अमेरिका के शीर्ष अधिकारी ने सिंथेटिक मादक पदार्थ के खतरे की ओर इशारा किया
देवेंद्र दिलीप
- 26 Oct 2024, 09:00 PM
- Updated: 09:00 PM
(कुणाल दत्त)
(फोटो के साथ)
नयी दिल्ली, 26 अक्टूबर (भाषा) अमेरिका के एक शीर्ष अधिकारी ने पिछले कुछ वर्षों में जैविक से सिंथेटिक मादक पदार्थों की ओर रुझान होने के प्रति आगाह किया है और कहा है कि ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ मादक पदार्थों के खतरे से निपटने के साथ-साथ मरीजों के इलाज में भी ‘‘महत्वपूर्ण भूमिका’’ निभा सकती है।
व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय औषधि नियंत्रण नीति के निदेशक डॉ. राहुल गुप्ता ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में 21वीं सदी के लिए अमेरिका-भारत औषधि नीति रूपरेखा के तहत दोनों देशों के बीच साझेदारी पर भी जोर दिया, जिस पर पिछले साल राष्ट्रपति जो बाइडन और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच उनकी अमेरिका यात्रा के दौरान सहमति बनी थी।
गुप्ता ने इस सप्ताह नयी दिल्ली में आयोजित पांचवें अमेरिका-भारत मादक पदार्थ निरोधक कार्य समूह की बैठक में अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया और इस दौरान दोनों पक्षों के हितधारकों ने दोनों नेताओं के संयुक्त दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने पर विचार-विमर्श किया।
उन्होंने कहा, ‘‘यह वास्तव में एक विशेष बैठक थी, क्योंकि पिछले साल जून में अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति बाइडन ने दोनों देशों के बीच एक ‘ड्रग’ नीति के लिए 21वीं सदी की रूपरेखा बनाने पर सहमति व्यक्त की थी, जिसे पिछले महीने ही क्रियान्वित किया गया है।’’
इस रूपरेखा के तीन स्तंभ हैं - मादक पदार्थों के अवैध उत्पादन और तस्करी के साथ-साथ इनके रसायनों की तस्करी को रोकना; एक स्थायी और समग्र सार्वजनिक स्वास्थ्य साझेदारी को आगे बढ़ाना और एक सुरक्षित तथा बढ़ती फार्मास्युटिकल आपूर्ति श्रृंखला को आगे बढ़ाना।
यह पूछे जाने पर कि इस खतरे से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर क्या चुनौतियां हैं, गुप्ता ने कहा कि सिंथेटिक मादक पदार्थ मानवता को प्रभावित कर रहे हैं।
गुप्ता ने शुक्रवार को यहां बैठक के इतर ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘सैकड़ों वर्षों से, मानव जाति मादक पदार्थों के साथ रह रही है। इनके सेवन का एक स्थिर स्तर, घातकता का स्तर या लत की गंभीरता होती है और ये आमतौर पर जैविक होते हैं। इनके लिए खेतों, फसलों तथा उर्वरकों का उपयोग किया जाता है। पिछले एक दशक में इसमें बदलाव आया है, पिछले पांच वर्षों में इसमें तेजी आई है और अब जैविक मादक पदार्थों से सिंथेटिक मादक पदार्थों की ओर लोगों का रुख हो रहा है।’’
उन्होंने इस खतरे को रेखांकित करते हुए कहा कि आज जिस चीज की जरूरत है वह मूल रूप से ‘‘एक केमिस्ट्री सेट, एक कमरा और एक इंटरनेट’’ है और कोई भी इनके जरिये ‘‘दुनिया के कुछ सबसे घातक, शक्तिशाली और खतरनाक मादक पदार्थ’’ बना सकता है।
