जमीयत ने तेदेपा, जद(यू) को चेताया, कहा: वक्फ विधेयक पारित हुआ तो वे भी जिम्मेदारी से बच नहीं पाएंगी
नोमान नोमान पवनेश
- 03 Nov 2024, 09:04 PM
- Updated: 09:04 PM
नयी दिल्ली, तीन नवंबर (भाषा) वक्फ (संशोधन) विधेयक के खिलाफ अपने अभियान को तेज करते हुए जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एएम) ने रविवार को तेदेपा के चंद्रबाबू नायडू और जनता दल (यूनाइटेड) के नीतीश कुमार से इस मामले में मुसलमानों की भावनाओं पर ध्यान देने की गुजारिश की और कहा कि राजग में शामिल जो दल खुद को धर्मनिरपेक्ष बताते हैं, उन्हें इस "खतरनाक" विधेयक के समर्थन से दूर रहना चाहिए।
जमीयत (एएम) के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने यहां आयोजित ‘संविधान बचाओ सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए दावा किया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपनी राजनीति और सांप्रदायिक नीतियों की वजह से लोकसभा चुनाव में बहुमत का आकंड़ा नहीं छू पायी और वह तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) एवं जनता दल (यूनाइटेड) की बैसाखी से सरकार बना पायी।
मुस्लिम संगठन ने यह भी कहा कि अगर विधेयक पारित हुआ तो जिन दो ‘बैसाखियों’ (तेदेपा व जनता दल-यू) पर केंद्र में भाजपा नीत सरकार चल रही है, वे जिम्मेदारी से बच नहीं पाएंगी।
उन्होंने कहा, “यह सरकार दो ‘बैसाखियों’ पर टिकी है - एक मज़बूत ‘बैसाखी’ चंद्रबाबू हैं और दूसरे बिहार के नीतीश कुमार हैं। मैंने उन्हें (नायडू को) आमंत्रित किया था, उन्होंने माफी मांगी लेकिन अपनी पार्टी के उपाध्यक्ष नवाब जान को भेज दिया। मैं इसे सकारात्मक रूप से देखता हूं क्योंकि वह यहां एकत्रित लोगों की भावनाओं को व्यक्त करेंगे।"
मदनी ने यह भी कहा कि मुस्लिम बाहर से नहीं आए हैं, बल्कि इस देश के मूल निवासी हैं और यहां रहने वालों की पहचान मजहब की बुनियाद पर नहीं हो सकती है।
उन्होंने कहा कि अगर हिंदू गुर्जर, जाट एवं राजपूत हैं तो मुस्लिम भी गुर्जर, जाट और राजपूत हैं तथा कश्मीर में तो मुस्लिम ब्राह्मण भी हैं।
मदनी ने कहा, “हम इस मुल्क के रहने वाले हैं। कोई इस मजहब को मानने लगा तो कोई दूसरा मजहब मानने लगा, क्या मजहब की बुनियाद पर हमें जीने का हक नहीं देंगे?”
उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता से पूर्व कांग्रेस के तत्कालीन नेताओं - मोतीलाल नेहरू और जहवारलाल नेहरू - ने जमीयत को आश्वासन दिया था कि आज़ादी के बाद मुल्क धर्मनिरपेक्ष रहेगा तथा मुसलमानों के धार्मिक एवं सांस्कृतिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा, लेकिन उत्तराखंड में भाजपा की सरकार, समान नागरिक संहिता लेकर आई ।
उन्होंने कहा कि इसका मकसद मुसलमानों को उनके मजहब से दूर करना तथा सरकार निजी मामलों को लेकर जो कानून बनाए, उनका पालन कराना है।
उन्होंने कहा, “यह किस बात की धर्मनिरपक्षेता है? आपकी (भाजपा की) सरकार का बुनियादी मकसद यह है कि मुसलमान को उसके मजहब से दूर किया जाए।”
मदनी (81) ने भाजपा पर सांप्रदायिक राजनीति और नीतियां अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि जो भाजपा 2014 में प्रचंड जनादेश के साथ सत्ता में आई थी और ऐसा लग रहा था कि सारे अन्य दलों का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा।
जमीयत प्रमुख ने कहा कि 10 साल में भाजपा ने जिस नीति को अपनाया है, यह उसी का नतीजा था कि इस बार लोकसभा में भाजपा की सीटें कम हो गईं।
इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ टिप्पणियों को लेकर मदनी ने कहा कि शांति भंग करने के इरादे से इस तरह की टिप्पणियां करना भारत के कानून के खिलाफ है और यह सांप्रदायिकता है।
डासना मंदिर के मुख्य पुजारी महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती का नाम लिये बगैर मदनी ने कहा कि इस तरह की बयानबाजी करने वालों को ‘नज़रबंद’ कर दिया जाए और टिप्पणी के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों को गिरफ्तार किया जाए, तो “यह सरकार की सांप्रदायिकता है।”
उन्होंने कहा कि देश में अगर प्यार से और मिलजुल कर रहेंगे तो सबका कल्याण होगा और अगर दुश्मनी होगी तो सब बर्बाद हो जाएगा।
उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वक्फ की ज़मीन को हड़पने की कोशिश की जा रही है।
मदनी ने कहा, "दिल्ली में बहुत सारी मस्जिदें हैं, जिनमें से कुछ 400-500 साल पुरानी हैं...भारत में एक वर्ग है जो इन मस्जिदों पर कब्ज़ा करना चाहता है...500 साल पुराने दस्तावेज़ कौन पेश कर सकता है? कानून कहता है कि वक्फ की ज़मीन पर बनी कोई भी मस्जिद वास्तव में वक्फ है।"
मदनी ने कहा कि अगर मुसलमानों की भावनाओं की अनदेखी करते हुए वक्फ विधेयक पारित किया जाता है तो इसके लिए केंद्र सरकार का समर्थन कर रही ‘बैसाखियां’ भी जिम्मेदारी होंगी।
सम्मेलन में जमीयत द्वारा पारित प्रस्ताव में मांग की गई कि वक्फ बोर्ड में किसी अन्य धर्म के व्यक्ति को शामिल न किया जाए तथा संसद की संयुक्त समिति केवल मुसलमानों, मुस्लिम संगठनों और मुस्लिम नेताओं से परामर्श करने के लिए बाध्य हो।
प्रस्ताव में कहा गया है, “जमीयत उलेमा-ए-हिंद प्रस्तावित वक्फ संशोधन विधेयक के संबंध में विपक्षी दलों के रुख का समर्थन करती है और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के भीतर उन दलों से अपील करती है जो धर्मनिरपेक्ष होने का दावा करते हैं कि वे इस खतरनाक प्रस्तावित विधेयक का समर्थन करने से खुद को दूर रखें और अपनी धर्मनिरपेक्ष साबित करें।” उन्होंने यह भी कहा कि ‘इंडिया’ गठबंधन और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लोकसभा चुनावों से पहले कहा था कि अगर वे सत्ता में आए, तो सभी अल्पसंख्यक अपने धर्म का पालन करने के लिए स्वतंत्र होंगे, और उन्होंने इसे लेकर उनकी सराहना की थी।
मदनी ने कहा, "इसलिए मैंने मुसलमानों से उस गठबंधन का समर्थन करने का आग्रह किया जो उन्हें अपने धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता देता है और मुझे खुशी है कि मुसलमानों ने पूरे देश में गठबंधन का समर्थन किया।"
भाषा नोमान नोमान