सेंसेक्स 942 अंक फिसलकर तीन महीने के निचले स्तर पर, निफ्टी 24,000 से नीचे उतरा
प्रेम पाण्डेय
- 04 Nov 2024, 05:25 PM
- Updated: 05:25 PM
मुंबई, चार नवंबर (भाषा) विदेशी कोषों की निकासी के बीच रिलायंस इंडस्ट्रीज और बैंकों के शेयरों में जबर्दस्त बिकवाली से सोमवार को घरेलू शेयर बाजार तीन महीने के निचले स्तर पर आ गया। सेंसेक्स लगभग 942 अंक लुढ़क गया, जबकि निफ्टी 309 अंक फिसलकर 24,000 अंक से नीचे बंद हुआ।
विश्लेषकों के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से जुड़ी अनिश्चितता और चीन में वृद्धि तेज करने के लिए नए प्रोत्साहन उपायों की उम्मीद ने भारतीय बाजारों में बिकवाली बढ़ाने का काम किया।
बीएसई का 30 शेयरों वाला सूचकांक सेंसेक्स 941.88 अंक यानी 1.18 प्रतिशत गिरकर 78,782.24 अंक पर बंद हुआ जो छह अगस्त के बाद का सबसे निचला बंद स्तर है। कारोबार के दौरान एक समय यह 1,491.52 अंक गिरकर 78,232.60 अंक पर आ गया था। हालांकि, अंतिम कारोबारी घंटे में निचले स्तर पर खरीदारी आने से इस गिरावट पर थोड़ी लगाम लगी।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का मानक सूचकांक निफ्टी भी 309 अंक यानी 1.27 प्रतिशत गिरकर 23,995.35 अंक पर बंद हुआ। इस तरह निफ्टी 24,000 अंक से नीचे आ गया।
सेंसेक्स की कंपनियों में से अदाणी पोर्ट्स, रिलायंस इंडस्ट्रीज, सन फार्मा, बजाज फिनसर्व, एनटीपीसी, टाटा मोटर्स, एक्सिस बैंक और टाइटन में प्रमुख रूप से गिरावट दर्ज की गई।
दूसरी तरफ महिंद्रा एंड महिंद्रा, टेक महिंद्रा, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), एचसीएल टेक्नोलॉजीज, इन्फोसिस और इंडसइंड बैंक के शेयर लाभ में रहे।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, "अनुमानों के अनुरूप भारत अत्यधिक मूल्यांकन की वजह से अन्य बाजारों के मुकाबले कमतर प्रदर्शन दिखा रहा है। दूसरी तिमाही के कमजोर नतीजों ने बिकवाली को तेजी दी है और निवेशक धारणा प्रभावित हुई है।"
नायर ने कहा कि निकट अवधि में बाजार में उतार-चढ़ाव बने रहने की आशंका है क्योंकि अब निगाह पांच नवंबर को होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों पर जा टिकी है। इसके अलावा बैंक ऑफ इंग्लैंड के नीतिगत कदम पर भी बाजार की नजरें रहेंगी।
व्यापक बाजार में बीएसई स्मालकैप सूचकांक 1.65 प्रतिशत फिसल गया जबकि मिडकैप सूचकांक में 1.31 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
इस चौतरफा बिकवाली के बीच बाजार के सभी खंडों के सूचकांक गिरावट के साथ बंद हुए। रियल्टी खंड में सर्वाधिक तीन प्रतिशत की गिरावट रही जबकि तेल एवं गैस खंड में 2.54 प्रतिशत, ऊर्जा खंड में 2.51 प्रतिशत और दूरसंचार खंड में 2.11 प्रतिशत की गिरावट रही।
रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड में वरिष्ठ उपाध्यक्ष अजीत मिश्रा ने कहा, "कारोबारी सप्ताह की शुरुआत नकारात्मक रही। विदेशी कोषों की लगातार निकासी के साथ अमेरिकी चुनाव को लेकर सतर्क रुख होने से धारणा प्रभावित हुई।"
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने शुक्रवार को 211.93 करोड़ रुपये के शेयरों की शुद्ध बिकवाली की।
विदेशी निवेशकों ने अक्टूबर महीने में 94,000 करोड़ रुपये (करीब 11.2 अरब डॉलर) की निकासी की है जो किसी भी महीने में अबतक की सबसे अधिक निकासी है। घरेलू शेयर बाजार के उच्च मूल्यांकन और चीनी शेयरों के आकर्षक मूल्यांकन के कारण ऐसा हुआ।
चीन की एक संसदीय समिति की इस सप्ताह एक अहम बैठक होने वाली है। ऐसी अटकलें हैं कि सरकार इस बैठक में अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए बड़े खर्च की पहल को मंजूरी दे सकती है।
एशिया के बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी, चीन का शंघाई कम्पोजिट और हांगकांग का हैंगसेंग बढ़त के साथ बंद हुए।
यूरोप के अधिकांश बाजार दोपहर के सत्र में बढ़त के साथ कारोबार कर रहे थे। शुक्रवार को अमेरिकी बाजार सकारात्मक दायरे में बंद हुए थे।
इस बीच, वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 2.57 प्रतिशत बढ़कर 74.98 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।
बीएसई और एनएसई ने एक नवंबर को दिवाली के अवसर पर एक घंटे का विशेष ‘मुहूर्त कारोबार’ सत्र आयोजित किया था। इस दौरान सेंसेक्स 335.06 अंक चढ़कर 79,724.12 अंक पर और निफ्टी 99 अंक बढ़कर 24,304.35 अंक पर बंद हुआ था।
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