गुप्ता ने कहा, ‘‘ भानुमति का पिटारा खुल चुका है और आप इन्हें बनाने के लिए इस प्रकार की चीजों, रसायनों का उपयोग कर सकते हैं।’’
‘सिंथेटिक ड्रग’ ऐसे पदार्थ है, जिसके गुण और प्रभाव किसी ज्ञात मादक पदार्थ के समान होते हैं। इनमें एम्फैटेमिन, मेथैम्फेटामाइन और एक्स्टसी (एमडीएमए) शामिल हैं।
राष्ट्रीय औषधि नियंत्रण नीति के निदेशक के रूप में कार्य करने वाले पहले चिकित्सक गुप्ता ने अमेरिका में मादक पदार्थों की अधिक मात्रा के कारण होने वाली मौतों की चौंका देने वाली संख्या के बारे में भी बताया।
उन्होंने याद किया, ‘‘अमेरिका में, जब राष्ट्रपति बाइडन और उपराष्ट्रपति (कमला) हैरिस ने कार्यभार संभाला था, तो हम हर साल मादक पदार्थों की अधिक मात्रा का सेवन करने से होने वाली मौतों में 31 प्रतिशत की वृद्धि देख रहे थे, हर साल बड़ी संख्या में मौतें होती थीं।’’
उन्होंने कहा कि सीडीसी के नवीनतम आंकड़ों में 12.7 प्रतिशत की गिरावट दिखाई गई है। उन्होंने कहा, ‘‘यह अमेरिका के इतिहास में अब तक की सबसे ऐतिहासिक गिरावट है।’’ उन्होंने कहा कि यह रुझान पिछले छह महीनों से जारी है।
गुप्ता ने इस बात पर जोर दिया कि मादक पदार्थों का मुद्दा भारत में लोगों को प्रभावित करता है, अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा तथा अवसरों को प्रभावित करता है, तथा यह एक जन स्वास्थ्य संकट है।
उन्होंने कहा, ‘‘सबसे बड़ी चुनौती इसे पहचानना और साथ मिलकर आगे बढ़ना है। न केवल दोनों देशों के लोगों की मदद और समर्थन करना, बल्कि वैश्विक स्तर पर पूरे विश्व की मदद करने के तरीके विकसित करना है।’’
इस रूपरेखा और इसके तीन स्तंभों के तहत हुई प्रगति को साझा करते हुए गुप्ता ने कहा कि पहला स्तंभ स्पष्ट रूप से मादक पदार्थों के अवैध उत्पादन और तस्करी से मुकाबला करना है। उन्होंने कहा कि स्पष्ट रूप से, दोनों देशों के बीच जमीन और समुद्र दोनों स्तर पर ‘‘काफी सहयोग’’ रहा है।
उन्होंने कहा कि दूसरा स्तंभ नशे की लत और मानसिक स्वास्थ्य तथा अन्य पहलुओं के मामले में एक स्थायी और समग्र सार्वजनिक स्वास्थ्य साझेदारी को आगे बढ़ाना है।
उन्होंने कहा, ‘‘तीसरा, सुरक्षित फार्मास्युटिकल आपूर्ति श्रृंखला को आगे बढ़ाना है और यह भी महत्वपूर्ण है, और हमने भारतीय फार्मास्युटिकल कंपनियों, निर्माताओं के संघों, आईडीएमए, आईपीए, फार्मेसी संघों के साथ कई बैठकें की हैं।’’
यह पूछे जाने पर कि इस रूपरेखा को जमीनी स्तर पर कैसे क्रियान्वित किया जाएगा, गुप्ता ने कहा कि इनमें से प्रत्येक स्तंभ के लिए कार्य समूह और उप-कार्य समूह होंगे और प्रत्येक कार्य समूह के सह-अध्यक्ष होंगे।
शीर्ष अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ खुफिया और कानून लागू करने वाली एजेंसियों की सहायता करके मादक पदार्थों के खतरे से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और साथ ही इससे मादक पदार्थों की लत से संबंधित इलाज में भी मदद मिलेगी।
भाषा
देवेंद्र