देहरादून के लेखक गांव में नालंदा की तर्ज पर बनेगा भव्य पुस्तकालय-निशंक
दीप्ति नोमान
- 06 Nov 2024, 03:52 PM
- Updated: 03:52 PM
देहरादून, छह नवंबर (भाषा) नालंदा की तर्ज पर देहरादून के थानों क्षेत्र में स्थित लेखक गांव में दस लाख पुस्तकों का एक भव्य पुस्तकालय बनाया जाएगा।
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि ऐसे विश्वविख्यात पुस्तकालय का सुझाव देश के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने उन्हें एक भेंट के दौरान दिया ।
उन्होंने कहा, “जब मैंने चंद्रचूड़ जी को बताया कि हम लेखक गांव में एक लाख पुस्तकों का पुस्तकालय बनाने जा रहे हैं तो उन्होंने कहा कि एक लाख क्यों, नालंदा की तर्ज पर दस लाख पुस्तकों का पुस्तकालय होना चाहिए। हमने उनका सुझाव मानकर इस पुस्तकालय में दस लाख पुस्तकों को रखने का निर्णय लिया है।”
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ से हाल में देहरादून में निशंक ने भेंट की थी।
देहरादून से 24 किलोमीटर दूर सुरम्य हिमालयी क्षेत्र में 25 अक्टूबर को देश के अपनी तरह के पहले 'लेखक गांव' का लोकार्पण पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संयुक्त रूप से किया था ।
लेखक गांव में लेखन कुटीर, संजीवनी वाटिका, नक्षत्र और नवग्रह वाटिका, पुस्तकालय, कला दीर्घा, प्रेक्षागृह, योग-ध्यान केंद्र, परिचर्चा केंद्र, गंगा और हिमालय का मनमोहक संग्रहालय, भोजनालय आदि सभी व्यवस्थाएं की गयी हैं ।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि लेखक गांव में आकर साहित्यकार एक ही स्थान पर प्रकृति, संस्कृति और ज्ञान-विज्ञान से साक्षात्कार कर विविध विषयों पर नए दृष्टिकोण प्राप्त कर सकेंगे।
निशंक ने बताया कि प्रख्यात शास्त्रीय नृत्यांगना सोनल मानसिंह आगामी लेखक सम्मेलन में अपनी टीम के साथ एक प्रस्तृति देंगी ।
उन्होंने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी का 25 दिसंबर को जन्म शताब्दी वर्ष मनाया जाएगा, उसके उपलक्ष्य में एक भव्य स्मृति व्याख्यान का आयोजन किया जाएगा जिसमें देश—विदेश के लेखक सम्मिलित होंगे ।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि लेखक गांव की स्थापना की उत्पत्ति वाजपेयी की 'पीड़ा' से हुई है जो देश में साहित्यकारों को सम्मान न मिलने से दुखी थे ।
निशंक ने बताया कि वाजपेयी ने उनसे इस संबंध में सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' का विशेष उल्लेख किया था जिन्हें जीवन के अंतिम क्षणों में अभावग्रस्त परिस्थितियों का सामना करना पड़ा ।
निशंक ने कहा कि जो साहित्यकार लेखक गांव में अपनी किताब लिखेंगे, उनका प्रकाशन लेखक गांव करेगा ।
भाषा दीप्ति