विदर्भ में नदी जोड़ो परियोजना को मंजूरी पर पुनर्वास, मुआवजे का मुद्दा 36 साल बाद भी अनसुलझा
दीपक नरेश शोभना
- 02 Nov 2024, 02:05 PM
- Updated: 02:05 PM
(दीपक रंजन)
भंडारा (महाराष्ट्र), दो नवंबर (भाषा) महाराष्ट्र में वैनगंगा-नलगंगा नदी जोड़ो परियोजना को मंजूरी मिलने से विदर्भ क्षेत्र में सिंचाई व्यवस्था मजबूत होने की उम्मीद बंधी है लेकिन इस परियोजना के शुरुआती स्थल भंडारा में रहने वाले लोग करीब 36 साल से गोसीखुर्द राष्ट्रीय सिंचाई परियोजना के पुनर्वास एवं मुआवजे से जुड़े मुद्दे अब तक नहीं सुलझने से निराश हैं ।
गोसीखुर्द परियोजना पर काम 1980 के दशक में शुरू हुआ था ।
महाराष्ट्र परिक्षेत्र नागरिक संघर्ष समिति के अध्यक्ष धनंज्य मुलकलवार ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, " वैनगंगा-नलगंगा परियोजना से विदर्भ तक पानी जा रहा है और यह अच्छी बात है। हम इसकी सराहना करते हैं। समस्या यह है कि 1988 में गोसीखुर्द सिंचाई परियोजना शुरू हुई लेकिन तब से अब तक किसानों की समस्याएं नहीं सुलझीं। क्योंकि परियोजना के बाद यहां जो गांव बचे हुए हैं वहां के लोगों का पुनर्वास अभी तक पूरा नहीं हुआ है जो कि बहुत जरूरी है।’’
उन्होंने कहा,‘‘ गोसीखुर्द सिंचाई परियोजना से प्रभावित लोगों को पुरानी दर पर मुआवजा दिया गया था। लेकिन परियोजना के क्रियान्वयन में देरी होने से प्रभावित लोगों ने परियोजना के लिए अधिग्रहित अपने गांवों को नहीं छोड़ा और वे वहां सामान्य जिंदगी जीते रहे। नतीजतन भू अधिग्रहण और पुनर्वास का मुद्दा अनसुलझा ही रहा।’’
वैनगंगा-नलगंगा नदी जोड़ो परियोजना के तहत भंडारा में वैनगंगा नदी पर गोसीखुर्द बांध से पानी उठाना और उसे बुलढाणा में नलगंगा नदी में मिलाना शामिल है। इस परियोजना के तहत गोदावरी नदी की सहायक नदी वैनगंगा को तापी नदी की सहायक नदी नलगंगा से जोड़ा जाएगा। इससे विदर्भ के छह जिलों में सिंचाई की सुविधा मिलेगी ।
गांव वालों का कहना है कि गोसीखुर्द परियोजना के कारण विस्थापित हुए लोगों को जमीन का पर्याप्त मुआवजा नहीं मिला। साथ ही काफी संख्या में लोगों के लिए दूसरी जगह पर रहने का इंतजाम ठीक से नहीं किया गया।
भरवलिया गांव के निवासी राजू फुलवंते का कहना था, " समस्या यह है कि सरकार ने अभी भी अपना काम (गोसीखुर्द बांध का) पूरा नहीं किया है। हम उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय गए लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ है। हमने तय प्रक्रिया का पालन किया लेकिन सरकार ने अभी तक पैसा नहीं दिया।"
बांध के पास ही एक ग्रामीण राज कपूर मघरी दिगोरे ने कहा, " इस परियोजना ने हमारे गांव को परेशानी ही दी है। हमारे गांव के नजदीक में पानी आ रहा है। मच्छर तंग कर रहे हैं। सांप बिच्छू सब आ रहे हैं हमारे घर की तरफ। हमारे घर गिर रहे हैं। हम सभी को परेशानी है । हम सरकार से पुनर्वसन चाहते हैं।"
वहीं, कांग्रेस नेता और नागपुर नॉर्थ से विधायक नितिन राऊत का कहना था, "अभी भी बांध बने नहीं हैं।सब जगह उसका पानी नहीं पहुंचाया जा सका है। लोग यहां फसल नहीं ले पा रहे हैं लेकिन नयी परियोजना के लिए निधि दे रहे हैं। पहले पुरानी परियोजना को तो पूरा करो।’’
राऊत ने कहा कि यह परियोजना जरूर अच्छी है लेकिन एक परियोजना को पूरा नहीं करना और दूसरी योजना लादना, यह प्रदेश के हित में नहीं है।
वैनगंगा-नलगंगा नदी जोड़ो परियोजना की लागत लगभग 87,000 करोड़ रुपये है। इस परियोजना को मंजूरी देने के महाराष्ट्र मंत्रिमंडल के फैसले से आगामी विधानसभा चुनाव में विदर्भ क्षेत्र में भाजपा को फायदा मिलने की उम्मीद है क्योंकि इस परियोजना से विदर्भ के किसानों की आत्महत्या से प्रभावित छह जिलों में 3.7 लाख हेक्टेयर कृषि जमीन के लिए सिंचाई सुविधा देने की संकल्पना की गई है।
महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीट के लिए 20 नवंबर को मतदान होगा और 23 नवंबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे।
भाषा दीपक नरेश