलेक्टोरल कॉलेज वोट मिलने की पूरी संभावना है, जिससे डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस के चुनाव जीतने की संभावना खत्म हो जाएगी।
जलवायु कार्यकर्ता और जीवाश्म ईंधन अप्रसार संधि पहल के लिए वैश्विक सहभागिता निदेशक, हरजीत सिंह ने कहा कि ट्रंप की जीत वैश्विक जलवायु न्याय के लिए एक गहरा झटका है तथा विश्व के सबसे कमजोर समुदायों के लिए जलवायु जोखिम में खतरनाक वृद्धि है।
उन्होंने कहा कि जीवाश्म ईंधन उत्पादन को बढ़ाने के लिए ट्रंप का प्रयास, अंतरराष्ट्रीय समझौतों की अवहेलना तथा जलवायु वित्त प्रदान करने से इनकार करने से संकट और गहरा होगा, तथा जीवन और आजीविका खतरे में पड़ जाएगी - विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जो जलवायु परिवर्तन के लिए सबसे कम जिम्मेदार हैं, लेकिन उससे सबसे अधिक प्रभावित हैं।
अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी संस्था क्लाइमेट ग्रुप की सीईओ हेलेन क्लार्कसन ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से लड़ना, परिवर्तन के लिए धन जुटाना और उत्सर्जन कम करने के लिए कार्रवाई करना “एक बहुत बड़ी चुनौती बन गई है, जिसका असर सीओपी29 और आने वाले वर्षों में महसूस किया जाएगा।”
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