विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में भारत की भागीदारी को सरकार से मिली हरी झंडी
पंत नमिता
- 25 Oct 2024, 09:32 PM
- Updated: 09:32 PM
(अमनप्रीत सिंह)
नयी दिल्ली, 25 अक्टूबर (भाषा) अल्बानिया में होने वाली विश्व कुश्ती चैंपियनशिप के लिए चुने गए 12 पहलवानों के शुक्रवार को यहां खेल मंत्री मनसुख मांडविया के आवास के बाहर डेरा जमाने और उनसे हस्तक्षेप की मांग करने के बाद सरकार ने इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में भारत की भागीदारी को मंजूरी दे दी।
भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) ने गुरुवार को तीनों भारतीय टीमों को चैंपियनशिप से हटाने का फैसला किया क्योंकि साक्षी मलिक के पति पहलवान सत्यव्रत कादियान ने अंडर 23 और सीनियर विश्व चैंपियनशिप के लिए ट्रायल आयोजित करने के महासंघ के फैसले के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया।
कादियान का कहना था खेल संस्था अदालत की अवमानना कर रही थी जिसने कुश्ती के संचालन के लिए भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) द्वारा नियुक्त किए गए तदर्थ पैनल के अधिकार को बहाल कर दिया था।
डब्ल्यूएफआई को मंत्रालय ने निलंबित कर दिया था जबकि आईओए ने तदर्थ पैनल को बहाल करने से इनकार कर दिया है, जिससे खेल और पहलवानों का भविष्य अधर में लटक गया है। कुश्ती की विश्व संचालन संस्था यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने हालांकि इस साल फरवरी में डब्ल्यूएफआई पर से निलंबन हटा दिया था।
मांडविया ने पत्रकारों से कहा,‘‘कुछ पहलवानों ने आज मुझसे मुलाकात करके इस मुद्दे और अपनी चिंताओं से अवगत कराया। मैंने निर्देश दिया कि अदालत का मामला अदालत में जारी रहेगा लेकिन पहलवानों को विश्व चैंपियनशिप में भाग लेना चाहिए। उन्हें यह मौका मिलना चाहिए। मुझसे जो कुछ हो सकता था मैंने वह किया।’’
पहलवानों ने डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष संजय सिंह के साथ मंत्री से मुलाकात की। बातचीत करीब एक घंटे तक चली।
संजय सिंह ने कहा,‘‘हमने मंत्री के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की। उन्होंने आश्वासन दिया कि यदि महासंघ पर अवमानना का आरोप लगाया गया तो वह इसकी जिम्मेदारी लेंगे और टीम की भागीदारी को मंजूरी दे दी। टिकट पहले ही बुक हो चुके हैं और टीम रविवार सुबह निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार रवाना होगी।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार ने भी डब्ल्यूएफआई पर से निलंबन हटाने का आश्वासन दिया है, संजय सिंह ने कहा, ‘‘मंत्रालय ने कहा है कि वह इसकी समीक्षा करेगा। इसमें एक महीने का समय लग सकता है।’’
मांडविया ने हालांकि इस पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार का स्पष्ट रवैया है। सभी महासंघ अपनी इच्छानुसार काम कर सकते हैं, सरकार केवल उनकी मदद करती है। देश में खेलों का विकास होना चाहिए और हमारे खिलाड़ियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन करना चाहिए।’’
इससे पहले दिन में विश्व चैंपियनशिप के ट्रायल्स में जीत दर्ज करने वाले सभी 12 पहलवानों ने मंत्री के आवास के बाहर डेरा जमाया और उनसे इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया।
महिलाओं के 65 किग्रा में जगह बनाने वाली मनीषा भानवाला ने पीटीआई से कहा,‘‘विश्व चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाई करने तक 10-12 साल लग जाते हैं और अब जब यह मौका हमें मिला है तो उसे छीना जा रहा है। आखिर हमारी गलती क्या है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जिन पहलवानों ने विरोध प्रदर्शन किया था उनका करियर समाप्त हो चुका है तो अब वे हमारे करियर के साथ क्यों खेल रहे हैं। जूनियर पहलवानों को उनके समर्थन की जरूरत नहीं है। अगर हमें विश्व चैंपियनशिप के लिए नहीं भेजा गया तो हमें विरोध प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।’’
एशियाई चैंपियनशिप में दो कांस्य पदक जीतने वाली मनीषा ने सरकार के फैसले के बाद राहत की सांस ली।
उन्होंने कहा,‘‘हमने मंत्री महोदय के सामने अपनी बात रखी। उन्होंने पूरे धैर्य के साथ हमारी बात सुनी और हर संभव मदद का आश्वासन दिया। उन्होंने इस पर भी चर्चा की कि भारत जब ओलंपिक की मेजबानी करेगा तो खिलाड़ियों के लिए सरकार की क्या योजना है।’’
मनीषा के साथ साथी महिला पहलवान और पिछले साल अल्माटी में स्वर्ण और ट्यूनिस में यूडब्ल्यूडब्ल्यू रैंकिंग सीरीज़ प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीतने वाली मानसी अहलावत (59 किग्रा), कीर्ति (55 किग्रा) और बिपाशा (72 किग्रा) भी थीं।
चार पुरुष फ्रीस्टाइल पहलवान उदित (61 किग्रा), मनीष गोस्वामी (70 किग्रा), परविंदर सिंह (79 किग्रा), संदीप मान (92 किग्रा) तथा ग्रीको-रोमन के पहलवान संजीव (55 किग्रा), चेतन (63 किग्रा), अंकित गुलिया (72 किग्रा), और रोहित दहिया (82 किग्रा) ने भी हरियाणा से आकर मंत्री के आवास के बाहर डेरा जमाया।
पहलवानों ने पहले अदालत का रुख किया लेकिन उन्हें बताया गया कि उनकी याचिका पर आज सुनवाई नहीं हो सकती और उन्हें सुनवाई की तारीख मिल सकती है।
इसके बाद वे खेल मंत्री के आवास पर गये लेकिन उनसे शाम को ही मुलाकात हो पाई।
बारह गैर ओलंपिक वर्ग की विश्व चैंपियनशिप 28 अक्टूबर से अल्बानिया के तिराना में होनी है।
डब्ल्यूएफआई ने बुधवार को विश्व चैंपियनशिप से हटने का फैसला किया था। उसने कुश्ती की विश्व संस्था यूडब्ल्यूडब्ल्यू को बताया कि खेल मंत्रालय उसकी स्वायत्तता में हस्तक्षेप कर रहा है ।
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